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    Home»Top Story»जेडीयू में असली बनाम नकली की लड़ाई तेज, शरद यादव का कुछ यूं पत्ता काटेंगे नीतीश कुमार
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    जेडीयू में असली बनाम नकली की लड़ाई तेज, शरद यादव का कुछ यूं पत्ता काटेंगे नीतीश कुमार

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीSeptember 8, 2017No Comments4 Mins Read
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    नई दिल्ली: जनता दल यूनाइटेड का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को चुनाव आयोग पहुंचा. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पूर्व अध्यक्ष शरद यादव द्वारा की याचिका पर जल्द सुनवाई कर फैसला देने की मांग की. चुनाव आयोग पहुंचने वालों में बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री लल्लन सिंह, पार्टी महासचिव केसी त्यागी, राज्यसभा में पार्टी के नेता आरसीपी सिंह और संजय झा शामिल थे. प्रतिनिधिमंडल का मुख्य मकसद शरद यादव की राज्यसभा में सदस्य्ता रद्द कराना है. प्रतिनिधिमंडल का मानना है कि शरद यादव की जब तक चुनाव आयोग में याचिका लंबित रहेगी तब तक राज्यसभा की सुनवाई में उन्हें लाभ मिल सकता है. चुनाव आयोग में याचिका दायर कर शरद यादव गुट ने अपने को असल जनता दल यूनाइटेड होने का दावा किया है.

    पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने चुनाव आयोग को जो शपथपत्र दिया है जिसमें पार्टी के बिहार के 71 विधायकों, 30 विधान परिषद के सदस्यों, राज्यसभा में दस में से सात सांसदों के साथ होने का दावा किया है. इसके अलावा पार्टी के राष्टीय परिषद में 194 में 143 सदस्यों का शपथ पत्र भी जमा किया गया है. चुनाव आयोग के अनुसार पार्टी ने हाल में पटना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का वीडियो भी बतौर सबूत दिया है, जहां विभिन राज्य के अध्यक्षों का भाषण और अन्य प्रस्तावों का जिक्र है. पार्टी के नेता संजय झा का कहना है कि शरद ने स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता त्याग दी है, वो राज्यसभा में अपनी सदस्यता बचाने के लिए चुनाव आयोग में इस मामला को लटकाना चाहते हैं. इसलिए जानबूझकर उनके द्वारा याचिका में असल जनता दल यूनाइटेड होने के लिए सबूत जुटाने का जिक्र किया गया है.

    हालांकि शरद यादव के समर्थक भी मानते हैं कि सर्वोच्च न्यायलय का फैसला है कि पार्टी उसी की वैध होगी जिसका बहुमत पार्टी के संगठन और विधायक और संसदीय दल पर हो. नीतीश विरोधी नेता मानते हैं कि उनके लिए अखिलेश यादव के मामले में चुनाव आयोग के फैसले के बाद अपने को असल जनता दल यूनाइटेड साबित करना एक मुश्किल काम है. हालांकि शरद के समर्थकों ने 17 सितंबर को दिल्ली में एक बैठक बुलाई हैं जिसमें अधिकांश राज्य इकाई के समर्थन का दवा किया जायेगा. लेकिन यह उनकी और अली अनवर की सदस्यता बचाने के लिए पर्याप्त होगा या नहीं, ये बहुत हद तक चुनाव आयोग के फैसले और राज्यसभा के सभापति पर निर्भर करेगा.

    राज्यसभा में शरद यादव की सदस्यता रद्द करने के लिए नीतीश कुमार की याचिका पर फिलहाल कोई सुनवाई नहीं हुई है. शरद यादव ने दलील दी है कि उनकी चुनाव आयोग में याचिका लंबित है. हालांकि, जिस भारतीय जनता पार्टी ने अपने सदस्य जय नारायण निषाद के चंद बयानों और लालू यादव के साथ एक सभा में उपस्थित होने पर सदस्यता रद्द करा दी थी वो शरद यादव के मामले में शायद ही टालमटोल करे. खुद राष्ट्रीय जनता दल की रैली में शरद यादव शामिल हुए थे और उनके लाख आग्रह के बाद भी लालू यादव ने एक पोस्टर भी इस आशय का लगाने दिया कि ये महागठबंधन की रैली है. इसके पहले जब शरद यादव बिहार का तीन दिवसीय दौरा कर रहे थे उस समय नीतीश की सीधे शरद ने आलोचना नहीं की. हर जगह ये कहते रहे कि जनता ने महागठबंधन को जनादेश दिया था न की नीतीश को बीजेपी के साथ सरकार बनाने के लिए.

    शरद यादव दरअसल नीतीश कुमार से इस बात को लेकर दुखी हैं कि बीजेपी के साथ जाने के अपने निर्णय के बारे में उन्होंने भनक तक नहीं लगने दी. नीतीश के करीब से जानने वाले मानते हैं कि बीजेपी के साथ जाने के अपने निर्णय के साथ लालू और शरद दोनों से राजनीतिक दोस्ती खत्म करने का मन बना लिया था. नीतीश के पास शरद से दुखी होने का कोई एक नहीं कई कारण हैं जिसमें जीतनराम मांझी प्रकरण में उनका खुलकर नीतीश का विरोध करना और लालू के साथ एक अलिखित समझौता करना मुख्य रूप से शामिल है.

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    आजाद सिपाही
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