-छात्रों ने ट्विट कर चलाया अभियान
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची।
स्थानीय नीति के विरोध में झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन ने एक बार फिर झारखंड बंद का आह्वान किया है। 10 और 11 जून को झारखंड बंद रहेगा। झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन लगातार स्थानीय नीति का विरोध कर रही है। छात्रों ने ट्विटर पर भी अभियान चलाया। अब एक बार फिर सड़क पर उतर कर विरोध करने की तैयारी की जा रही है। नियोजन नीति को लेकर आंदोलन के क्रम में संगठन ने सांसद और विधायकों का रुख किया और नियोजन नीति को लेकर उनका क्या मत है, यह पूछा। कई जिलों में नियोजन नीति के विरोध में प्रचार अभियान भी तेज किया गया है। नेताओं से भी नियोजन नीति के विरोध में अपना समर्थन मांगा है। छात्र अपनी मांग को लेकर मांदर, ढाक, नगाड़ा बजा कर सखुआ पत्ता लेकर घूम रहे हैं और छात्रों को एकजुट होकर स्थानीय नीति का विरोध करने की मांग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि नयी नियोजन नीति अभी सिर्फ कैबिनेट में पास हुई है। यह अभी न तो विधानसभा से पास हुई है और ना ही गजट पत्र बना है। अदालत के आदेश पर सरकार इसके माध्यम से नियुक्ति की तैयारी में है, तो दूसरी तरफ छात्रों के बीच 60-40 आधारित नीति को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। इस नियोजन नीति का यूथ एसोसिएशन के साथ-साथ कई छात्र संगठन भी विरोध कर रहे हैं, इनमें झारखंड उलगुलान मार्च, पंचपरगना फाइटर, आदिवासी छात्र संघ, आमया और आदिवासी मूलवासी संगठन भी शामिल है। नियोजन नीति के अनुसार 60 प्रतिशत सीटों पर नियुक्तियां झारखंड के आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की होंगी, वहीं 40 प्रतिशत सीटें ‘ओपन टू आॅल’ हैं। छात्र इसी का विरोध कर रहे हैं कि 40 प्रतिशत सीटों पर किसी भी राज्य के युवा झारखंड में रोजगार पा सकते हैं।
क्या चाहते हैं छात्र:
बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की उपधारा 85 के तहत झारखंड सरकार को भी यह अधिकार है कि वह संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अध्यादेश, गजट के संकल्प को अंगीकृत कर सकती है। इसी अधिकार के तहत बिहार की 3 मार्च 1982 वाली नियोजन नीति जिसका पत्रांक 5014/81-806 है, को अंगीकृत कर बिहार की तर्ज पर नियोजन नीति लागू करते हुए नियुक्तियां शुरू की जायें।
-नियुक्ति फॉर्म भरते समय स्थानीय प्रमाण पत्र, क्रमांक संख्या अनिवार्य रूप से भरने का प्रावधान किया जाये
-जनसंख्या के अनुपात में सभी वर्गों को जिला स्तर में आरक्षण लागू किया जाये
-झारखंड में एक स्पेशल पेपर का प्रावधान किया जाये, जिसमें झारखंड के रीति रिवाज, भाषा संस्कृति, परंपरा की अनिवार्यता हो।
-राज्य तथा जिला स्तर की सभी तकनीकी तथा गैर तकनीकी परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा का पेपर अनिवार्य किया जाये।
-मूल झारखंडी छात्रों को उम्र सीमा में पांच वर्ष की विशेष छुट दी जाये।
-उत्तराखंड की तर्ज पर परीक्षा नकल विरोधी कानून लागू किया जाये।