कश्मीर घाटी में पिछले कुछ महीनों से चल रहा हिंसा और पत्थरबाजी का दौर खत्म नहीं हो रहा है। अलगाववादियों ने कश्मीरी लोगों चाहें वे महिलाएं हों, युवा हों या फिर स्कूली बच्चे, सबके हाथों में ‘नफरत के पत्थर’ थमा दिए हैं। आतंकवादियों के खिलाफ सेना के सर्च आॅपरेशन को रोकने के मकसद से ये लोग जवानों पर पत्थरबाजी करते हैं। हिंसा और पत्थरबाजी ने घाटी में एक ओर विकास को रोेके रखा है तो दूसरी ओर युवाओं के भविष्य पर सवाल खड़ा कर दिया है।
अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस के जो नेता कश्मीरियों के हाथों में पत्थर थमाने के लिए जिम्मेदार हैं, उनको घाटी के युवाओं के भविष्य की चिंता नहीं है लेकिन अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य का ख्याल जरूर है। उनके बच्चे पत्थरबाजी और हिंसा से दूर अच्छी तालीम ले रहे हैं और बेहतर जीवन जी रहे हैं। तो सवाल यह है कि क्या कश्मीर के युवाओं को अपना सुनहरा भविष्य देखने का हक नहीं है।
आइए एक नजर डालते हैं हुर्रियत के उन बड़े नेताओं के दोहरे चेहरे पर, जो घाटी के युवाओं का जीवन बर्बाद कर रहे हैं, लेकिन अपने बच्चों को अच्छी तालीम और ऐश-ओ-आराम की जिंदगी दे रहे हैं।
1. सैयद अली शाह गिलानी: इनका एक बेटा नईम गिलानी पाकिस्तान के रावलपिंडी में डॉक्टर है तो दूसरा बेटा जहूर अपने ही देश में एक विमान कंपनी में चालक दल का सदस्य है। वहीं, गिलानी की बेटी जेद्दाह में टीचर है और उसका पति इंजीनियर है।
2. गिलानी धड़े के महासचिव मोहम्मद अशरफ सेहरई: उन्होंने अपने बेटे आबिद को बेहतर तालीम दिलाई है, वह दुबई में कंप्यूटर इंजीनियर है।
3. मीरवाइज उमर फारूक: इनकी बहन राबिया फारूक अमेरिका में डॉक्टर हैं।
4. गुलाम मुहम्मद सुमजी: इनका बेटा जुगनू दिल्ली के मैनेजमेंट कॉलेज में पढ़ता है।
5. फरीदा बहनजी: इनका बेटा रूमा मकबूल दक्षिण अफ्रीका में रहता है और वहां पर डॉक्टर है।
6. हाशिम कुरैशी: डेमोक्रेटिक लिबरेशन पार्टी के नेता के दो बेटे इकबाल और बिलाल लंदन में रहते हैं।
7. अयाज अकबर: इनका बेटा सरवार याकूब पुणे में मैनेजमेंट का छात्र है।
8. अब्दुल अजीज डार: इनके दो बेटे उमर डार और आदिल डार पाकिस्तान में तालीम ले रहे हैं।
9. असिया अंद्राबी: दुखतरान ए मिल्लत की इस नेता की बहन मरियम अपने परिवार के साथ मलेशिया में रहती हैं। असिया के बड़े बेटे मोहम्मद बिन कासिम ने मलेशिया से बीटेक किया है और फिलहाल आॅस्ट्रेलिया में आगे की पढ़ाई कर रहा है।