रांची: राज्य में खनन विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में नवंबर माह तक 2061.13 करोड़ की वसूली की है। यह जानकारी विभाग ने गुरुवार को मुख्य सचिव की समीक्षा बैठक में दी। मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने निर्देश दिया कि जो निजी कंपनियां खनन कर रही हैं, उनका सेक्शनल मेजरमेंट करें। साथ ही उत्पादन और उठाव का मिलान चालान के साथ करें, ताकि पता लगे कि किस कंपनी ने कितना उत्पादन किया और कितना खनिज डिस्पैच किया है। उन्होंने निर्देश दिया कि जूलॉजिकल विभाग के साथ टीम बनायी जाये, ताकि सही तरीके से मेजरमेंट किया जा सके।
खनन फाउंडेशन ट्रस्ट की राशि का उपयोग खनन प्रभावित क्षेत्रों में होगा
मुख्य सचिव ने कहा कि डीएमएफटी (जिला खनन फाउंडेशन ट्रस्ट) फंड की राशि का उपयोग खनन प्रभावित क्षेत्रों में जनसमुदाय के लाभार्थ करना है। इसके तहत पाइपलाइन द्वारा स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने पर काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि धनबाद, बोकारो, चतरा और रामगढ़ जिलों में 863 करोड़ रुपये विभिन्न कोल कंपनियों द्वारा डीएमएफटी फंड के तहत लंबित हैं, जिनका भुगतान अब तक नहीं हो पाया है। उक्त राशि की प्राप्ति से करीब 2400 पेयजलापूर्ति योजनाओं का काम शुरू होगा। निर्णय हुआ कि इस संबंध में बीसीसीएल, सीसीएल, ईसीएल, सेल आदि को पत्र लिखा जायेगा, ताकि डीएमएफटी राशि के माध्यम से विकास योजनाओं को प्रारंभ किया जा सके।
राजस्व संग्रहण के लिए डीएमओ को जवाबदेह बनाया जाये
निर्देश दिया गया कि राजस्व संग्रहण के लिए डीएमओ (जिला खनन पदाधिकारी) को जवाबदेह बनाया जाये तथा दिसंबर माह में वसूली के लिए विशेष अभियान चलायें, ताकि बकाये की वसूली हो सके। सीएस ने कहा कि ओवर लोडिंग रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाये। विभागीय पदाधिकारी चतरा, बोकारो, धनबाद और रामगढ़ का भ्रमण कर वसूली करायें। वॉशकोल कंपनियों द्वारा डिमांड राशि का भुगतान नहीं किये जाने पर सभी कपंनियों को नोटिस निर्गत करने और भुगतान नहीं करने वाली कंपनियों का चालान रोकने का निर्देश दिया। विदित हो कि धनबाद में 114 करोड़, बोकारो में 08 करोड़, रामगढ़ में 215 करोड़ तथा चतरा में 526 करोड़ रुपये की राशि बकाया है।