पूर्वी सिंहभूम। जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने सारंडा पर सर्वोच्च न्यायालय के दिये गये फैसले का गुरुवार को प्रसन्नता जाहिर की है। राय ने गुरुवार को इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है। जारी बयान में विधायक सरयू राय ने कहा कि सारंडा के जितने क्षेत्र (31468 हेक्टेयर यानी 314.68 वर्ग किलोमीटर) को सैंक्चुअरी अधिसूचित करने का निर्देश सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है, उतने क्षेत्र को सैंक्चुअरी बनाने की मांग वह विगत पांच वर्षों से करते आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय नेमेरे मांग के अनुरूप फैसला दिया है।सरकार उनकी मांग नहीं मान रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस आशय का स्पष्ट आदेश दे दिया है तो उन्हें बेहद प्रसन्नता है। उम्मीद है कि झारखंड सरकार अब उनकी मांग को पूरा करेगी। बीच में दुविधा इसलिए हो गई कि झारखंड सरकार के वन विभाग ने जून 2025 में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष शपथ पत्र देकर कह दिया कि सरकार सारंडा के क़रीब 557 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सैंक्चुअरी बनाएगी।
सरयू राय ने कहा कि तत्कालीन बिहार सरकार ने 16 फ़रवरी 1968 को अधिसूचना संख्या 1168एफ की ओर से सारंडा के क़रीब 314 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को सैंक्चुअरी बनाने की अधिसूचना जारी की थी, जिसका उल्लेख केएस राजहंस की ओर से सारंडा के 20 वर्षीय वर्किंग प्लान (1976-96) में भी है। इस बारे में उन्होंने झारखंड विधानसभा में अल्पसूचित प्रश्न किया तो सरकार ने जवाब दिया कि इस अधिसूचना की प्रति उपलब्ध नहीं है। तब एक वन्यजीव विशेषज्ञ डा॰ आर के सिंह ने 2022 में एनजीटी में इसके लिए मुकदमा किया। एनजीटी के आदेश को सरकार ने क्रियान्वित नहीं किया तो पलामू के प्रो॰ (डा॰) डीएस श्रीवास्तव सर्वोच्च न्यायालय
गए, जिसके बाद गत बुधवार को फ़ैसला आया कि झारखंड सरकार सारंडा के क़रीब 314 वर्ग किलोमीटर भूभाग को सैंक्चुअरी घोषित करे और एक सप्ताह में सर्वोच्च न्यायालय को बताए। सरयू राय ने कहा कि सरकार को चाहिए कि अब हीला-हवाली न करे और शीघ्राति शीघ्र सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को क्रियान्वित कर सारंडा के क़रीब 324 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को सैंक्चुअरी घोषित करे।