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    Home»देश»‘हिन्दू अपने मंदिरों को सरकारों से वापस प्राप्त करें’ 
    देश

    ‘हिन्दू अपने मंदिरों को सरकारों से वापस प्राप्त करें’ 

    shivam kumarBy shivam kumarJanuary 20, 2025No Comments6 Mins Read
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    -हिन्दुस्थान समाचार से साक्षात्कार में विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संगठन महामंत्री मिलिन्द परान्डे का मत
    महाकुंभनगर। हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का यह सर्वोत्तम समय है। परम्परा,सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए हिन्दुओं को एक साथ आना होगा और अपनी विरासत को पुन: प्राप्त करना होगा। यह आवश्यक है कि हिन्दू अपने मंदिरों को सरकारों से वापस प्राप्त करें और उनका कायाकल्प करें। यह बातें विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संगठन महामंत्री मिलिन्द परान्डे ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से साक्षात्कार के दौरान कही। हिन्दुस्थान समाचार के वरिष्ठ संवाददाता बृजनन्दन राजू ने विहिप संगठन महामंत्री मिलिन्द परान्डे से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश।

    प्रश्न- सरकारी नियंत्रण से हिन्दू मंदिरों की मुक्ति विहिप की पुरानी मांग है। आज केन्द्र में भाजपा की सरकार है फिर इतनी देर क्यों?

    उत्तर: यह प्रश्न बहुत जटिल है। एक—एक राज्य में हजारों मंंदिर हैं। अकेले आन्ध्र प्रदेश में 23 हजार मंदिर सरकारी नियंत्रण में हैं। ऐसे ही केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में हजारों मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं। आचार्य महासभा के महासचिव स्वामी परमात्मानंद सरस्वती की अध्यक्षता में संत,अधिवक्ता परिषद व विहिप ने मिलकर थिंक टैंक बनाया है, क्योंकि इसके लिए राज्यों में कानून लाना पड़ेगा । कानून का प्रारूप क्या होगा। किस स्वरूप में हिन्दू समाज मंदिरों को स्वीकारेगा। कैसे व्यवस्था है मंदिरों को स्वीकारना और मंदिरों की संपत्ति और मंदिरों के काम क्या होंगे और मंदिरों के विवाद के बारे मे निस्तारण के बारे में एक पूर्ण वयवस्था इसमें दी गई है। राज्य सरकारों से मिल रहे हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों से मिल रहे हैं और समाज का जागरण कर रहे हैं। मंदिरों का सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के लिए बहुत बड़ा जागरण ​अभियान कार्यक्रम विजयबाड़ा में किया गया है। इसे विहिप अब देशभर में लेकर जायेगी।

    प्रश्न-प्रयागराज कुंभ हिन्दू समाज के अनेक संकल्पों व निर्णयों का साक्षी रहा है। विश्व हिन्दू सम्मेलन व धर्म संसद के कई आयोजन यहां हुए हैं। महाकुंभ में विहिप की ओर से विशेष आयोजन क्या होने वाले हैं?

    उत्तर: दंत कुंभ का कार्यक्रम विहिप के शिविर में चल रहा है। महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं के दांतों का इलाज यहां पर हो रहा है। विहिप संतों के मार्गदर्शन में ही करती है। इसलिए संतों के अलग—अलग प्रकार के कार्यक्रम हैं। केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक 24 जनवरी को है। बाद में दो दिन संत सम्मेलन है। इसके बाद युवा संतों का सम्मेलन और साध्वियों का सम्मेलन है। विहिप की अखिल भारतीय बैठक 06 फरवरी से 09 फरवरी तक चलेगी। विहिप बड़े पैमाने पर गोरक्षा का काम करती है। गौवंश को कसाईयों के हाथ से गोवंश को छुड़ाने वाला विहिप के युवा विभाग बजरंग दल है। इन सारे काम में जो कार्यरत है। ऐसे हजारों कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन यहां होने जा रहा है। अ​नेक शक्तियां हिन्दू समाज में भेद निर्माण करने का प्रयत्न कर तोड़ने का प्रयास कर रही हैं। इसलिए सामाजिक समरसता का विषय लेकर एक बड़ी बैठक यहां पर होगी। साथ ही पहली बार विहिप के परिसर में बौद्ध सम्मेलन होगा।

    प्रश्न- पहले विश्व हिन्दू सम्मेलन होते थे? अब अलग से बौद्ध सम्मेलन करने की आवश्वयकता क्यों पड़ी?

