धनबाद: सोचिंए जब पुलिस का काम आम नागरिक करने लगे तो क्या होगा? जब एसीबी, जिला प्रशासन का काम आम जन के हाथों में चला जाए तो क्या होगा? यदि ऐसा होता है तो फिर सरकार या सरकारी तंत्र की क्या आवश्यकता है, सब कुछ आमजन पर ही छोड़ देना चाहिए? साल भर से धनबाद जिला में सरकारी तंत्र का काम आमजन ने अपने जिम्मे उठा रखा है। यह कार्य कानूनी दायरे में है या फिर गैरकानूनी, इसकी फिक्र तक स्वयंसेवी, समाजिक व राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता व सदस्यों को नहीं है। जी हां! धनबाद जिला भर में साल भर से स्वयंसेवी संस्था, समाजिक संस्था कहीं निरीक्षण तो कहीं छापेमारी करने में लगे हैं।
अवैध कोयला कारोबारी हो या फिर महुआ दारु निर्माता, विद्यालय हो या फिर अनैतिक व गैरकानूनी कार्यों का स्थल। इन सभी स्थानों पर पुलिस प्रशासन, एसीबी, जिला प्रशासन, उत्पात विभाग आदि का काम धनबाद जिला के कई स्वंयसेवी व समाजिक संस्था ने उठा रखा है। कई स्वयंसेवी संस्था या समाजिक संस्था सदस्य अनैतिक व गैरकानूनी कारोबारियों के स्थल पर दबिश देकर धौंस जमा रहे हैं। सरकारी विद्यालयों, एफसीआइ अनाज गोदाम, पीडीएस दुकानदार आदि पर स्वयंसेवी संस्था व समाजिक संस्था सदस्य रौब गांठने की मंशा से या दबंगता से निरीक्षण, औचक निरीक्षण और छापेमारी करने से गुरेज नहीं कर रहे। कई राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता व अधिकारी भी इस निरीक्षण और छापेमारी के दौर में शामिल हैं।
ट्रेड सा बन गया है
साल भर से स्वंयसेवी व समाजिक संस्था सदस्यों की औचक निरीक्षण व छापेमारी सुर्खियों में है। हाल के दिनों में जोड़ापोखर थाना अंर्तगत एक समाजिक संस्था के सदस्यों ने महुआ दारु भट्टी पर दबिश दी। कारोबारी और संस्था सदस्यों के बीच मारपीट भी हुई। वाट्सअप से लेकर फेसबुक तक घटना की चर्चा छायी रही। घटना के बाद जोड़ापोखर पुलिस भी पहुंची। वहीं इससे पूर्व वार्ड 54 के सरकारी मध्य विद्यालय में एक स्थानीय समाजिक संस्था संचालक ने दबिश देकर प्रधानाध्यापक पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए, प्रधानाध्यापक को जमकर फटकारा। इसी तरह जिला के विभिन्न भागों के स्कूलों पर दबंगता और रौब गांठने के उद्देश्य से स्वयंसेवी, समाजिक व राजनीतिक दल आदि के सदस्य व पदाधिकारी दस्तक देते रहते हैं। महीना में दर्जन भर इस तरह की घटनाएं सुर्खियां बटोरती है।