नई दिल्ली। सीबीआई ने मध्य प्रदेश में 2013 में हुए करोड़ों रुपये के व्यापमं परीक्षा घोटाले में मंगलवार को एक आरोप-पत्र दाखिल किया, जिसमें 490 लोगों के नाम शामिल हैं। लेकिन इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को क्लीनचिट दे दी गई है।सीबीआई ने भोपाल स्थित विशेष अदालत में आरोप-पत्र सौंपते हुए न्यायाधीश से कहा कि इस मामले में मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा जब्त एक हार्ड डिस्क ड्राइव के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है, जिसका आरोप वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने लगाया था।
सीबीआई के आरोप-पत्र में कहा गया है, “हमने व्यापमं के तत्कालीन प्रधान सिस्टम एनलिस्ट के कंप्यूटर से 18 जुलाई, 2013 को जब्त किए गए हार्ड डिस्क ड्राइव के साथ छेड़छाड़ होने के दिग्विजय सिंह और एक अन्य व्यक्ति द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की। सीएफएसएल (केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला) की रपटों के आधार पर और एक अन्य सबूत के आधार पर सीबीआई ने निष्कर्ष निकाला है कि ड्राइव के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।”
आरोप-पत्र में कहा गया है, “हमने हार्ड डिस्क के साथ कथित छेड़छाड़ की जांच के निष्कर्षो पर एक यथास्थिति रपट सर्वोच्च न्यायालय में सौंपी है।” आरोप-पत्र में जिन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, उनमें तीन व्यापमं अधिकारी, तीन रैकशीटर, 17 बिचौलिए, 297 पेपर हल करने वाले और लाभार्थी अभ्यर्थी और 170 लभार्थी अभ्यर्थियों के अभिभावक शामिल हैं।
सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर नौ जुलाई, 2015 को मामले की जांच अपने हाथों में ली थी। यह आरोप-पत्र 2013 के प्री-मेडिकल टेस्ट से संबंधित है। यह व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षाओं में हुई कई सारी अनियमितताओं के मामलों में से एक है।