विशेष
-अश्लील चैट से डीएनए जांच तक पहुंच गया मामला
-व्यक्तिगत हमलों से राज नेताओं को बचना चाहिए
अपने 23 साल के सफर में झारखंड ने कई सियासी उतार-चढ़ाव देखे और महसूस किये हैं। इतनी छोटी अवधि में इसने जो सियासी अनुभव हासिल किया है, वह शायद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के किसी भी प्रदेश के पास नहीं होगा। जोड़-तोड़ और मोल-भाव की राजनीति से लेकर राजनीतिक भ्रष्टाचार और भीतरी-बाहरी से लेकर मंत्रियों के जेल जाने तक का गवाह झारखंड के सवा तीन करोड़ लोग बने हैं। फिलहाल झारखंड में बन्ना गुप्ता का अश्लील वीडियो मामला हॉट केक बना हुआ है। लेकिन अब यह मामला व्यक्तिगत भी हो चला है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और विधायक सरयू राय एक-दूसरे पर लगातार हमले कर रहे हैं। अब तो इस प्रकरण में रांची के विधायक सीपी सिंह भी कूद गये हैं। ये नेता एक दूसरे की पर्सनल लाइफ की गहराइयों में झाकने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन व्यक्तिगत हमलों से राज नेताओं को बचना चाहिए। इसमें भला किसी का नहीं। बन्ना गुप्ता का जो कथित वीडियो वायरल हुआ है, वह उनकी पर्सनल लाइफ से जुड़ा मामला है। वैसे बन्ना गुप्ता ने उस कथित वीडियो में किसी को मोलेस्ट नहीं किया है। जो भी वीडियो में दिख रहा है, वह आपसी सहमति के द्वारा बातचीत नजर आती है। वैसे बन्ना अपने वायरल वीडियो को फेक बता रहे हैं। पर लोग इतने भी अज्ञानी नहीं हैं कि क्या फेक है और क्या असली, उसकी पहचान न कर पायें। वैसे देखा जाये, तो हर किसी की अपनी पर्सनल लाइफ होती है। वह क्या कर रहा है, क्या नहीं कर रहा है, उसका निजी जीवन है। लेकिन अपनी गलती को ढंकने के लिए किसी और की पर्सनल लाइफ पर अटैक करना कहां से सही है। बन्ना गुप्ता को भी यह समझना चाहिए। वैसे सरयू राय ने भी बन्ना गुप्ता को खुल कर जवाब दिया है। लेकिन बन्ना सरयू की लड़ाई ऐसे मोड़ पर आ गयी है, जहां लोग व्यक्तिगत हमलों का चटखारा ले रहे हैं। फेसबुक, ट्वीटर से लेकर व्हाट्सएप ग्रुप तक लोग अपनी क्रिएटिविटी का अविस्मरणीय परिचय दे रहे हैं। शब्द भेदी बाण चला रहे हैं। झारखंड की राजनीति में यह जरूर देखने को मिला है कि जब एक विधायक ने अपने बदले अपने पिता को मंत्री बनवा दिया था या एक निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री बन गया था या एक युवक को उसकी पिता की विरासत के आधार पर विधायक बनने से पहले ही मंत्री बना दिया गया या फिर झारखंड का कैश कांड। लेकिन इस बार मामला सड़क से शुरू होकर नेताओं की पर्सनल लाइफ तक पहुंच गया है। आज झारखंड की राजनीति में जिस तरह एक-दूसरे के चरित्र पर हमले किये जा रहे हैं, वह आश्चर्यजनक नहीं, तो शर्मसार करनेवाला जरूर है। नेताओं को समझना चाहिए कि ऐसे आरोपों-प्रत्यारोपों से उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा भले ही पूरी हो जाये, झारखंड का भला नहीं हो सकता है। यह प्रकरण अचानक से ही सुर्खियों में आ गया और इसका अंतिम परिणाम क्या होगा, इस बारे में अब तक किसी को कोई अनुमान नहीं है। बन्ना गुप्ता और सरयू राय के बीच पैदा हुए इस नये विवाद के बारे में बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
झारखंड की सियासत में इन दिनों हड़कंप मचा हुआ है। राज्य की राजनीति अश्लील वीडियो से होते हुए डीएनए जांच तक आ पहुंची है। राजनीतिक मंचों का वाद-विवाद अब व्यक्तिगत आरोप और घरों के भीतर तक आ पहुंचा है। राज्य के दो बड़े नेता एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं। जमशेदपुर पूर्वी से कांग्रेस विधायक और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और जमशेदपुर पश्चिमी से निर्दलीय विधायक सह पूर्व मंत्री और भ्रष्टाचार के खिलाफ अथक लड़ाई लड़ने के लिए मशहूर सरयू राय के बीच तीखी जुबानी जंग जारी है।
क्या है पूरा मामला
यह पूरा मामला रविवार देर शाम शुरू हुआ, जब गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने अपने ट्विटर खाते से एक वीडियो जारी किया, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और एक महिला के बीच अश्लील वीडियो चैटिंग थी। करीब 22 सेकेंड के इस वीडियो के वायरल होने के बाद सरयू राय ने एक के बाद एक सिलसिलेवार ट्वीट के जरिये स्वास्थ्य मंत्री पर निशाना साधा। सरयू राय ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी ने कहा था कि उनके मंत्री अच्छा काम कर रहे हैं। लगता है, यही अच्छा काम है। भाजपा भी मंत्री पर हमलावर हुई और इस्तीफा मांगने लगी।
