उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के ऊंचाहार स्थित एनटीपीसी यानी नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन के पांच सौ मेगावाट की यूनिट नंबर छह में हुए हादसे ने एक कड़वी सच्चाई फिर से रेखांकित की है, और वह यह कि हमारे देश में औद्योगिक कार्य स्थलों पर सुरक्षा की हालत बहुत ही शोचनीय है। आखिर क्या कारण है कि औद्योगिक कहे जाने वाले देशों में ऐसे हादसे नहीं होते, कम-से-कम ऐसी भयावह पुनरावृत्ति के साथ तो हरगिज नहीं होते। वजह साफ है, वहां उत्पादन के हर चरण में सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन किया जाता है, किसी अनहोनी का तनिक अंदेशा होने पर भी गहरी छानबीन की जाती है, आपातकालीन स्थितियों के मद््देनजर मुकम्मल तैयारियां की जाती हैं, हर स्तर पर सतर्कता और जवाबदेही रहती है। लेकिन अपने देश में इस तरह के सारे तकाजों की घोर अवहेलना की जाती है। ऊंचाहार के एनटीपीसी संयंत्र में जो हुआ वह इसी का नतीजा था। आपराधिक लापरवाही के चलते छब्बीस लोगों की मौत हो गई और सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए। घायलों में कइयों की हालत बहुत गंभीर है। बताते हैं कि हादसा यूनिट नंबर छह का बॉयलर फटने से हुआ। लेकिन यह कोई नियति नहीं थी। इस यूनिट का संचालन करीब पखवाड़े भर पहले शुरू किया गया था।
सवाल है कि बॉयलर क्यों फटा, और यह नौबत आने देने के लिए कौन लोग जिम्मेवार हैं? हादसे के बाद उभर रहे तथ्य बताते हैं कि आधी-अधूरी तैयारियों के बावजूद यूनिट का संचालन शुरू करा दिया गया? आखिर यह हड़बड़ी क्यों थी? श्रमिकों का कहना है कि यूनिट में आग से निपटने के लिए उचित इंतजाम तक नहीं थे। यूनिट का संचालन शुरू करने से पहले तैयारियों का जायजा लिया गया होगा और संतुष्ट होने पर ही हरी झंडी दी गई होगी। फिर क्यों, पखवाड़े भर बाद ही यूनिट में इतना बड़ा हादसा हो गया? जाहिर है, ये सारे सवाल एनटीपीसी के अफसरों के लिए बेहद असुविधाजनक हैं और शायद ही कभी इनका संतोषजनक जवाब सामने आए। यों जांच के आदेश दे दिए गए हैं और मुख्यमंत्री ने मुआवजे का एलान भी कर दिया है। पर चाहे रेल दुर्घटनाएं हों या औद्योगिक हादसे, जांच-रिपोर्टों और उनमें निहित सिफारिशों को शायद ही कभी गंभीरता से लिया जाता है। नतीजतन, सब कुछ पहले की तरह चलता रहता है। भारत में भोपाल गैस कांड सबसे बड़ा औद्योगिक हादसा था, उसे दुनिया का भी सबसे बड़ा औद्योगिक हादसा कहा जाता है और स्वाभाविक ही उस पर बहुत चर्चा हुई। लेकिन उससे हमने सीखा क्या?
कारखानों तथा संयंत्रों के संचालन में जो न्यूनतम सावधानियां बरती जानी चाहिए, वे नहीं बरती जातीं। बिजली महकमा एक उदाहरण है। जिस दिन ऊंचाहार के एनटीपीसी संयंत्र में हुए धमाके ने छब्बीस लोगों की जान ले ली, उससे एक दिन पहले जयपुर में शाहपुरा के पास खातोलाई गांव में ट्रांसफार्मर फटने से अब तक चौदह लोगों की मौत हो चुकी है। यह पहला मौका नहीं है जब राजस्थान के बिजली विभाग की लापरवाही से ऐसा हादसा हुआ हो। आरोप लग रहे हैं कि भ्रष्टाचार की वजह से घटिया ट्रांसफार्मर लगाए गए थे। जो हो, राज्य का बिजली विभाग इस हादसे की जवाबदेही से अपना पल्ला नहीं झाड़ सकता। यही बात ऊंचाहार के हादसे की बाबत एनटीपीसी के बारे में भी कही जा सकती है। ऐसे मामलों में मुआवजा बहुत कम दिया जाता है। यह बात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की घोषणा से भी जाहिर है। क्या इसलिए कि जान गंवाने और घायल होने वाले साधारण कामगार होते हैं? पर मुआवजे से बड़ा सवाल देश में औद्योगिक सुरक्षा का है।