Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Saturday, May 10
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»झारखंड»रांची»झारखंड में महागठबंधन की कवायद
    रांची

    झारखंड में महागठबंधन की कवायद

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीMay 10, 2017No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    रांची: मिशन 2019 सिर्फ भाजपा का ही मिशन नहीं है। झारखंड में तमाम विपक्षी दलों ने भी मिशन 2019 को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा को पछाड़ने के लिए सबने यह मान लिया है कि महागठबंधन जरूरी है। यही कारण है कि झारखंड में भी महागठबंधन को लेकर कवायद तेज हो गयी है। सबसे बड़ी बात है कि मुख्य विरोधी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) आनेवाले दिनों में राष्ट्रीय स्तर पर बननेवाले विपक्षी महागठबंधन का हिस्सा हो सकता है। इस बाबत दल के भीतर सुगबुगाहट हो रही है। हालांकि राज्य की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति इस संबंध में अंतिम फैसला लेने में मददगार होगी।
    पिछले दिनों राजभवन के समक्ष नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के खिलाफ हुए प्रदर्शन में हेमंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी, सुखदेव और बंधु तिर्की की चौकड़ी जुटी थी। यह इस बात का इशारा था कि कहीं न कहीं कुछ न कुछ दाल जरूर पक रही है। झामुमो इस शर्त के साथ विपक्षी महागठबंधन का हिस्सा बन सकता है, जब पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन का नेतृत्व झारखंड में तमाम भाजपा विरोधी दल मानें।

    सत्ता में भागीदारी के बाद भी नहीं हुआ था तालमेल
    पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इसी मसले पर कांग्रेस संग झामुमो का तालमेल नहीं हो पाया था, जबकि दोनों दल हेमंत सोरेन की अगुवाई में राजद के साथ मिलकर सत्ता में सक्रिय भागीदारी कर रहे थे। हालांकि राजद ने झामुमो के साथ समन्वय बनाकर चलने का फैसला लिया है, लेकिन बिहार से सटे रहने के बावजूद राज्य में उसके प्रत्याशी खाता तक खोलने में असफल रहे। राजद के खाते की विधानसभा सीटें कोडरमा, गोड्डा, हुसैनाबाद, देवघर और चतरा भी हाथ से निकल गयीं। इन सीटों पर उसके प्रत्याशी हार गये।

    राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन से खुलेगा रास्ता
    झारखंड में सभी जानते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर तालमेल होने के बाद ही राज्य में गठबंधन का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। विपक्षी महागठबंधन के पक्ष में सबसे ज्यादा मुखर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद हैं। यूपी चुनाव के पूर्व भी उन्होंने इसका प्रयास किया था। अब फिर उन्होंने महागठबंधन का राग छेड़ा है। झारखंड में झामुमो को किनारे कर इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। झामुमो और राजद के बीच बेहतर रिश्ते रहे हैं। लालू प्रसाद के राजनीतिक करियर में झामुमो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बिहार में लालू प्रसाद के नेतृत्व में बनी सरकार में झामुमो भी शामिल था।

    झामुमो राज्य के बाहर भी प्रभावी
    झारखंड के अलावा झामुमो की उपस्थिति पश्चिम बंगाल और ओड़िशा में भी है। उत्तर बंगाल के आदिवासी इलाकों में पार्टी की गहरी पैठ है। इसके अलावा झारखंड की सीमा से सटे ओड़िशा में भी झामुमो की बेहतर उपस्थिति रही है। इन इलाकों में चुनावी गणित में उलटफेर का माद्दा पार्टी रखती है।

    नीतीश को लेकर हो सकती रार
    झारखंड में बिहार के सीएम नीतीश कुमार को लेकर रार है। पिछले कुछ दिनों तक झाविमो के साथ रहे नीतीश इन दिनों सालखन मुर्मू के साथ राग मिला रहे हैं। दरअसल राष्ट्रीय फलक पर पहचान बनाने की हसरत में वह झारखंड में जमीन तलाश रहे हैं। यही कारण है कि कभी बाबूलाल, तो कभी सालखन के साथ खड़े हो जाते हैं। राजद से इतर जदयू के साथ झामुमो को परेशानी हो सकती है। इसकी वजह जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार की राजनीति है। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य गठबंधन को लेकर सकारात्मक तो नजर आते हैं, लेकिन नीतीश कुमार के रवैये का भी जिक्र करते हैं। उनके मुताबिक नीतीश कुमार कभी झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी संग खड़े दिखते हैं, तो कभी भाजपा के पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के साथ। झारखंड में उन्हें अपनी राजनीतिक भूमिका तय करनी होगी। अन्य दल नेतृत्व मानें तो विचार हो सकता है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleराष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी ताकतों के बीच बढ़ा है वैचारिक संघर्ष : सीएम
    Next Article यूपी: अब योगी अंदाज में नजर आएंगे स्कूली बच्चे
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलना दुर्भाग्यपूर्ण: बाबूलाल मरांडी

    May 9, 2025

    बूटी मोड़ में मिलिट्री इंटेलिजेंस और झारखंड एटीएस का छापा, नकली सेना की वर्दी बरामद

    May 9, 2025

    रांची एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर बरती जा रही विशेष सतर्कता

    May 9, 2025
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलना दुर्भाग्यपूर्ण: बाबूलाल मरांडी
    • बूटी मोड़ में मिलिट्री इंटेलिजेंस और झारखंड एटीएस का छापा, नकली सेना की वर्दी बरामद
    • कर्नल सोफिया ने बताया- तुर्की के ड्रोन से पाकिस्तान ने किया हमला, भारतीय सेना ने मंसूबों को किया नाकाम
    • गृह मंत्रालय ने राज्यों को आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया
    • मप्र में सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक, मुख्यमंत्री ने बुलाई उच्च स्तरीय बैठक
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version