    उत्तर: कुंभ आध्यात्मिक एकत्रीकरण का स्थान है। आपस में मिलना अलग—अलग परम्पराओं के संतों का मिलना शैव जैन सिख बुद्ध इन सभी परम्पराओं का जन्म इसी पुण्य​भूमि में हुआ है। इसलिए यह सामान्य प्रक्रिया है। संघर्ष के कालखण्ड में यह चर्चा बंद हो गई थी। पहले भी विहिप के सम्मेलनों में बौद्ध लामा व पूज्य दलाईलामा आते रहे हैं। इस बार भी उनके प्रतिनिधि उनका संदेश लेकर आएंगे। बौद्ध सम्मेलन में अलग—अलग बौद्ध परम्पराओं के विदेश के और भारत के अंदर के बौद्ध भंते और बौद्ध लामा यहां आ रहे हैं। भारत के अलावा रूस,कोरिया,थाईलैंड,वर्मा, तिब्बत,नेपाल व श्रीलंका समेत कई देशों के बौद्ध भंते और लामा यहां आ रहे हैं।

    प्रश्न-महाकुंभ में होने वाली विहिप की बैठक व संत सम्मेलन में किन विषयों पर चर्चा होगी?

    उत्तर: महाकुंभ में हिन्दू समाज के सामने जो चुनौतियां,जो संकट हैं और हिन्दू समाज की जो आज की आवश्यकता है इन विषयों पर चर्चा होगी। हिन्दू जन्मदर का घटना चिंताजनक है। मतांतरण की समस्या है। लव जिहाद की समस्या है। घुसपैठ की समस्या है। यह चारों कारण हिन्दू घटती जनसंख्या के प्रमुख कारण हैं। इस बारे में कार्ययोजना बनेगी। इसके अलावा जो जनजाति क्षेत्र है उसमें प्रभाव रखने वाले पूजनीय संत। अनुसूचित समाज में प्रभाव रखने वाले पूजनीय संत। दक्षिण भारत के अनेक पूजनीय संत और भारत के उत्तर पूर्व के संत और समाज के विविध वर्गों में जिनका प्रभाव है ऐसे पूजनीय संत यहां पर बड़ी संख्या में आने वाले हैं। उनके बीच किस प्रकार की चुनौतियां हैं इस पर चर्चा होगी।

    प्रश्न- विश्व के कितने ​देशों में विहिप का काम है?

    उत्तर: विश्व के 30 देशों में विश्व हिन्दू परिषद का काम चल रहा है लेकिन हर दे​श का काम स्वतंत्र है। विहिप की बैठक में अनेक देशों के प्रतिनिधि जिसमें अमेरिका, नेपाल, जर्मनी, इटली समेत अनेक देशों के कार्यकर्ता यहां पर आएंगे। इसके अलावा ​अनेक देशों के संत महाकुंभ में आये हैं उनसे सम्पर्क का काम विहिप के संपर्क विभाग के कार्यकर्ता कर रहे हैं।

    प्रश्न- संत वक्फ बोर्ड समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। विहिप संशोधन की बात क्यों कर रही है?

    उत्तर: अभी यह विषय जेपीसी के सामने है। हमने सांसदों से मिलकर इस विषय का आग्रह किया है कि इसका जो असीमित अधिकार का क्षेत्र है उसे समाप्त कर दिया जाए। कानून लाया गया है पारित होने की हम राह देख रहे हैं। संत सम्मेलन में इस पर चर्चा होगी।

    प्रश्न- संतों ने सनातन बोर्ड की मांग उठाई है? इस पर आप का क्या कहना है?

    उत्तर:अब तक सनातन बोर्ड की स्पष्टता किसी ने की नहीं है। जब सनातन बोर्ड कहते हैं तो उसका स्वरूप और प्रारूप क्या है जब तक स्पष्ट नहीं होगा तब तक उसके बारे में मत व्यक्त करना ठीक नहीं होगा।

    प्रश्न- सम्पूर्ण विश्व के हिन्दुओं के लिए महाकुम्भ से आप का क्या संदेश है?

    उत्तर: महाकुंभ पूर्ण विश्व में मानवता का सबसे बड़ा एकत्रीकरण है। वह भी हिन्दू समाज का एकत्रीकरण है यह हमारे लिए और ही आनंद की बात है। अनादिकाल से बिना बुलाए पूज्य संत और श्रद्धालु यहां आते हैं। पूज्य संतों का आध्यात्मिक व सामाजिक विषयों पर मार्गदर्शन व गंगा जी का स्नान इन दो विषयों को लेकर लोग यहां आते हैं। हिन्दू धर्म की यह महिमा है कि कोई किसी की जाति नहीं पूछता। आज करोड़ों लोगों का एकत्र भोजन हो रहा है। कौन किसको भोजन करा रहा है। कौन किसके हाथ से खा रहा है। कोई नहीं पूछता। इतना समरसता का भाव यहां दिखाई दे रहा है।

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