साहिब श्री गुरु नानक देव जी का 549 वां प्रकाशोत्सव शनिवार को धूमधाम से मनाया जा रहा ही। मुख्य समारोह का आयोजन मोतीझील में किया गया है। प्रकाशोत्सव पर सुबह से ही यहां संगत के आने का सिलसिला शुरू हो गया। संगत ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के सामने माथा टेका और फिर गुरु का अटूट लंगर छका। शबद-कीर्तन के मधुर स्वरों से पंडाल और परिसर श्रद्धामय हो गया। जो मेहमान आए उन्हें सिरोपा भेंट किया गया। प्रकाशोत्सव की जिम्मेदारी मुख्य रूप से सिखों की शीर्ष संस्था श्री गुरु सिंह सभा और अन्य जत्थेबंदिया उठाती हैं।
549वां प्रकाशोत्सवः यहां पर 200 कुन्तल अाटे, 20 टीन देशी घी से तैयार होगा 3 लाख लोगों के लिए लंगर
सुबह करीब 3:30 बजे श्री सुखमनी साहिब के पाठ से शुरुआत हुई। सिमरन साधना के बाद अमृत वेले की अरदास हुई। गुरु नानक संगीत जत्था ने नितनेत पाठ किया। भाई सुरिंदर सिंह और भाई मोहन सिंह ने आसा दी वार का कीर्तन किया। भाई आया सिंह, भाई गुरप्रीत सिंह बटाला वाले और भाई भूपिंदर सिंह गुरदासपुरी ने शबद-कीर्तन कर संगत को निहाल कर दिया।
तीन लाख लोग छकेंगे लंगर
लंगर छकने के लिए सुबह से ही मोतीझील परिसर में संगत आने लगी। इसमें बुजुर्ग भी थे और युवा व बच्चे भी। बड़ी संख्या में महिलाएं सुबह से ही गुरु महराज के दर्शन के लिए आ गई थीं। ज्यादातर लोग पूरे परिवार के साथ लंगर छकने आए। अन्य धर्म के लोगों ने भी एक ही पंगत में बैठकर गुरु का अटूट लंगर छका। ‘अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बन्दे, एक नूर ते सब जग उपजया, को भले को मन्दे’ की मधुर वाणी समारोह में श्रद्धा और समानता को बढ़ा रही थी।
परिसर में लगा मेला
मोतीझील परिसर में दोनों गेट से मेले जैसा नजारा दिख रहा था। मैदान में भी इसी तरह का नजारा था। यहां बच्चों के खिलौनों से लेकर गन्ने की गंडेरियां भी ठेलों पर खूब बिक रही थीं। कई तरह के छोटे झूले भी लगे थे। वाहनों से आने के कारण मोतीझील मुख्य मार्ग पर जाम की स्थिति बनी हुई है। यहां प्रमुख रूप से सभा के अध्यक्ष सरदार हरविंदर सिंह लार्ड, मदन सिंह ज्ञानी, डॉ. त्रिलोक सिंह कालरा, सुखविंदर सिंह लाडी और मंजीत सिंह सागरी आदि मौजूद थे।