तेलंगाना में ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के चुनाव में ओवैसी की पार्टी 44 सीटें जीतने में सफल रही है. 150 सीटों वाले नगर निगम के घोषित चुनाव नतीजों में टीआरएस को 56, बीजेपी को 48 और ओवैसी को 44 सीटें मिली हैं. बहुमत का आंकड़ा 75 है, लेकिन तीनों ही पार्टियां इससे दूर हैं. जाहिर है कि ओवैसी की भूमिका निर्णायक हो गई है. पिछली बार ग्रेटर हैदराबाद में टीआरएस के पास 99 सीटें थीं और उसके पास बहुमत था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. टीआरएस को बड़ी पार्टी होने के नाते बहुमत जुटाना होगा और ऐसे में ओवैसी की भूमिका निर्णायक हो जाती है, क्योंकि मेयर का चुनाव जीतने के लिए टीआरएस को ओवैसी के समर्थन की जरूरत पड़ेगी. क्या मेयर के मसले पर एआईएमआईएम के. चंद्रशेखर राव को समर्थन देगी? इस सवाल के जवाब में ओवैसी ने एक निजी टेलीविजन चैनल से कहा, ”मुझे भारतीय राजनीति का लैला बना दिया गया है और सारे मजनूं मंडरा रहे हैं.” इसके बाद जब ओवैसी को ये याद दिलाया गया कि टीआरएस ने तीन तलाक बिल के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार का समर्थन किया था और लैला को ये देखना पड़ेगा तो एमआईएम नेता ने कहा कि के. चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना विधानसभा में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित करके कहा था कि ये तेलंगाना में लागू नहीं होगा.
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा कि मेयर और डिप्टी मेयर के मसले पर पार्टी फोरम में बैठक होगी और जो भी फैसला लिया जाएगा, उसकी सार्वजनिक घोषणा होगी. दरअसल 2016 के निगम चुनाव में बीजेपी को 4 सीटें मिली थीं. लेकिन, इस बार बीजेपी ने पूरी ताकत झोंकी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जेपी नड्डा के साथ युवा भाजपा नेताओं ने भी मोर्चा संभाला.
आक्रामक चुनाव प्रचार का असर हुआ और बीजेपी ने अपने प्रदर्शन में गजब सुधार करते हुए 48 सीटों पर कब्जा जमा लिया.
बीजेपी ने टीआरएस के वोटों में बड़ी सेंध लगाई है, लेकिन ओवैसी अपना कद और सीट बचाने में सफल रहे… इसलिए ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में के. चंद्रशेखर राव की ओवैसी पर निर्भरता बढ़ गई है.