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    Home»देश»श्री काशी विश्वनाथ धाम में पूरे उल्लास के साथ निभाई गई हल्दी की रस्म
    देश

    श्री काशी विश्वनाथ धाम में पूरे उल्लास के साथ निभाई गई हल्दी की रस्म

    shivam kumarBy shivam kumarMarch 9, 2025No Comments3 Mins Read
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    -श्री काशी विश्वनाथ का गौना उत्सव: भव्यता और श्रद्धा का संगम, दरबार में जुटे शिवभक्त
    वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ के गौना उत्सव (रंगभरी एकादशी) की पूर्व संध्या पर रविवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम में हल्दी की पारंपरिक रस्म पूरे विधि-विधान और भव्यता के साथ हुई। इस अवसर पर धाम में भक्ति, उल्लास और आस्था का अद्वितीय संगम देखने को मिला। श्रद्धालुओं की अपार भीड़ और भक्तिमय माहौल ने काशी की गलियों को मंगलमय कर दिया।

    दरबार में उत्सव की शुरुआत प्रातःकाल मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मस्थल से बाबा विश्वनाथ के लिए भेजी गई हर्बल अबीर-गुलाल और अन्य उपहार सामग्री के आगमन से हुई। साथ ही, सोनभद्र से आए वनवासी समाज के भक्तों द्वारा भेंट किए गए राजकीय फूल पलाश से निर्मित हर्बल गुलाल को भी बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में अर्पित किया गया। इस पवित्र अनुष्ठान का नेतृत्व मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र और डिप्टी कलेक्टर शम्भु शरण ने किया। उन्होंने विधि-विधानपूर्वक श्री विश्वेश्वर का पूजन कर हर्बल गुलाल चढ़ाया, जिससे गर्भगृह का वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो गया।

    पूजन के उपरांत बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा की भव्य पालकी यात्रा निकाली गई, जो मंदिर चौक से होकर गुजरी। इस आलौकिक दृश्य ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। हजारों भक्तों ने इस आध्यात्मिक यात्रा में भाग लेकर बाबा विश्वनाथ और मां गौरा की प्रतिमा पर हल्दी अर्पित की। हल्दी की इस परंपरा को सौभाग्य, मंगलकामना और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

    इस महोत्सव में मथुरा से आए भक्तगण, श्री कृष्ण जन्मस्थली से उपहार लेकर आए श्रद्धालु, इतिहासकार एवं लेखक विक्रम सम्पत और वनवासी समाज के भक्तों ने विशेष रूप से सहभागिता की। उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन की भव्यता को और बढ़ा दिया। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के संगम ने काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक एकता को सशक्त रूप में प्रस्तुत किया।

    मंदिर न्यास के अनुसार, यह आयोजन न केवल काशी विश्वनाथ धाम के भक्तों के बीच एकता और आस्था को मजबूत करता है बल्कि काशी की ऐतिहासिकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने का प्रयास है। रंगभरी एकादशी महोत्सव का उद्देश्य धार्मिक परंपराओं को पुनर्जीवित करना और काशी की सनातन संस्कृति को जन-जन तक पहुँचाना है।

    तीन दिवसीय लोक उत्सव में दूसरे दिन अलौकिक छटा-

    इस वर्ष रंगभरी एकादशी को त्रिदिवसीय लोक उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। बीते शनिवार को बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा की चल प्रतिमा को शास्त्रीय अर्चना के साथ मंदिर चौक में शिवार्चनम् मंच के निकट तीन दिनों के लिए विराजमान किया गया। इस विशेष आयोजन का उद्देश्य श्रद्धालुओं के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना है।

    काशी की सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव-

    गौना उत्सव के माध्यम से काशी की प्राचीन परंपराएं और संस्कृति पुनर्जीवित हो रही हैं। यह महोत्सव न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि काशी की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का एक प्रयास भी है। श्री काशी विश्वनाथ का गौना उत्सव काशी की आस्था, संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक है। य़ह भव्य आयोजन श्रद्धालुओं को काशी की अध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कराता है।

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    shivam kumar

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