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    Home»अन्य खबर»इतिहास के पन्नों में 08 अगस्तः भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी ने दिया करो या मरो का नारा, अंग्रेज कांपे
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    इतिहास के पन्नों में 08 अगस्तः भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी ने दिया करो या मरो का नारा, अंग्रेज कांपे

    shivam kumarBy shivam kumarAugust 7, 2024No Comments4 Mins Read
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    देश-दुनिया के इतिहास में 08 अगस्त की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह वही तारीख है जब 1942 में महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा देते हुए अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की। आजादी की लड़ाई में भारत छोड़ो आंदोलन मील का पत्थर साबित हुआ। इसके पांच साल बाद ही अंग्रेजों को भारत से उलटे पांव लौटना पड़ा। भारत छोड़ो आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत की ताबूत में अंतिम कील साबित हुआ।

    बापू ने इस आंदोलन की शुरुआत अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुंबई अधिवेशन से की थी। इस मौके पर महात्मा गांधी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) से देश को ‘करो या मरो’ का नारा दिया।आंदोलन में गांधी और उनके समर्थकों ने स्पष्ट कर दिया कि वे युद्ध के प्रयासों को समर्थन तब तक नहीं देंगे जब तक कि भारत को आजादी न दे दी जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार यह आंदोलन बंद नहीं होगा। उस समय द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था।

    भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की खबर से अंग्रेजों की नींद उड़ गई। ब्रिटिश हूकूमत ने गिरफ्तारियां शुरू कर दीं। 08 अगस्‍त को आंदोलन शुरू हुआ और 9 अगस्त 1942 को दिन निकलने से पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे। कांग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया गया। यही नहीं, ऑपरेशन जीरो आवर के तहत अंग्रेजों ने गांधी सहित शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। महात्मा गांधी और सरोजनी नायडू को आगा खां पैलेस में नजरबंद कर दिया गया। इस आंदोलन में 940 लोग मारे गए और 1630 घायल हुए। 60229 लोगों ने गिरफ्तारी दी।

    महात्मा गांधी और शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी के बाद देश की जनता सड़कों पर उतर आई और इस आंदोलन का नेतृत्व युवा क्रांतिकारियों ने किया। इसके बाद यह आंदोलन हिंसक हो गया। अंग्रेजों ने दमन नीति अपनाई, लेकिन आंदोलन नहीं रुका। लोगों ने सरकारी इमारतों पर कांग्रेस के झंडे फहराने शुरू कर दिए। छात्र और कामगार हड़ताल पर चले गए। सरकारी कर्मचारियों ने भी काम करना बंद कर दिया। यह एक ऐतिहासिक क्षण था। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान डॉ. राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण और अरुणा आसफ अली जैसे नेता उभर कर सामने आए।

    इस आंदोलन को अपने उद्देश्य में आंशिक सफलता मिली, लेकिन इस आंदोलन ने 1943 के अंत तक भारत को संगठित कर दिया। इसी साल 10 फरवरी को महात्मा गांधी ने 21 दिन का उपवास शुरू किया। उपवास के 13वें दिन गांधी जी की हालत खराब होने लगी। इतिहासकार मानते हैं कि अंग्रेज चाहते थे कि गांधी जी मर जाएं। महात्मा गांधी को ब्रिटिश सरकार ने 6 मई 1944 को स्वास्थ्य कारणों के चलते रिहा कर दिया। हालांकि गांधी जी के जेल से छूटने से पहले उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी की मौत हो चुकी थी।

    इतिहासकारों का मानना है कि आंदोलन के आखिर में ब्रिटिश सरकार ने संकेत दे दिया था कि सत्ता का हस्तांतरण कर उसे भारतीयों के हाथ में सौंप दिया जाएगा। इस समय गांधी जी ने आंदोलन को बंद कर दिया, जिससे कांग्रेसी नेताओं सहित लगभग एक लाख राजनीतिक बंदियों को रिहा कर दिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन सबसे विशाल और सबसे तीव्र आंदोलन साबित हुआ, जिसने अंग्रेजी सरकार नींव हिला कर रख दी। भारत छोड़ो आंदोलन भारत के इतिहास में अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है।

    महत्वपूर्ण घटनाचक्र

    1549: फ्रांस ने इंग्लैंड के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

    1609: वेनिस की सीनेट ने गैलिलियो निर्मित दूरबीन का निरीक्षण किया।

    1763: वर्षों के संघर्ष के बाद अंतत: कनाडा फ़्रांस के अधिकार से स्वतंत्र हुआ।

    1864: जिनेवा में रेडक्रॉस की स्थापना।

    1876: थॉमस अल्वा एडिसन ने मिमियोग्राफ का पेटेंट कराया।

    1899: एटी मार्शल ने रेफ्रिजरेटर का पेटेंट कराया।

    1900: बोस्टन में पहली डेविस कप शृंखला की शुरुआत।

    1919: ब्रिटेन ने अफगानिस्तान की आजादी को मंजूरी दी।

    1942: महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की।

    1947: पाकिस्तान ने अपने राष्ट्रीय ध्वज को मंजूरी दी।

    1988: अफगानिस्तान में नौ साल के युद्ध के बाद रूसी सेना की वापसी शुरू हुई।

    1988: आठ वर्ष तक चले संघर्ष के बाद ईरान और इराक के बीच युद्धविराम की घोषणा।

    1990: इराक़ के तत्कालीन तानाशाह सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर कब्जे का ऐलान किया।

    2004: इटली ने बोफोर्स दलाली मामले के मुख्य आरोपी क्वात्रोच्चि को भारत को सौंपने से इनकार किया।

    2010: तेजस्विनी सावंत म्युनिख में आयोजित विश्व निशानेबाजी प्रतियोगिता की 50 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर यह उपलब्धि प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला बनीं।

    जन्म

    1904ः उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिभुवन नारायण सिंह।

    1908 :शास्त्रीय संगीत गायिका सिद्धेश्वरी देवी।

    1915ः भारतीय लेखक भीष्म साहनी।

    1940ः भारतीय क्रिकेटर दिलीप सरदेसाई।

    1948ः वरिष्ठ वकील और पूर्व केंद्रीयमंत्री कपिल सिब्बल।

    1994ः प्रसिद्ध भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू।

    निधन

    2000ः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एस. निजलिंगप्पा।

    2021ः भारतीय फिल्म और टीवी अभिनेता अनुपम श्याम।

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