नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पिछले 10 साल से चलाई जा रही गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (जीएमएस) आज से बंद कर दी गई। केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक इस स्कीम के तहत सरकार द्वारा नामित कलेक्शन एंड प्योरिटी टेस्टिंग सेंटर (सीपीटीसी) या सरकार द्वारा नामित बैंक की शाखाओं पर आज से मध्यम अवधि और दीर्घ अवधि वाली स्कीम में सोने को जमा नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार ने यह फैसला गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के परफॉर्मेंस और बाजार की स्थितियों को देखते हुए लिया है।
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की शुरुआत 15 सितंबर 2015 को हुई थी। इसके तहत लोग अपने घर में पड़े सोने को अपनी इच्छा के अनुसार 1 से 3 साल की शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (एसटीबीडी), 5 से 7 साल की मीडियम टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट (एमटीजीडी) या 12 से 15 साल की लॉन्ग टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट (एलटीजीडी) में जमा कर सकते थे। सोना जमा करने पर जमाकर्ताओं को सरकार की ओर से गोल्ड बॉन्ड इश्यू किया जाता था। ये बॉन्ड 5 ग्राम, 10 ग्राम, 50 ग्राम और 100 ग्राम के होते थे। सोना जमा करने के बाद जमाकर्ताओं को ब्याज का भुगतान किया जाता था। ब्याज की राशि सोना जमा करते वक्त उसकी मार्केट प्राइस के आधार पर तय की जाती थी।
जानकारों का कहना है कि इस स्कीम को लॉन्च करने के पीछे सरकार का इरादा सोने के आयात में कमी लाने का था। भारत में हर साल करीब 800 टन सोने की खपत होती है, जबकि भारतीय खदानों से सालाना 1 टन सोने का ही उत्पादन हो पता है। इस तरह भारत में सोने की जरूरत को पूरा करने के लिए हर साल बड़े पैमाने पर सोने का आयात करना पड़ता है, जिसके कारण देश के आयात बिल में तो बढ़ोतरी होती ही है, विदेशी मुद्रा भी बड़े पैमाने पर खर्च होती है।
बताया जाता है कि केंद्र सरकार की ओर से सोचा गया था कि गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम शुरू करने से लोग घर में पड़े सोने को जमा करने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे उन्हें सोने की सुरक्षा की चिंता भी नहीं करनी होगी और उसके एवज में उन्हें इंटरेस्ट के रूप में अच्छी कमाई भी होगी। ऐसा होने पर सरकार पर सोने के आयात का दबाव काफी कम हो सकता था। हालांकि इस स्कीम को सरकार की उम्मीद की तुलना में काफी कम रिस्पॉन्स मिला, जिसकी वजह से अंततः इस स्कीम को बंद करने का फैसला लिया गया।
कैपेक्स गोल्ड एंड इन्वेस्टमेंट्स के सीईओ राजीव दत्ता के अनुसार केंद्र सरकार ने इस स्कीम से हाथ जरूर खींच लिया है, लेकिन अभी भी लोगों के पास गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में अपने पास पड़ा सोना जमा करने का विकल्प बचा हुआ है। केंद्र सरकार ने सिर्फ मीडियम टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट (एमटीजीडी) और लॉन्ग टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट (एलटीजीडी) को ही बंद किया है। शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (एसटीबीडी) अभी भी जारी रहेगा। हालांकि एसटीबीडी अधिकतम 3 साल के लिए ही हो सकता है और इसमें ब्याज की दर बैंकों द्वारा तय की जाती है, जबकि एमटीजीडी और एलटीजीडी में ब्याज की दर केंद्र सरकार द्वारा तय की जाती थी। इसमें केंद्र सरकार में शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट को चालू रखने या बंद करने का फैसला बैंकों पर छोड़ दिया है। इसलिए कुछ बैंकों में यह स्कीम आगे भी जारी रह सकती है, जबकि कुछ बैंकों में यह स्कीम बंद की जा सकती है।
राजीव दत्ता के अनुसार गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम बंद हो जाने के बावजूद इसमें अपना सोना जमा करने वाले निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहने वाला है। सरकार द्वारा इश्यू गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी के बाद जमाकर्ता अपने बॉन्ड को रिडीम करा सकेंगे। इसके साथ ही मैच्योरिटी के पहले तक उन्हें इंट्रेस्ट भी मिलता रहेगा।