विशेष
-41 सेकेंड में खत्म हो गयी 41 साल तक डॉन रहे अतीक अहमद की कहानी
-पर इसके पीछे की साजिशों का खुलासा करना है बेहद जरूरी
करीब 41 साल तक पूरे उत्तरप्रदेश के अपराध जगत पर राज करनेवाले खूंखार डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का अंत उन्हीं असलहों से हुआ, जिनके बल पर वे सैकड़ों जान ले चुके थे। 41 साल के जरायमपेशे की कहानी महज 41 सेकेंड में खत्म तो हो गयी, लेकिन इस हत्याकांड ने कुछ सवाल पैदा कर दिये हैं, जिनका जवाब तलाशे जाने की जरूरत है। अतीक और उसके भाई के हत्यारों ने जिस पेशेवर अंदाज में गोलियां बरसायीं और मकसद पूरा होने के तुरंत बाद घटनास्थल पर ही सरेंडर भी कर दिया, उससे साफ लगता है कि यह पूरी साजिश अच्छी तरह सोच-समझ कर रची गयी थी। तीनों हमलावर आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं और उन्होंने कहा है कि वे अपराध की दुनिया में बड़ा नाम बनना चाहते थे, इसलिए अतीक और अशरफ की हत्या की। हत्या के असल कारण और उसके पीछे की साजिश का पता तो विस्तृत जांच के बाद ही लगाया जा सकेगा, लेकिन सवाल यह है कि क्या अतीक अहमद ने पूछताछ के दौरान कुछ ऐसे नाम लिये थे, जिनको खतरा पैदा हो गया था और उन्होंने अतीक के खात्मे के लिए इन तीन युवकों को तैयार किया हो। वैसे कई सफेदपोशों का अतीक चहेता भी रहा है। उनका राजदार भी रहा है। कहीं कोई बेपर्द राज तो अतीक नहीं खोल देता, जिससे कुछ सफेदपोशों को परेशानी हो सकती थी। पुलिसिया जांच इस एंगल से भी होनी चाहिए। लेकिन सोचनेवाली बात यह है कि अगर यह थ्योरी सही है तो अतीक की हैसियत उन सफेदपोशों की नजर में मात्र प्यादे की रही होगी। जब चाहा उठा दिया, जब चाहा दुनिया से उठा दिया। इस सनसनीखेज हत्याकांड की अब तक सामने आयी कड़ियां बताती हैं कि हमलावर नौसिखिये नहीं थे। इतना फुल प्रूफ प्लान कोई नौसिखिया तो नहीं बना सकता। बिना मजबूत संरक्षण के यह काम करना भी आसान नहीं है। कोई तो राज है, जो अतीक अपने साथ ले गया। वैसे देखा जाये, तो अतीक अहमद जैसे खूंखार डॉन को मारने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं। निजी दुश्मनी, राज खुलने का डर या फिर मार कर नाम कमाना। लेकिन मार कर नाम कमानेवाली थ्योरी अटपटी लगती है। खैर जो भी हो, प्रयागराज से शुरू हुई अतीक अहमद की अपराध की कहानी वहीं खत्म तो हो गयी, लेकिन साथ ही अतीक की हत्या ने कई सवालों को जन्म भी दे दिया है। अतीक की हत्या, हमलावरों और तैरते सवालों की पृष्ठभूमि के बारे में बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल में मेडिकल जांच कराने के लिए लाये गये माफिया अतीक अहमद और अशरफ की शनिवार देर रात गोली मार कर हत्या कर दी गयी। दोनों को पांच दिनों की रिमांड के दौरान मेडिकल जांच के लिए कॉल्विन अस्पताल लाया गया था। तभी तीन हमलावरों ने मीडिया की भीड़ में शामिल होकर अतीक पर गोली दाग दी। अतीक मीडियाकर्मियों से बात करते हुए आगे बढ़ा ही था कि एक शूटर ने पीछे से आकर उसके सिर के पिछले हिस्से में बायीं ओर गोली दागी। इसके बाद अतीक जमीन पर गिर गया। उधर गोली चलने की आवाज सुन कर अशरफ अपने भाई अतीक को संभालने के लिए पीछे मुड़ा तो उसके चेहरे पर भी गोली दाग दी। दोनों वहीं ढेर हो गये। हमलावरों ने सधे हुए अंदाज में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को महज 18 सेकंड के भीतर मौत की नींद सुला दी। कुल 41 सेकंड में वारदात को अंजाम देकर शूटर अपने मकसद में कामयाब हो चुके थे। 