यह ऑडियो नहीं, जुल्म का दस्तावेज है
नौकरी भी जायेगी, बेटा का भी, हम रवानी हैं, इसलिए बोल रहे हैं
आजाद सिपाही संवाददाता
महुदा। कभी क्षेत्र के बच्चों के भविष्य को संवारने वाला महुदा इंटर महाविद्यालय आज खुद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। शिक्षा की मशाल थामे यह कॉलेज अब साजिशों, धमकियों और तानाशाही के अंधेरे में घिरता जा रहा है। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल एक ऑडियो क्लिप ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है, जिसमें कॉलेज के शिक्षक प्रतिनिधि सीएल रवानी को खुलेआम धमकाया जा रहा है। इस ऑडियो में झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट के निदेशक एवं बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष शंकर रवानी की आवाज स्पष्ट रूप से सुनी जा सकती है, ऐसा दावा किया जा रहा है, जिसमें वे न सिर्फ शिक्षक को अयोग्य बताते हैं, बल्कि उनके बेटे को कॉलेज से निकाल-बाहर करने की बात करते हैं। वे कहते हैं…
आपका बेटा नेतागिरी करेगा? आपका बेटा है भी या नहीं, पहले ये बताइये। आपका कुछ नहीं सुनेगे… नौकरी जायेगी और बेटा का भी जायेगा। हम रवानी हैं, इसलिए बोल रहे हैं।
यह केवल एक ऑडियो नहीं, बल्कि उस जुल्म का दस्तावेज है, जो वर्षों से महाविद्यालय के भीतर गहराता चला आ रहा है। जब शिक्षक प्रतिनिधि पलट कर जवाब देते हैं कि गोली मारने की धमकी दे दी तो मार ही दीजिए, तो उनका यह दर्द और बेबसी साफ झलकती है। यह उस डर और असहायता की चीख है, जो अब शब्दों में फूट पड़ी है।
कॉलेज के भीतर एक खास दबंग वर्ग की तानाशाही लगातार शिक्षकों और कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों को कुचल रही है। झारखंड अधिविद्य परिषद रांची के नियमों को ठेंगा दिखाते हुए कुछ लोग कॉलेज को अपनी निजी जागीर समझ बैठे हैं। जो सच बोलता है, उसे या तो धमकी दी जाती है या फिर कॉलेज से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।
बर्बादी की पटकथा
महुदा इंटर महाविद्यालय की वर्तमान दशा किसी एक घटना की उपज नहीं, बल्कि वर्षों से चल रहे षड्यंत्रों की परिणति है। कॉलेज के संरक्षक समझे जाने वाले प्रो सुरेश कुमार रजक और द्वारपाल गौतम कुमार रजक जैसे निष्ठावान व्यक्तियों को बिना किसी ठोस कारण के अस्थायी रूप से निष्कासित कर दिया गया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। सच बोलने वालों के साथ ऐसा अन्याय पहले भी हो चुका है।
छात्रावास भी खाली, भविष्य भी अधर में
हाल ही में बाघमारा अंचलाधिकारी ने कल्याण विभाग द्वारा निर्मित छात्रावास को खाली करवा दिया। सवाल यह उठता है कि जो कॉलेज खुद स्थायित्व की लड़ाई लड़ रहा है, वह छात्रों को क्या आधार देगा? आज छात्र-छात्राओं का भविष्य कॉलेज की राजनीति और षड्यंत्रों के बीच कहीं खोता जा रहा है। पढ़ाई का माहौल दम तोड़ रहा है, और भविष्य की उम्मीदें खामोशी में बदलती जा रही हैं।
परदे के पीछे से चलती है राजनीति
सूत्रों की मानें तो महाविद्यालय की इस दुर्दशा के पीछे एक तथाकथित ‘बाघमारा नरेश’ का हाथ है, जिसके इशारे पर कॉलेज को गिरवी रखा गया है। यह दबंग अपने प्यादों के माध्यम से शिक्षकों और कर्मचारियों का शोषण करता है और कॉलेज की गरिमा को पैरों तले रौंदता है।
एक मां की तरह थी ये संस्था
महुदा इंटर महाविद्यालय कभी एक मां की तरह था, जो सीमित संसाधनों में भी अपने बच्चों को शिक्षित करता था, उन्हें सपना देखने और जीने का हौसला देता था। लेकिन आज वही मां अपनों के ही हाथों लुटी-पिटी, बेबस और कराहती नजर आ रही है। उसकी आंखों में नमी है, आवाज में खामोशी है, और भविष्य की ओर सिर्फ अंधकार पसरा हुआ है।
अब समय है सवाल उठाने का
क्या यह वही झारखंड है, जो शिक्षा को अधिकार मानता है? क्या यह वही संस्थान है, जिसे कभी गर्व से ‘शिक्षा का मंदिर’ कहा गया था? अगर अब भी हमने आवाज नहीं उठायी, तो आने वाली पीढ़ियों को सिर्फ एक उजड़े हुए महाविद्यालय की कहानी सुनाने को बचेगा। महुदा इंटर महाविद्यालय आज आपसे, हमसे, समाज से एक सवाल कर रहा है कि क्या आप उसकी आवाज बनेंगे? या यूं ही उसकी बेबसी पर चुप रहेंगे?
बर्खास्तगी गलत: जैक सदस्य
प्रो सुरेश कुमार रजक और द्वारपाल गौतम कुमार रजक की सेवा से बर्खास्तगी के मामले में जैक सदस्य सह प्राचार्य एएसएनएम कॉलेज, सिजुआ ने गंभीर सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा कि महुदा इंटर महाविद्यालय में पूर्व से ही मनमानी होती रही है। नियमानुसार किसी भी कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त करने के लिए न्यूनतम पांच सदस्यों की बैठक आवश्यक है, जिसमें कम से कम एक सरकारी पदाधिकारी—जैसे डीइओ, एसडीओ या जैक सदस्य—का हस्ताक्षर अनिवार्य होता है। यदि ऐसे पदाधिकारी का अनुमोदन नहीं है, तो बर्खास्तगी प्रक्रिया वैध नहीं मानी जा सकती। वहीं धमकी वाले वायरल ऑडियो की जानकारी से उन्होंने इनकार किया और कहा कि लौटने के बाद वे डीइओ और एसडीओ से इस पूरे मामले की विस्तृत जानकारी लेंगे।
यह मुझे बदनाम करने की साजिश: शंकर रवानी
बाल कल्याण समिति बोकारो के पूर्व अध्यक्ष सह निदेशक झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट प्रो शंकर रवानी ने कहा कि वायरल ऑडियो में उनकी आवाज नहीं है और यह उन्हें बदनाम करने की एक सोची-समझी साजिश है। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और बीते छह महीने से महुदा कॉलेज गये ही नहीं हैं। उनकी छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से यह षड्यंत्र रचा गया है। वे अपने वकील के माध्यम से संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करेंगे।
सच्चाई को हराया नहीं जा सकता: प्रो आदित्य रवानी
प्रो सीएल रवानी के पुत्र प्रो आदित्य रवानी ने कहा कि सच सामने है। महुदा कॉलेज अब तानाशाही का गढ़ बन चुका है। ऑडियो ने स्पष्ट कर दिया। अन्याय भले कुछ समय तक हावी रहे, लेकिन सत्य को कभी हराया नहीं जा सकता। अंतत: जीत सच्चाई की ही होती है, यही इतिहास गवाह है।