अजय शर्मा
रांची। झारखंड की राजनीति में सोमवार का दिन याद रखा जायेगा। इस दिन सीएम हेमंत सोरेन ने न सिर्फ विश्वास मत जीता, बल्कि कैबिनेट में जिन चेहरों को शामिल किया है, उसका संदेश दूर तक जायेगा। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और सीएम हेमंत सोरेन पर विपक्ष द्वारा बार-बार परिवारवाद का आरोप लगाया जा रहा था। कैबिनेट विस्तार में हेमंत सोरेन ने उन सभी पर पूर्णविराम लगा दिया। सबसे अधिक चर्चा पूर्व सीएम चंपाई सोरेन को लेकर थी। चर्चा थी कि वे कैबिनेट में शामिल नहीं होंगे और कहीं न कहीं विपक्षी पार्टियां चंपाई को लेकर कई तरह-तरह के बयान दे रही थीं।
चंपाई सोरेन के मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद पार्टी की एकजुटता पर जो सवाल खड़ा कर रहे थे, वे भी अब चुप हो गये हैं। सबसे महत्वपूर्ण फैसला बसंत सोरेन को लेकर किया गया है। बसंत सोरेन को कैबिनेट में शामिल नहीं कर हेमंत सोरेन ने परिवारवाद के आरोप को पूरी तरह खारिज कर दिया। हेमंत कैबिनेट की नयी टीम में कांग्रेस के इरफान अंसारी, दीपिका पांडेय सिंह और झामुमो के बैद्यनाथ राम को शामिल किया गया है। विपक्ष झामुमो पर बार-बार यह आरोप लगा रहा था कि उसके यहां पिछड़ों के लिए कोई जगह नहीं है। वह पिछड़ों का सम्मान नहीं करती। वैद्यनाथ राम को कैबिनेट में शामिल कर हेमंत सोरेन ने विपक्ष को चुप करा दिया। कांग्रेस कोटा के मंत्री बादल पत्रलेख और जेल में बंद आलमगीर आलम को जगह नहीं मिली है।
आलमगीर आलम अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, उनकी जगह पर वोकल नेता इरफान अंसारी और बादल पत्रलेख की जगह महगामा की विधायक दीपिका पांडेय को जगह मिली है। दीपिका पांडेय के कैबिनेट में शामिल होने से अब दो महिला मंत्री हो गयी हैं। बैद्यनाथ राम को लेकर चर्चा थी कि उन्हें इस बार जरूर कैबिनेट में जगह मिलेगी। कैबिनेट विस्तार में हेमंत ने कई तरह के संदेश दिये हैं। कोल्हान से दीपक बिरुआ, गढ़वा से मिथिलेश ठाकुर भी मंत्री बनाये गये हैं। इनके अपने-अपने इलाके में अलग पकड़ है। इस कैबिनेट में अल्पसंख्यक, आदिवासी एससी और सामान्य वर्ग को भी उचित स्थान दिया गया है। विधानसभा चुनाव में इसके नतीजे दिख सकते हैं।