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    Home»झारखंड»राज्यपाल संवैधानिक व्यवस्था को मजाक बनने से बचायें : बाबूलाल मरांडी
    झारखंड

    राज्यपाल संवैधानिक व्यवस्था को मजाक बनने से बचायें : बाबूलाल मरांडी

    adminBy adminJanuary 3, 2024No Comments4 Mins Read
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    -भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने दुमका में की प्रेसवार्ता
    रांची। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को हेमंत सरकार पर फिर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि आज राज्य में दुर्दांत अपराधी, दलाल, बिचौलिए बेखौफ हैं।
    उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार असंवैधानिक कार्य कर रहे हैं। उन्हें अब लग गया कि अब उनका जेल जाना तय है, इसलिए पार्टी के विधायक सरफराज अहमद को विधानसभा से इस्तीफा दिलवा कर पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। उन्हें यह भी पता है कि उनकी पत्नी आरक्षित सीट से विधायक नहीं बन सकतीं। हाइकोर्ट ने यह निर्णय दिया है कि राज्य से बाहर की बहू झारखंड में आरक्षण की सुविधा नहीं ले सकती है।
    आगे उन्होंने महाराष्ट्र हाइकोर्ट, नागपुर बेंच के उस निर्णय की ओर राज्यपाल का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से कोई नयी सरकार बनाने या मुख्यमंत्री बदलने की बात उनके समक्ष आती है, तो उनका आग्रह है कि अटॉर्नी जनरल, या बड़े न्यायविद से इस संबंध में सलाह अवश्य लें।
    कहा कि राज्यपाल के हाथों में संवैधानिक व्यवस्था को बचाने की जिम्मेवारी है। महाराष्ट्र उच्च न्यायालय के नागपुर बेंच के निर्णय ने खाली सीट पर उपचुनाव कराने की अवधि पर फैसला सुनाया है। झारखंड की परिस्थिति में अब विधानसभा का कार्यकाल एक साल से भी कम बचा है। ऐसे में खाली करायी गयी सीट पर उपचुनाव नहीं कराये जा सकते। उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में राज्यपाल ही संवैधानिक व्यवस्था का मजाक होने से बचा सकते हैं।
    जेल से हो रहा सत्ता का संचालन
    राज्य में अपराधियों के बढ़ते मनोबल पर श्री मरांडी ने कहा कि अब जेल से अपराधी अखबार के संपादक को धमकी दे रहे हैं। यह गंभीर मामला है। जेल से जिसने धमकी दी, वह और कोई नहीं, दुमका का योगेंद्र तिवारी है। योगेंद्र तिवारी का शिबू सोरेन से गहरा संबंध है। आज भी शिबू सोरेन की दुमका के खजुरिया स्थित विशाल कोठी के आधे भाग की जमीन की रजिस्ट्री डीड योगेंद्र तिवारी एंड कंपनी का है।
    बाबूलाल ने कहा कि ऐसे दुर्दांत अपराधियों को बाहर भेजा जाना चाहिए था, लेकिन मुख्यमंत्री से उनके गहरे संबंध हैं। वे जेल से सत्ता का संचालन करते हैं। मनमाफिक ट्रांसफर पोस्टिंग कराते हैं, रुकवाते हैं।
    उन्होंने विगत दिनों बड़े पैमाने पर डीएसपी के हुए ट्रांसफर और बाद में उनके स्थगन को याद दिलाते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें ट्रांसफर की प्रक्रिया मालूम है। यदि राज्य के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, डीजीपी की हस्ताक्षरित संचिका के निर्णय लागू नही हों तो समझा जा सकता है कि सत्ता का संचालन कोई और कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है। मुख्यमंत्री बाहर में केवल आईवॉश करते हैं।
    कहा कि कई बार उन्होंने भ्रष्टाचार से संबंधित जांच के लिए सरकार को आग्रह किया। पत्र लिखे, लेकिन मुख्यमंत्री न्यायिक जांच करा कर अधिकारियों को क्लीन चिट दे रहे। कहा कि सीएम मामलों को केवल ऐसे ही रफा दफा करना चाहते हैं। यदि हिम्मत है तो राज्य के ईमानदार पुलिस अधिकारी मुरारीलाल मीणा, अनिल पलटा जैसे अधिकारियों से जांच करायें। उनका जो फैक्ट्स फाइंडिंग आयेगा, वह सच को उजागर करेगा।
    मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार में आकंठ लिप्त हैं
    बाबूलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार में आकंठ लिप्त हैं और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण भी दे रहे। उन्हें बचाने के लिए सरकार के खजाने से करोड़ों रुपये हाइकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के महंगे वकीलों पर खर्च कर रहे। उन्होंने कहा कि इडी के सातवें समन के बाद भी उनका पूछताछ से भागना यह बताता है कि जवाब देने से डर रहे। इडी के सवालों का उनके पास कोई जवाब नहीं। भले वे बोलते हैं कि उन्हें फंसाया जा रहा, लेकिन आखिर उन्हें जवाब देने से कौन रोक रहा। यदि गड़बड़ी नहीं की तो सीना तान कर जायें और सवालों का सामना करें, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे, क्योंकि उन्हें पता है कि उन्होंने किस प्रकार से गड़बड़ किया है।

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