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    Home»Breaking News»हीरा उद्योग को राहत मिलने के आसार, बढ़ सकती है कच्चे हीरे की सप्लाई
    Breaking News

    हीरा उद्योग को राहत मिलने के आसार, बढ़ सकती है कच्चे हीरे की सप्लाई

    azad sipahiBy azad sipahiMay 18, 2023No Comments3 Mins Read
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    नई दिल्ली। कच्चे हीरे की कमी से परेशान हीरा उद्योग को जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद बन गई है। जून के पहले सप्ताह में दुबई में होने वाली वर्ल्ड डायमंड काउंसिल की बैठक में जिम्बाब्वे के खदानों से निकलने वाले कच्चे हीरे पर लगी पाबंदी को हटाए जाने का प्रस्ताव पेश किया जाना है। माना जा रहा है कि वर्ल्ड डायमंड काउंसिल जिम्बाब्वे के खदानों से निकलने वाले कच्चे हीरे की इंटरनेशनल मार्केट में लगाई गई रोक को हटाए जाने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है।

    उल्लेखनीय है कि कच्चे हीरे की सप्लाई में कमी होने की वजह से इंटरनेशनल मार्केट में हीरे की कीमत में पिछले एक साल में करीब 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। दुनिया की ज्यादातर खदानों से हीरे का पूरी क्षमता के साथ उत्पादन होने की वजह से अब कई बड़ी खदानें लगभग बंद होने के कगार पर आ गई हैं। यानी इन खदानों से हीरे की अधिकतम मात्रा निकाली जा चुकी है, जिसकी वजह से इन खदानों से हीरे का उत्पादन पहले की तुलना में काफी कम हो गया है। दूसरी ओर हीरे के प्रति पिछले कुछ सालों में बढ़े आकर्षण की वजह से हीरे से बनी ज्वेलरी की मांग काफी अधिक हो गई है। प्रतिवर्ष हीरे से बनी ज्वेलरी की मांग में करीब 13 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में कच्चे हीरे की सप्लाई कम होने की वजह से हीरे की कीमत में लगातार तेजी आ रही है।

    बताया जा रहा है कि जिम्बाब्वे की खदानों से बड़ी मात्रा में कच्चे हीरे का दोहन किया जा सकता है। इन खदानों से सालाना करीब 15 साल लाख कैरेट हीरे की आपूर्ति की जा सकती है। लेकिन वर्ल्ड डायमंड काउंसिल की पाबंदी की वजह से अभी तक जिम्बाब्वे के खदानों से निकलने वाले हीरे को दूसरे देश खरीद नहीं सकते हैं। हीरा उद्योग में अवैध कारोबार को रोकने के लिए किंबर्ली सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया जरूरी होती है। 2013 के पहले तक जिम्बाब्वे से होने वाले हीरे के अवैध कारोबार और जिम्बाब्वे द्वारा वर्ल्ड डायमंड काउंसिल के रेगुलेशन को मानने से इनकार किए जाने की वजह से जिम्बाब्वे के हीरे की अंतरराष्ट्रीय खरीद बिक्री पर रोक लगा दी गई थी।

    2022 में जिम्बाब्वे ने वर्ल्ड डायमंड काउंसिल से इस रोक को हटाने और किंबर्ली सर्टिफिकेट जारी करने का आग्रह किया था। लेकिन अभी तक जिम्बाब्वे के खदानों से निकले हीरों के लिए किंबर्ली सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि जून में दुबई में होने वाली वर्ल्ड डायमंड काउंसिल की बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि इंटरनेशनल मार्केट में हीरे की कीमत में जिस तरह से बढ़ोतरी हुई है, उसको देखते हुए वर्ल्ड डायमंड काउंसिल जिम्बाब्वे के खदानों से निकलने वाले हीरे के लिए किंबर्ली सर्टिफिकेट जारी कर सकता है। इस बात का अनुमान इस आधार पर भी लगाया जा रहा है, क्योंकि जिम्बाब्वे ने वर्ल्ड डायमंड काउंसिल के रेगुलेशन को अपने देश में कड़ाई से लागू करने की बात पर भी सहमति जताई है।

    इंटरनेशनल मार्केट में फिलहाल हर साल फिलहाल 10 से 12 मिलियन कैरेट कच्चे हीरे की मांग है। ऐसे में अगर जिम्बाब्वे के खदानों से हर साल निकलने वाले करीब 15 लाख कैरेट कच्चे हीरे की इंटरनेशनल मार्केट में सप्लाई शुरू हो जाती है, तो इससे कच्चे हीरे की कमी काफी हद तक दूर हो सकती है। ऐसा होने से हीरे से बने आभूषणों की कीमत पर भी ब्रेक लगने के आसार बन सकते हैं।

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