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    Home»दुनिया»नेपाल : सौ रुपये के नोट पर विवादास्पद नक्शा छापने के फैसले पर सरकार में अंतर्विरोध
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    नेपाल : सौ रुपये के नोट पर विवादास्पद नक्शा छापने के फैसले पर सरकार में अंतर्विरोध

    adminBy adminMay 4, 2024Updated:May 4, 2024No Comments3 Mins Read
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    काठमांडू। नेपाल सरकार सौ रुपये के नोट पर विवादास्पद नक्शा प्रकाशित करने के मुद्दे पर सत्ता पक्ष के ही निशाने पर आ गई है प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में एक मानचित्र के साथ 100 रुपये के नए नोट छापने का निर्णय किया गया, जिसमें लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के विवादास्पद क्षेत्रों को दिखाया गया है। हालांकि भारत ने पहले ही इसे “कृत्रिम विस्तार” और “अस्थिर” करार दिया है।

    नेपाल सरकार की प्रवक्ता रेखा शर्मा ने कैबिनेट के निर्णय की जानकारी देते हुए मीडियाकर्मियों को बताया कि प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में नेपाल का नया नक्शा छापने का निर्णय लिया गया, जिसमें लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को 100 रुपये के नोट में शामिल किया गया है।

    उधर, नेपाल सरकार के इस फैसले का कैबिनेट में ही कुछ मंत्रियों द्वारा विरोध की खबरें छनकर आ रही हैं। सरकार में वन मंत्री रहे नवल किशोर साह ने कूटनीतिक माध्यम से उठाए जाने वाले विषय को नोट पर प्रकाशित करने से द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ने की बात कहते हुए प्रधानमंत्री से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। वन मंत्री साह ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच रहे विवादित भूमि और विवादित नक्शे पर जब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक चैनल में बातचीत हो रही है तो ऐसे में नोट पर उस नक्शे को प्रकाशित करने से द्विपक्षीय वार्ता प्रभावित हो सकती है।

    संसद की अन्तरराष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष राजकिशोर यादव ने सरकार के इस फैसले को आपत्तिजनक बताया है। उन्होंने कहा कि संसदीय समिति की अगली बैठक में इस मामले पर सरकार से जवाब-तलब किया जाएगा। राजकिशोर यादव का कहना है कि सरकार ने जानबूझकर भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करने के लिए यह कदम उठाया है। भारत से इस मसले पर गम्भीर रूप से कूटनीतिक वार्ता करने की बजाय इस तरह के एकतरफा फैसले से भारत के साथ कूटनीतिक और राजनीतिक संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

    सत्ता पक्ष से जुड़े कुछ सांसदों ने भी सरकार के फैसले को गम्भीर कूटनीतिक त्रुटि बताया है। एकीकृत समाजवादी के सांसद प्रेम आले ने कहा कि प्रधानमंत्री की कुर्सी खतरे में है। उनकी सरकार कभी भी गिर सकती है, ऐसे में प्रचण्ड ने इस तरह का कदम उठा कर खुद की असफलताओं पर पर्दा डालने का प्रयास किया है। इसी तरह जनता समाजवादी पार्टी के प्रमुख सचेतक प्रदीप यादव ने कहा कि देश की समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाने के लिए प्रधानमंत्री की तरफ से नोट पर नए नक्शे को छापने का फैसला किया गया है। सांसद यादव का कहना है कि सरकार हर मोर्चे पर असफल है और अपनी असफलता को राष्ट्रवाद के आवरण में छिपाने की कोशिश कर रही है।

    उल्लेखनीय है कि 18 जून, 2020 को नेपाल ने अपने संविधान में संशोधन करके रणनीतिक रूप से तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को शामिल करके देश के राजनीतिक मानचित्र को अद्यतन करने की प्रक्रिया पूरी की, जिस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। भारत ने इसे “एकतरफा कृत्य” बताते हुए नेपाल के क्षेत्रीय दावों के “कृत्रिम विस्तार” को “अस्थिर” बताया।

    दरअसल, लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा पर भारत अपना अधिकार रखता है। नेपाल पांच भारतीय राज्यों- सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1,850 किमी. से अधिक लंबी सीमा साझा करता है।

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