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    Home»झारखंड»झारखंड की कोडरमा लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
    झारखंड

    झारखंड की कोडरमा लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला

    adminBy adminMay 19, 2024Updated:May 19, 2024No Comments3 Mins Read
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    कोडरमा। राज्य के कोडरमा संसदीय क्षेत्र में 20 मई को मतदान होना है, जिसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। विगत चुनाव में रिकार्ड मतों से जीत हासिल करने वाली भाजपा की अन्नपूर्णा देवी के लिए इस बार जीत की राह आसान नहीं है। दरअसल, भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा से ठोकर खाने के बाद कोडरमा संसदीय क्षेत्र से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जयप्रकाश वर्मा भाजपा के लिए परेशानी का सबब बने हैं। लिहाजा इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है।

    कोडरमा संसदीय क्षेत्र में भंडारो गांव ने भाजपा की इस इलाके में नींव रखी थी। भंडारों के रीतलाल प्रसाद वर्मा कोडरमा से पांच बार सांसद बने थे। भाजपा के साथ ही भंडारो गांव तब कुशवाहा समाज की भी दिशा तय करती थी। रीतलाल वर्मा की लोकप्रियता ऐसी थी कि वर्ष 1980 में इंदिरा की आंधी और फिर से सत्ता में आने के दौरान भी वह सांसद बने थे। रीतलाल के बड़े भाई स्व. जगदीश प्रसाद कुशवाहा जिले में राजनीति के भीष्म पितामह का दर्जा रखते थे। तब पार्टी पर कुशवाहा समाज का दबदबा भी था लेकिन दोनों दिग्गजों की मौत के बाद अब कुशवाहा समाज उपेक्षित महसूस कर रहा है।

    यही कारण है कि सबसे अधिक वोटर होने के बाद भी कुशवाहा समाज की उपेक्षा इस चुनाव में बड़ा फैक्टर बनकर उभरा है। इसी समाज के और स्व. रीतलाल वर्मा के सगे भतीजे जयप्रकाश वर्मा कोडरमा संसदीय क्षेत्र से बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। किसी भी राजनीतिक दल द्वारा कुशवाहा समाज को तरजीह न दिए जाने के कारण समाज असमंजस में तो है ही, भविष्य के लिए एकजुटता दिखाकर अपनी अलग राह तलाश रहा है।

    कोडरमा में कुशवाहा, बनिया, यादव, मुस्लिम व भूमिहार समाज जीत और हर तय करते हैं। कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में कुशवाहा राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई रहे हैं। यह भी सही है कि इससे सबसे अधिक नुकसान भाजपा को ही हो रहा है। कोडरमा में लगातार उपेक्षित महसूस कर रहा भूमिहार समाज भी इस बार भाजपा को सबक सिखाने के मूड में है। इस समाज की सांसद से नाराजगी इस कारण है कि अन्नपूर्णा के सांसद रहते इस समाज को उचित राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं मिली। सांसद प्रतिनिधि की बात आई तो इनको पूछा नहीं गया।

    भूमिहारों के तेवर से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के भी होश फाख्ता हैं। बनिया समाज भी कतिपय कारणों से नाराज ही चल रहा है तो यादव समाज का एक वर्ग लालू व तेजस्वी के नाम पर भाजपा के खिलाफ है। भाजपा से बिदके मतदाताओं को समेटने में इंडिया गठबंधन के विनोद सिंह और निर्दलीय जयप्रकाश वर्मा मतदान के पहले तक जोर लगाए हुए हैं। विगत चुनाव में अन्नपूर्णा देवी ने 7.55 लाख वोट लाकर शानदार जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। कुल 22 लाख 05 हजार से अधिक मतदाताओं वाले इस संसदीय क्षेत्र में परिणाम क्या होगा, यह कहना मुश्किल है।

    भाजपा के नेता जीत तय बताते हैं लेकिन उनकी आवाज में वह बुलंदी नहीं दिखती। अति विश्वास, जातीय गोलबंदी और वोटरों के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी भाजपा के दावों की हवा ना निकाल दे, इसकी भी संभावना है। विनोद सिंह कैडर वोटर, अल्पसंख्यक, दलित और भाजपा से नाराज मतदाताओं और बदलाव की बात के सहारे जीत की उम्मीद कर रहे हैं। कुशवाहा को एकजुट कर जयप्रकाश वर्मा भी अल्पसंख्यक और दलित मतों के सहारे हैं लेकिन 15 प्रत्याशियों वाले कोडरमा सीट पर सबसे अधिक नुकसान फिलहाल भाजपा का ही दिख रहा है जो नरेन्द्र मोदी के नाम पर फिर नैया पार होने की उम्मीद पाले हैं।

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