10:37 मिनट पर शूटरों ने पहली गोली दागी, फिर ताबड़तोड़ फायरिंग। 10:38 तक अतीक और अशरफ दोनों लहूलुहान होकर जमीन पर लुढ़के पड़े थे। उनकी मौत हो चुकी थी। अतीक और अशरफ को मौत के घाट उतारनेवाले शूटरों ने नाइन एमएम की पिस्टल का इस्तेमाल किया। मौके से तीन नाइन एमएम पिस्टल बरामद की गयीं। साथ ही नाइन एमएम कारतूस के 11 खोखे भी बरामद हुए हैं। जिन हथियारों के बल पर अतीक ने कई माताओं की गोद को सुना किया था, आज उन्ही हथियारों से वह सड़क पर खून से लथपथ मरा हुआ पड़ा था। चंद सेकंड में ही उसका काम तमाम हो गया। 41 साल का साम्राज्य 41 सेकंड में ढह गया।
उत्तरप्रदेश के अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह रहे अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल की रात प्रयागराज के अस्पताल के बाहर पुलिस हिरासत में हुई हत्या ने देश में बहुत बड़ी बहस छेड़ दी है। लेकिन राजनीतिक नजरिये से इतर जाकर हत्या के इस वारदात ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। इस दुस्साहसिक दोहरे हत्याकांड के पीछे शक की सूई रसूखदार सफेदपोशों की ओर भी घूमने लगी है। एक दिन पहले ही धूमनगंज थाने में पूछताछ में माफिया ने कई बिल्डरों और बड़े लोगों से अपने रिश्तों का खुलासा किया था। संभव है कि राज खुलने के डर से माफिया और उसके भाई की जान ली गयी है। फिलहाल पुलिस इस पहलू पर पैनी नजर रखे हुए है। पूरा मामला तो विस्तृत जांच के बाद सामने आयेगा, लेकिन हत्याकांड से जुड़े सवालों की फेहरिस्त में फिलहाल तीन सवाल बेहद अहम हो गये हैं।
सवाल नंबर-1: राज खुलने के डर से करायी गयी हत्या?
पूरे 41 साल तक आतंक के बल पर यूपी को दहलानेवाले अतीक अहमद ने रिमांड के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे किये थे। उसने प्रयागराज समेत यूपी भर में अपनी काली कमाई के बल पर खड़े किये गये आर्थिक साम्राज्य में पार्टनर के तौर पर कई बड़े और सफेदपोशों के नाम गिनाये थे। ये वो नाम हैं, जिन्होंने अतीक के काले धन को अपनी कंपनियों में लगाया है। ऐसी दो सौ से अधिक कंपनियों के बारे में पता चला था। रीयल इस्टेट कारोबार में अतीक की कमाई खपानेवालों के अलावा कई सफेदपेशों तक आंच आने लगी थी। इस तरह के 50 से अधिक नामों का अतीक ने खुलासा किया था। अपराध की दुनिया में दखल रखनेवाले माफिया के कई राजनीतिक दलों के नेताओं से भी गहरे रिश्ते रहे। अतीक राजनीतिक दलों को साधने में भी बखूबी माहिर था। यही वजह थी कि दो दशकों तक उसकी अंगुलियों पर सरकारें नाचती रहीं और आला पुलिस अधिकारी उसके सियासी रसूख के आगे घुटने टेकते रहे। ऐसे में क्या यह संभव नहीं लगता कि इन बड़े सफेदपोशों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए अतीक को रास्ते से हटाने की साजिश रची हो? इतना ही नहीं, इडी ने इसी सप्ताह प्रयागराज में अतीक अहमद और उसके करीबियों के 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान 84.68 लाख नगद, 60 लाख के जेवरात और 2.85 करोड़ की संपत्ति के कागजात जब्त किये गये। साल 2004 में अतीक अहमद ने एक बयान में कहा था, क्या पता एनकाउंटर होगा या पुलिस मारेगी या कोई अपनी बिरादरी का सिरफिरा। सड़क के किनारे पड़े मिलब। उसने फूलपुर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के दौरान पत्रकारों से यह बात कही थी। 19 साल बाद पुलिस कस्टडी में उसकी हत्या हुई, तो बयान दोबारा चर्चा में आ गया।
सवाल नंबर- 2: लश्कर या आइएसआइ की करतूत?
