वैसे तो हर चुनाव में राजनीतिक नेताओं द्वारा पाला बदलने का सिलसिला आम दिनों की अपेक्षा तेज हो जाता है, लेकिन झारखंड इस मायने में इस बार रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर है। यहां टिकट पाने की चाहत में नेता कपड़ों की तरह पाला बदल रहे हैं या बदल चुके हैं। ऐसे अधिकांश नेताओं की चाहत पूरी भी हो चुकी है और नये दल से इन्हें टिकट भी मिल चुका है। झारखंड की पाचवीं विधानसभा के लिए होनेवाले चुनाव का पहला चरण महज दस दिन दूर है। इस चरण में 13 सीटों पर चुनाव होना है। इस चरण की सबसे खास बात यह है कि इनमें से 10 सीटें ऐसी हैं, जहां पाला बदलनेवाले नेता मुख्य मुकाबले में हैं। पहले चरण में पलामू प्रमंडल की नौ सीटों के अलावा लोहरदगा, गुमला, बिशुनपुर और चतरा में वोट डाले जाने हैं। पलामू की नौ सीटों में डाल्टनगंज, गढ़वा, लातेहार, मनिका, पांकी, विश्रामपुर, भवनाथपुर, हुसैनाबाद और छतरपुर शामिल हैं। पाला बदलनेवाले आठ बड़े चेहरे सत्ताधारी भाजपा के और दो आजसू के हैं। इनमें पांच विधायक हैं। पहले चरण में इन नेताओं की अग्निपरीक्षा है। क्या हैं इन नेताओं की संभावनाएं और कैसी है उनके चुनाव क्षेत्र की तस्वीर, इस पर आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास पेशकश।
विधानसभा चुनाव के पहले चरण की सेनाएं सज चुकी हैं और जनता की अदालत में उतरे उम्मीदवार चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। इस चरण के चुनाव पर पूरे देश की निगाहें हैं, क्योंकि इसमें कम से कम 10 ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन पर पाला बदलनेवाले नेता का लेबल चस्पां है। पहले चरण की 13 में से नौ सीटें पलामू प्रमंडल की हैं, जबकि चार अन्य सीटें चतरा, गुमला, लोहरदगा और बिशुनपुर हैं। बात शुरू करते हैं पलामू प्रमंडल के मुख्यालय डाल्टनगंज की। इस सीट पर मुकाबला इस बार बेहद रोमांचक है। शहर की हृदयस्थली छहमुहान पर सुबह-शाम चुनावी महफिल सजती है और लोग आलोक चौरसिया और कृष्णानंद त्रिपाठी के बीच होनेवाले मुकाबले की चर्चा करते नजर आते हैं। वैसे भी डाल्टनगंज को आधा बिहार ही कहा जाता है और यहां की राजनीति झारखंड के दूसरे हिस्से से अलग किस्म की होती है। चुनावी चर्चाओं में एक नाम जो बड़े जोर-शोर से लिया जा रहा है, वह है झाविमो उम्मीदवार डॉ राहुल अग्रवाल का। लोग कहते हैं कि इस नये चेहरे को उतार कर बाबूलाल मरांडी ने मुकाबले को बेहद रोमांचक बना दिया है। वर्तमान विधायक आलोक चौरसिया पिछली बार झाविमो के उम्मीदवार थे और उन्होंने त्रिपाठी को चार हजार तीन सौ से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। चुनाव जीतने के बाद वह भाजपा में शामिल हो गये और इस बार दोबारा जनता की अदालत में हैं। चौरसिया के कामकाज के बारे में लोग कोई नकारात्मक टिप्पणी तो नहीं करते, लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि इस बार उनका सफर आसान नहीं है, क्योंकि पिछली बार वह नये थे और इस बार वह पुराने हो चुके हैं। लोगों की पैनी नजर उन पर है।
डाल्टनगंज से आगे बढ़ने पर हम मनिका के पेट्रोल पंप के पास रुके। वहां भी चुनाव की चर्चा थी, लेकिन केंद्र में विधायक हरेकृष्ण सिंह का टिकट कटना था। इस बार वह चुनाव मैदान में नहीं हैं और मुकाबला तीन सिंह के बीच है। इनमें भाजपा के रघुपाल सिंह, कांग्रेस के रामचंद्र सिंह और झाविमो के राजपाल सिंह शामिल हैं। लोग बता रहे थे कि हरेकृष्ण सिंह का टिकट क्यों काटा गया, यह समझ में नहीं आ रहा है, लेकिन विधायक के रूप में उनका कामकाज इलाके के लोगों की नजर में संतोषजनक था।