महिला ने पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा
इस प्रकरण में मोड़ उस समय आया, जब उस अश्लील वीडियो चैट में दिख रही महिला ने एक वीडियो बयान जारी कर खुद को बदनाम करने की साजिश बताया। सरयू राय ने उस महिला के बारे में कहा कि वह जमशेदपुर की एक फर्नीचर दुकान में काम करती है। उस दुकान के मालिक समाजवादी पार्टी में थे और बाद में झारखंड विकास मोर्चा से होते हुए भाजपा में आ गये। महिला ने कहा कि वह बन्ना गुप्ता को जानती तक नहीं है और यह सब उसे बदनाम करने की नीयत से किया गया है।
सरयू-बन्ना की जुबानी जंग
इसके बाद सरयू राय और बन्ना गुप्ता के बीच जुबानी जंग का मामला और गरमा गया। बन्ना गुप्ता ने इस पूरे प्रकरण को राजनीतिक साजिश करार दिया। उन्होंने इसके साथ सरयू राय पर भी जम कर हमला बोला। उन्होंने सरयू राय के निजी जीवन पर आपत्तिजनक टिप्पणी की और कहा कि पूजा में उनकी बायीं ओर कौन महिला बैठती है, यह स्पष्ट करना चाहिए। उनके साथ रहनेवाला युवक कौन है। सरयू राय को डीएनए टेस्ट कराना चाहिए। मंत्री ने कहा कि सरयू राय को यह भी बताना चाहिए कि उनकी पत्नी का निधन स्वाभाविक था या अस्वाभाविक। यहां एक बात स्पष्ट है कि बन्ना गुप्ता का मामला अलग है। वह वीडियो में खुद बोलते हुए दिख रहे हैं। इसी तरह सीपी सिंह का मामला भी अलग है। सीपी सिंह वीडियो में बात नहीं कर रहे हैं। उन्हें तो वीडियो कॉल के माध्यम से फंसाने की साजिश रची गयी थी, जो सफल नहीं हुई। इस बारे में सीपी सिंह ने खुद पुलिस और मीडिया को जानकारी दी है। उसी तरह सरयू राय का मामला पारिवारिक है।
सरयू राय का पलटवार
बन्ना गुप्ता के आरोपों के जवाब में सरयू राय ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जिस महिला की बात स्वास्थ्य मंत्री कर रहे हैं, पिछले 20 सालों से उनका और मेरा परिवार साथ रहता है। सब सार्वजनिक है। मैं उनके फ्लैट में ही रहता हूं। उन्होंने कहा कि बन्ना गुप्ता एक पुरुष और नारी का रिश्ता देह से ऊपर देख ही नहीं पाते। यदि बन्ना गुप्ता चाहते हैं, तो मैं डीएनए टेस्ट के लिए तैयार हूं। केवल मैं ही नहीं, बल्कि और भी जिन लोगों का जिक्र बन्ना गुप्ता ने किया है, वे लोग भी जांच के लिए तैयार हैं। बन्ना गुप्ता तो स्वास्थ्य मंत्री हैं। सिविल सर्जन को मेरे आवास पर भेजें। मैं जांच के लिए तैयार हूं। सरयू राय ने कहा कि मैं कांग्रेस का एनडी तिवारी नहीं हूं, जो डीएनए टेस्ट से इनकार कर दूंगा। सरयू राय ने कहा कि बन्ना गुप्ता को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। वह सीपी सिंह की बात कर रहे हैं। सीपी सिंह ने अश्लील फोन उठाया नहीं था। कॉल काट दिया था। बन्ना गुप्ता की तरह अश्लील चैट नहीं करने लगे। उन्होंने महिला की निजता का उल्लंघन करने के आरोपों पर कहा कि मैं तो उनकी सुरक्षा की बात कर रहा हूं। अमेरिका के बाल्टीमोर में पैसे भेजने के सवाल पर सरयू राय ने कहा कि मैं बहुत सारे लोगों को पैसा देता हूं। कुछ लोग लौटाते हैं, कुछ नहीं, चाहें तो जांच करा लें।
कांग्रेस ने दी सफाई
इस पूरे प्रकरण पर राज्य में कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के वायरल वीडियो मामले में जब तक तथ्य और प्रमाणिकता की जांच नहीं हो जाती, हाय-तौबा नहीं मचाना चाहिए। मंत्री ने खुद इसको लेकर एफआइआर दर्ज करायी है। पार्टी अपने स्तर से भी जांच कर रही है। जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक इस मामले में कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।
जाहिर है इस पूरे प्रकरण से झारखंड को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। इससे पहले भी जब-जब नेताओं ने शब्दों की मर्यादा लांघी है, पूरे राज्य को इसका नुकसान उठाना पड़ा है। इस बार भी नेताओं को समझना चाहिए कि इस तरह के व्यक्तिगत हमलों से किसी का भला तो नहीं ही होगा, बल्कि झारखंड को ही शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी। झारखंड के लिए यह निश्चित रूप से शर्मनाक दौर है और इसे जल्द से जल्द खत्म करना राज्य के लिए जरूरी है।