पुलिस पूछताछ में अतीक ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और आतंकी संगठन लश्करे तैयबा से अपने संपर्क की बात स्वीकार की थी। उसने यह भी कहा था कि इन दोनों संगठनों के भारतीय एजेंटों से वह लगातार संपर्क में रहा था। इसलिए हो सकता है कि इन भारत विरोधी विदेशी संगठनों के भारतीय एजेंटों ने अतीक को हमेशा के लिए खत्म करने की साजिश रची हो। वैसे पूरे यूपी में अतीक अहमद की दबंगई रही। ऐसे में उसके दुश्मनों की कोई कमी नहीं थी। उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस अतीक पर तेजी से कार्रवाई कर रही थी। ऐसे में अतीक का कुनबा बिखरा हुआ था। शूटर भागे हुए थे। किसी पुराने दुश्मन के लिए बदला लेने का यह मुफीद समय था और उसने अतीक और अशरफ की हत्या करवा दी हो।
सवाल नंबर-3 : अपराधियों का ग्लैमराइजेशन
अतीक और अशरफ पर गोलियां बरसानेवाले तीन हमलावरों ने पुलिस को बताया है कि उनका मकसद अपराध की दुनिया में बड़ा नाम बनने का था। इसके लिए अतीक की हत्या से अच्छा मौका उन्हें नहीं मिल सकता था। उनकी यह बात काफी हद तक सही भी लगती है। जिस तरह अतीक अहमद को यूपी की राजनीति में पहचान मिली और देश के दूसरे राज्यों में भी अपराधी सरगनाओं को ग्लैमराइज किया जाता रहा है, इन तीन मामूली बदमाशों की यह आकांक्षा भी मजबूत हो ही सकती है। पुलिस की पूछताछ में भी यह बात सामने आयी है कि वे बड़े माफिया बनना चाहते हैं। इसीलिए अतीक और अशरफ की हत्या की। आरोपियों ने कहा कि कब तक छोटे-मोटे शूटर रहेंगे। बड़ा माफिया बनना है, इसलिए हत्याकांड को अंजाम दिया।
क्या कहा है हमलावरों ने
इन तीन सवालों के अलावा अतीक-अशरफ हत्याकांड में कई और सवाल उठेंगे। जैसे-जैसे इसकी जांच आगे बढ़ेगी, सवालों की कड़ी भी आगे बढ़ती रहेगी। ऐसे में यह जानना भी अहम हो जाता है कि अतीक और अशरफ को मारनेवाले बदमाशों ने पुलिस को क्या बताया है। हत्याकांड के बारे में दर्र्ज एफआइआर के मुताबिक हमलावरों ने बताया कि वे लोग पुलिस के घेरे का अनुमान नहीं लगा पाये और हत्या करके भागने में कामयाब नहीं हुए। पुलिस की तेजी से की गयी कार्रवाई में पकड़े गये। उन्होंने बताया है कि अतीक और अशरफ की पुलिस रिमांड की सूचना जबसे उन्हें मिली थी, तबसे वे मीडियाकर्मी बन कर यहां की स्थानीय मीडिया कर्मियों की भीड़ में रह कर इन दोनों को मारने की फिराक में थे। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने पुलिस को बताया कि हत्याकांड को अंजाम देने से दो दिन पहले ही उन्होंने होटल में अपना ठिकाना बना लिया था। पुलिस की जांच आगे बढ़ने के साथ-साथ ही कई खुलासे हो रहे हैं। जांच में यह बात सामने आयी है कि अतीक और अशरफ के हत्यारों ने प्रयागराज में रुकने के लिए किराये पर होटल लिया था और 48 घंटे से होटल में ठहरे हुए थे। हत्यारे जिन होटलों में रुके थे, पुलिस को वहां सुबह छापेमारी में एक हत्यारे का बैग मिला है। बाकी हत्यारों का सामान अब भी होटल में होने की संभावना है।
कौन हैं अतीक के तीनों हत्यारे