डाल्टनगंज से रांची आनेवाले नेशनल हाइवे पर लातेहार से आगे बढ़ने पर चाय की दुकान में जब हम रुके, तो कुछ लोग वहां पहले से जमा थे। उनके बीच चुनाव को लेकर चर्चा हो रही थी। लातेहार विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार प्रकाश राम की चुनावी संभावनाओं को लेकर बहस हो रही थी। जींस पैंट और नीली शर्ट पहने एक युवक बोला, इस बार विधायक जी को बहुत पसीना बहाना होगा। उन्होंने बाबूलाल जी का साथ छोड़ कर ठीक नहीं किया। तभी एक अन्य प्रौढ़ बोल पड़ा, किसी भी दल में रहें विधायक जी, हमारे लिए तो दिल्ली दूर ही रहेगा ना। न पहले भेंट होती थी और न अब होगा। बैजनाथ बाबू भी तो घर बदल लिये हैं। इस बातचीत से एक चीज स्पष्ट हो गयी कि लातेहार के लोग प्रकाश राम के भाजपा में जाने को लेकर बहुत खुश नहीं हैं। लातेहार में प्रकाश राम का मुकाबला पिछली बार भाजपा उम्मीदवार के रूप में उतरे बैजनाथ राम से होगा, जो इस बार झामुमो में जा चुके हैं।
पलामू प्रमंडल की एक और प्रमुख सीट है पांकी। यहां से वर्तमान विधायक कांग्रेस के देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह का मुकाबला भाजपा के डॉ शशिभूषण मेहता और झाविमो के रुद्र कुमार शुक्ला से है। इस त्रिकोणीय मुकाबले में बुरी तरह फंसे बिट्टू सिंह के लिए अपने पिता विदेश सिंह की राजनीतिक विरासत को सुरक्षित रखने की चुनौती है, जबकि पिछली बार झामुमो के टिकट पर उतरने डॉ मेहता इस बार आर-पार के मूड में हैं। दो चुनावों में कुछेक हजार वोटों से पिछड़नेवाले डॉ मेहता यदि इस बार मैदान मार लें, तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
प्रमंडल की एक चर्चित सीट है छत्तरपुर। यहां से भाजपा ने पूर्व राजद सांसद मनोज भुइयां की पत्नी पुष्पा देवी को उतारा है, जबकि पिछला चुनाव जीते उसके विधायक राधाकृष्ण किशोर इस बार आजसू के टिकट पर मैदान में हैं। यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए जदयू की सुधा चौधरी हैं। झारखंड के दिग्गज राजनीतिज्ञ माने जानेवाले किशोर इन दो महिला प्रतिद्वंद्वियों के बीच में फंसे हुए हैं। वह इस जाल से कैसे निकलते हैं, यह देखनेवाली बात होगी।
भवनाथपुर सीट के वर्तमान विधायक भानु प्रताप शाही भी अब भाजपा में हैं और जनता का आशीर्वाद मांग रहे हैं। उनका मुकाबला पिछली बार भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरनेवाले उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे अनंत प्रताप देव और कांग्रेस के केपी यादव से है। यही हाल हुसैनाबाद का भी है, जहां से वर्तमान विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता अब आजसू के पाले में हैं। उनका मुकाबला राजद के संजय सिंह यादव के साथ-साथ राकांपा के कमलेश सिंह और भाजपा समर्थित निर्दलीय विनोद सिंह के साथ हो रहा है।
पलामू प्रमंडल की एक और मुख्य सीट विश्रामपुर है, जहां वर्तमान विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी का मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज श्रमिक नेता चंद्रशेखर दूबे उर्फ ददई दूबे के अलावा पिछली बार निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहीं अंजू सिंह से है। अंजू सिंह इस बार झाविमो की प्रत्याशी हैं, जबकि पिछली बार वह निर्दलीय हैं।
पहले चरण की 13 सीटों में लोहरदगा को सबसे हॉट सीट माना जा रहा है। यहां से प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत इस बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। उनके सामने पिछली बार उनकी प्रतिद्वंद्वी रहीं आजसू की नीरू शांति भगत और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव है। कहा जा रहा है कि लोहरदगा के अखाड़े में उतरे इन तीनों प्रमुख प्रत्याशियों के लिए यह चुनाव उनका राजनीतिक कैरियर तय करेगा।