बिहार-यूपी के लोग साजिश के तहत झारखंडी हित में बनी नीतियों को न्यायालय ले जाते हैं : हेमंत
रांची। झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि 1932 की खतियान आधारित स्थानीय नीति को मजबूत करने के लिए इसे दसवीं अनुसूची में शामिल करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष भी इसे केंद्र को भेजने के लिए राज्यपाल से आग्रह करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाई कोर्ट से नियोजन नीति रद्द की गई है। पहली बार नियोजन नीति रद्द नहीं हुई है। तीसरी बार राज्य में बने नियोजन नीति को निरस्त किया गया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के प्रदेश अध्यक्ष कह रहे हैं कि हमने रघुवर सरकार में बनाये गये नियोजन नीति को रद्द करवाया था, जबकि यह सरासर गलत है। राज्य में तीन-तीन बार कार्यपालिका से नीति बनी और हाई कोर्ट से खारिज हो गया। यह दुर्भाग्य की बात है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहा कि बिहार-यूपी के लोग साजिश के तहत झारखंडी हित में बनी नीतियों को न्यायालय में ले जाते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी बनायी नीतियों को खारिज करवाने के लिए एक आदिवासी युवा को कंप्लेंट बनाकर आगे कर दिया जाता है। फिर उसके पीछे 19 पेटीशनर आते हैं। ये सब के सब बाहरी होते हैं, क्योंकि स्थानीय नीति से तकलीफ बाहरियों को होता है। इसलिए अगर स्थानीय और नियोजन नीति को और मजबूत करना है तो हमें राज्य की भावना के साथ आगे बढ़ना होगा। हम सभी राज्यपाल से आग्रह करें कि जो नीति बनाई गई है उसे केंद्र को भेजें।
दूसरे दिन जब 12:55 पर विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक वेल में आ गये। सत्ता पक्ष के विधायक लोकसभा में हेमंत सोरेन के खिलाफ दिए गए निशिकांत दुबे के बयान का विरोध कर रहे थे जबकि विपक्ष के विधायक स्थानीय और नियोजन नीति को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।