अतीक और अशरफ की हत्या करनेवाले तीनों युवकों के नाम सनी, अरुण और लवलेश हैं। पुलिस रिकॉर्ड में भी तीनों को शातिर अपराधी बताया गया है। पुलिस ने तीनों हत्यारों से पूछताछ शुरू कर दी है। अतीक और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों आरोपी प्रयागराज के रहनेवाले नहीं हैं। अब तक की पूछताछ में पता चला है कि अतीक और अशरफ की हत्या करनेवाला लवलेश तिवारी बांदा का रहने वाला है, जबकि अरुण मौर्य हमीरपुर का निवासी है। तीसरा आरोपी सनी कासगंज जनपद से है।
कम उम्र में बन गये थे अपराधी
पुलिस के अनुसार तीनों हमलावर शातिर अपराधी हैं। कम उम्र में ही उन्होंने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था। तीनों ही हत्या और लूट सहित कई संगीन आरोपों में लिप्त रह चुके हैं। तीनों कई बार जेल भी जा चुके हैं और जेल में ही तीनों की दोस्ती हुई थी। अतीक और अशरफ की हत्या कर वे डॉन बनना चाहते थे। शुरूआती पूछताछ में पुलिस को तीनों गुमराह करते दिखे और बयानों में समानता नहीं थी। सनी ने शुरूआत में कहा कि वह प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता है। वहीं दूसरे हत्यारे ने भी खुद को छात्र ही बताया। कड़ी पूछताछ में तीनों युवक आपराधिक पृष्ठभूमि के निकले।
लवलेश के पिता बोले, परिवार से कोई लेना-देना नहीं
अतीक अहमद की हत्या में शामिल आरोपी लवलेश बांदा में शहर कोतवाली के क्योटरा मोहल्ले का रहनेवाला है। पुलिस ने लवलेश के घर का भी पता कर लिया है। लवलेश के पिता ने बताया कि चार भाइयों में लवलेश तीसरे नंबर का है। लवलेश का परिवार से कोई लेना-देना नहीं है। वह परिवार के साथ बेहद कम रहता है। पिता ने बताया है कि लवलेश को नशे की लत है और वह कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। इधर लवलेश के छोटे भाई ने भी बताया कि लवलेश नशे का आदी था और तीन-चार साल पहले एक लड़की को थप्पड़ मारने में जेल गया था। करीब एक सप्ताह पहले वह घर से गया था। लवलेश घर पर कभी-कभार ही आता था। वह गलत संगत में था। उसने बताया कि पिता एक स्कूल में बस चलाते हैं। इन लोगों को घटना की जानकारी टीवी से मिली। जब टीवी पर भाई का चेहरा देखा, तो पहले यकीन नहीं हुआ। लवलेश की मां और पिता अवसाद में हैं।
लवलेश की मां बोली, बहुत धार्मिक था मेरा बेटा
हमलावरों में से एक लवलेश तिवारी की मां ने रविवार को कहा कि मेरा बेटा बहुत धार्मिक था। मां आशा देवी ने रोते-बिलखते हुए कहा कि पता नहीं, उसके नसीब में क्या लिखा था। मां ने भावुक होते हुए कहा कि वह गहरा धार्मिक था और दर्शन के लिए नियमित रूप से मंदिरों में जाता था। जब से वह घर से निकला है, हमने उससे बात नहीं की है। उसका फोन भी स्विच आॅफ था।
सनी सिंह का भाई बोला, परिवार से अलग रहता है भाई
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को गोली मारनेवाले सनी सिंह के भाई पिंटू सिंह ने हमीरपुर में कहा कि वह कुछ नहीं करता था और उसके ऊपर पहले से भी मामले दर्ज़ हैं। हम लोग तीन भाई थे, जिसमें से एक की मृत्यु हो गयी। सनी ऐसे ही घूमता-फिरता रहता था और फालतू के काम करता रहता था। हम उससे अलग रहते हैं। वह बचपन में ही घर से भाग गया था।
अरुण मौर्य के घर में कोई नहीं
तीसरा हमलावर अरुण मौर्य यूपी के कासगंज के सौरों इलाके का रहनेवाला है। पुलिस अरुण की चाची से पूछताछ कर रही है। जानकारी के अनुसार, अरुण पिछले छह सालों से घर से बाहर है। उसके माता-पिता जीवित नहीं हैं और उसके घर में भी कोई नहीं है।