Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Saturday, June 7
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Breaking News»विस्थापितों और मजदूरों के मसीहा थे समरेश सिंह 
    Breaking News

    विस्थापितों और मजदूरों के मसीहा थे समरेश सिंह 

    adminBy adminDecember 1, 2022No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    आजाद सिपाही संवाददाता
    रांची। झारखंड के दिग्गज राजनीतिज्ञ, पूर्व मंत्री सह बोकारो के पूर्व विधायक 81 वर्षीय समरेश सिंह का गुरुवार को सुबह साढ़े छह बजे बोकारो स्थित आवास में निधन हो गया। समरेश सिंह को एक दिन पहले ही रांची स्थित मेदांता अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी थी और उन्हें बोकारो स्थित उनके घर लाया गया था। मालूम हो कि समरेश सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बीते महीने 12 तारीख को तबीयत अधिक बिगड़ने के बाद उन्हें पहले बीजीएच और फिर रांची स्थित मेदांता अस्पताल ले जाया गया था। वहां करीब 16 दिन रहने के बाद 29 नवंबर को ही वह बोकारो लौटे थे। उस समय डॉक्टर और स्वजनों ने उनकी हालत पहले से बेहतर बताई थी, लेकिन एक दिन बाद ही उनका निधन हो गया।

    कौन थे समरेश सिंह
    मजदूर नेता समरेश सिंह का जन्म 11 अक्टूबर 1941 को बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड के लालपुर पंचायत स्थित देउलटांड़ गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम स्व अरुण सिंह और माता का नाम ब्रह्मा देवी था। स्व समरेश सिंह की प्राम्भिक शिक्षा गांव से ही हुई। उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा बरमसिया हाई स्कूल से 1955 में पास की। जिसके बाद इंटरमीडिएट और स्नातक की पढ़ाई रांची विश्वविद्यालय से पूरी की। स्व समरेश सिंह का विवाह बांकुड़ा की रहने वाली भारती सिंह से हुई थी। उनका देहांत भी 2017 में हो चुका है। स्व सिंह के तीन पुत्र हैं। सबसे बड़ा बेटा राणा प्रताप सिंह दूसरा सिद्धार्थ सिंह और सबसे छोटे पुत्र संग्राम सिंह हैं।

    समरेश सिंह का राजनीतिक सफर

    बोकारो के पूर्व विधायक स्व समरेश सिंह भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे थे। वे एक अच्छे वक्ता थे। वे हिंदी और बांग्ला में धाराप्रवाह भाषण दिया करते थे। उनको सुनने को दूर दराज से लोग आते थे। स्व सिंह समाजिक सेवा के क्षेत्र में 1974 से राजनीति की शुरूआत की थी। उन्होंने 1974 में मजदूरों का यूनियन नेता बने। स्व समरेश भारतीय मजदूर संघ(बीएमएस) के अग्रणी नेता थे। उन्होंने कोलयरी क्षेत्र के मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय और शोषण के विरुद्ध आवाज उठाया। उनकी बुलंद आवाज और शेर की दहाड़ से कोलयरी क्षेत्र के अधिकारियों में एक प्रकार का दहशत जाता था। स्व समरेश सिंह ने 80 के दशक में क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ की स्थापना की थी। वे मजदूरों के हक को दिलवाने में काफी सफल रहे। उनके कामों से कोलयरी क्षेत्र के मजदूर उनपर आंख मूंद कर विश्वास करने लगे।

    मजदूर उन्हें प्यार से दादा कह कर सम्बोधित करते थे

    मजदूरों के निवेदन और अपनी लोकप्रियता को देखते हुए वे पहली बार 1977 में बाघमारा विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़े और उन्हें चुनाव में जीत हासिल हुई। उनका चुनाव चिन्ह था कमल का निशान। जब जनता पार्टी का विघटन हुआ और भाजपा की नींव रखी गयी तो समरेश सिंह भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे। जब मुंबई में 1980 में भाजपा के प्रथम अधिवेशन का आयोजन किया गया उस अधिवेशन में स्व समरेश सिंह ने ही कमल निशान का चिह्न रखने का सुझाव दिया था। जिसे केंद्रीय नेताओं ने मंजूरी दी थी। क्योंकि समरेश सिंह को 1977 के चुनाव में कमल निशान पर ही जीत मिली थी। बाद में समरेश सिंह भाजपा से 1985 में बोकारो से विधायक निर्वाचित हुए। उसके बाद 1985 में सिंह ने इंदर सिंह नामधारी के साथ मिलकर भाजपा में विद्रोह कर 13 विधायकों के साथ संपूर्ण क्रांति दल का गठन किया था। पर कुछ ही दिनों के बाद संपूर्ण क्रांति दल का विलय भाजपा में कर दिया गया। वर्ष 1995 में समरेश सिंह ने भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन वह हार गये। इसके बाद वर्ष 2000 का चुनाव उन्होंने झारखंड वनांचल कांग्रेस के टिकट पर लड़ा। फिर 2009 में झाविमो के टिकट पर विधायक बने। बाद में भाजपा में शामिल हो गये। वहीं 2014 में भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर वह निर्दलीय चुनाव लड़े व हारे गए।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleसांसद निशिकांत दुबे को हाई कोर्ट से मिली राहत
    Next Article हजारीबाग में तीन सौ ग्राम ब्राउन शुगर के साथ चार गिरफ्तार।
    admin

      Related Posts

      राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का देवघर दौरा स्थगित

      June 7, 2025

      प्रधानमंत्री ने चिनाब रेलवे पुल का किया उद्घाटन, वंदेभारत ट्रेन को दिखाई हरी झंडी

      June 6, 2025

      मुख्यमंत्री ने गुपचुप कर दिया फ्लाईओवर का उद्घाटन, ठगा महसूस कर रहा आदिवासी समाज : बाबूलाल

      June 6, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का देवघर दौरा स्थगित
      • प्रधानमंत्री ने चिनाब रेलवे पुल का किया उद्घाटन, वंदेभारत ट्रेन को दिखाई हरी झंडी
      • मुख्यमंत्री ने गुपचुप कर दिया फ्लाईओवर का उद्घाटन, ठगा महसूस कर रहा आदिवासी समाज : बाबूलाल
      • अलकतरा फैक्ट्री में विस्फोट से गैस रिसाव से कई लोग बीमार, सड़क जाम
      • लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर की गयी मंईयां सम्मान योजना की राशि
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version