जोधपुर: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा से संबंधित फर्म स्काईलाइट हॉस्पीटैलिटी के प्रतिनिधि की राहत के लिये दायर याचिका खारिज करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने उसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश होने का निर्देश दिया है। निदेशालय ने इस प्रतिनिधि को बीकानेर में विवादास्पद जमीन सौदे के सिलसिले में तलब किया था। प्रतिनिधि ने निदेशालय के पेशी सम्मन को चुनौती देते हुए इसी साल के प्रारंभ में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति पीके लोहरा ने शुक्रवार शाम यह याचिका खारिज करते हुये कहा कि स्काईलाइट हॉस्पीटैलिटी के प्रतिनिधि को निदेशालय के समक्ष पेश होना ही होगा लेकिन वह पूछताछ के दौरान उचित दूरी पर अपने वकील को रख सकता है। निदेशालय के वकील राजीव अवस्थी ने इस याचिका का विरोध करते हुये कहा था कि सम्मन एक खास व्यक्ति को जारी किया गया था और उससे अपेक्षा की जाती है कि वह इसे अदालत में चुनौती देने के बजाय जांच एजेंसी के सामने पेश होगा। निदेशालय ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत फर्म को नोटिस जारी किया था। यह जांच राजस्थान में सीमावर्ती बीकानेर के कोलायत में इस कंपनी द्वारा कथित रूप से 275 बीघे जमीन की खरीद से जुड़ी है। प्रवर्तन निदेशालय ने राजस्थान पुलिस की प्राथमिकियों के आधार पर पिछले साल इस मामले में धनशोधन का मामला दर्ज किया था। उससे स्थानीय तहसीलदार ने पुलिस में शिकायत की थी।
निदेशालय ने प्राथमिकी में वाड्रा या उनसे जुड़ी किसी कंपनी का जिक्र नहीं किया है बल्कि कुछ सरकारी अधिकारियों और कुछ भू-माफियाओं का उल्लेख किया है। मामला दर्ज करते हुए निदेशालय ने इन रिपोर्टों का भी संज्ञान लिया कि वाड्रा से कथित रूप से जुड़ी कंपनी ने बीकानेर में इनमें से कुछ जमीनें खरीदीं। वैसे वाड्रा ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया है। कांग्रेस ने भी कहा कि यह कार्रवाई महज राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। राजस्थान सरकार ने पिछले साल जनवरी में 374.44 हेक्टेयर जमीन की दाखिल खारिज निरस्त कर दी थी क्योंकि भूमि विभाग ने यह जानकारी मिलने का दावा किया था कि भूमि गैरकानूनी निजी व्यक्तियों को आवंटित की गयी है।