नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के लिए धन उपलब्ध कराने में असमर्थता व्यक्त करने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम जैसे प्रोजेक्ट्स फंड के कारण रुकने नहीं चाहिए। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने प्रोजेक्ट के लिए फंड मुहैया ना कराने पर नाराजगी जताते हुए दिल्ली सरकार से पिछले 3 साल में विज्ञापनों पर खर्च का विस्तृत ब्योरा देने को कहा।
दरअसल, 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर को 500 करोड़ रुपये का योगदान देने का निर्देश देते हुए सरकार से पर्यावरण मुआवजा शुल्क के फंड से यह राशि मुहैया कराने को कहा था। इस पर दिल्ली सरकार द्वारा असमर्थता जाहिर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार द्वारा पिछले तीन साल में दिए गए विज्ञापन की विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
दरअसल, सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर के जरिए दिल्ली से मेरठ के बीच 82.15 किमी की दूरी 60 मिनट में तय होगी। 24 स्टेशनों वाला रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम कॉरिडोर दिल्ली में सराय काले खां से मेरठ के मोदीपुरम तक बनाया जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत करीब 31,632 करोड़ रुपये है।