विशेष
बांग्लादेश से नेपाल के रास्ते भी घुसपैठ कर सकते हैं आतंकी
देश में रह रहे आतंकियों के मददगारों पर भी निगाह रखने की जरूरत
ऐसे ही ओवर ग्राउंड वर्करों ने पाकिस्तानी आतंकियों को भारत में हिंसा फैलाने में मदद की
स्लीपर सेल्स के साथ-साथ डिजिटल सेल्स पर भी निगाह रखने की जरूरत
सोशल मीडिया फ्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर देश विरोधी एजेंडा चलाने वालों पर भी लगाम लगानी होगी
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विराम लगने के साथ ही भारत के लिए जो एक नयी जरूरत ने सिर उठाया है, वह है आतंकियों की घुसपैठ पर सख्ती से लगाम लगाना। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत द्वारा पाकिस्तानी दुस्साहस का उचित तरीके से जवाब दिया गया, लेकिन भारत ने इसका ख्याल रखा कि पाकिस्तानी नागरिकों को कोई बड़ी क्षति न पहुंचे या उनकी जान न जाये। भारतीय बलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए लगातार संयम बरता। 10 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विराम लगा दिया गया, लेकिन पाकिस्तान ने फिर भी समझौते का उल्लंघन किया, जिसे करारा जवाब दिया गया। उसके बाद से दोनों तरफ से संघर्ष विराम का पालन किया जा रहा है। पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों के खिलाफ भारत की कार्रवाई से एक बार फिर से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान आतंकवादियों का सुरक्षित पनाहगाह है। वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी सैन्य वर्दी में आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए और मारे गये आतंकवादियों को पूर्ण राजकीय सम्मान दिया गया, यह पाकिस्तान की असलियत बताने के लिए काफी है। पिछले कई दशकों से पाकिस्तान दावा करता रहा है कि ये आतंकवादी गैर-सरकारी तत्व या घरेलू जिहादी हैं, लेकिन पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों का वर्दी में उनके अंतिम संस्कार में शामिल होना और उन्हें राजकीय सम्मान देना उस दावे को कमजोर करता है। अब, जबकि सैनिक कार्रवाई थम गयी है, पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबों को एक बार फिर कार्यरूप दे सकता है। भारत के खिलाफ उसकी साजिश का असली रंग अब दिख सकता है और वह है आतंकियों की घुसपैठ और देश के भीतर रह रहे आतंकियों के मददगारों की मदद से भारत में हिंसा। भारत को अब इससे सतर्क रहने की जरूरत है। भारत को बंग्लादेश में फल-फूल रहे आतंकी संगठनों पर भी नजर रखने की जरूरत है। भारत में रह रहे स्लीपर सेल्स के लिए भी अभियान चलाने की जरूरत है। उन डिजिटल सेल्स पर भी निगाह रखने की जरूरत जो भारत विरोधी अभियान चलाने के लिए तत्पर रहते हैं। ये सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर अपना एजेंडा चलाते हैं। देश में ऐसे कई इन्फ्लुएंसर्स भी हैं जिन्हें टटोलने की जरूरत है। ये ऐसे दीमक हैं जो अंदर ही अंदर देश को कमजोर करने की कोशिश में लगे रहते हैं। जासूसी के आरोप में पकड़ी गयी यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा इसका एक छोटा सा उदाहररण मात्र है। वहीं कैराना का रहने वाला नोमान इलाही पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था जिसे पानीपत में गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में कई अहम जानकारियां हाथ लगी हैं। आइएसआइ हैंडलर इकबाल काना दुबई में बैठे अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम, आतंकी संगठन जैश ए मोहम्म्द और लश्कर ए तैयबा के साथ मिलकर देश ही नहीं, विदेशों में भी युवाओं को आतंकवाद का पाठ पढ़ा रहा है। क्या है भारत में आतंकियों के घुसपैठ की आशंका और उनके मददगारों की साजिश, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
10 मई को चार दिवसीय ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के स्थगित होने के बाद हर भारतीय एक ही सवाल पूछ रहा है कि अब भारत को क्या करना चाहिए? हमने आतंकवादी ढांचे को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है, पर आतंकी नेतृत्व को अभी उखाड़ फेंकना बाकी है। भारत को नहीं भूलना चाहिए कि मसूद अजहर, जिसके परिवार के 10 लोग भारतीय हमले में मारे गये हैं, ने अपने परिजनों की मौत का बदला लेने की कसम खायी है। लश्कर-ए-तैयबा का नेतृत्व भी इससे अलग नहीं है। इसलिए भारत को अब इन आतंकी संगठनों की साजिशों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। भले ही पाकिस्तान अल्पकालिक घुसपैठ के प्रयास को टाल सकता है, लेकिन ऐसा आतंकियों के बारे में नहीं कहा जा सकता, जो शायद कुछ और ही सोच रहे हों। हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए यदि वे अपने आकाओं की अवहेलना करें और स्वयं घुसपैठ का प्रयास करें। इसके अलावा पाकिस्तान भारत में अपने स्लीपर सेल को सक्रिय कर सकता है। भारत की समुद्री तटरेखा के साथ-साथ नेपाल और बांग्लादेश सीमाओं का बेहतर प्रबंधन विशेष जरूरी है, ताकि आतंकियों के भारत में पहुंचने के किसी भी प्रयास को विफल किया जा सके। यह सही है कि हमारी सैन्य सुरक्षा में कोई कमी नहीं है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ स्थगित हुआ है, बंद नहीं किया गया है। अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर वायु रक्षा ग्रिड और घुसपैठ रोधी ग्रिड को सक्रिय और जीवंत बनाये रखने की आवश्यकता है। इसके अलावा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित नागरिक सुरक्षा उपायों को जो गति मिली है, उसे जारी रखना चाहिए। जिला और राज्य स्तर पर नियमित रूप से समय-समय पर नागरिक सुरक्षा अभ्यास और कार्रवाइयां पूरी तत्परता से की जानी चाहिए। सिंधु जल संधि को निलंबित रखा गया है, ताकि पाकिस्तान के लोग समझें कि ऐसा उनके मुल्क के आतंकवादी प्रकृति के कारण हुआ है। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने की जरूरत है, जिसमें आतंकवादी समूह द रेजिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) की आतंकवादी गतिविधियों के बारे में यूएनएससी 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम को शामिल करना और उन्हें वैश्विक आतंकवादी समूहों की सूची में शामिल करने की मांग करना शामिल है। पाकिस्तान द्वारा निर्यात किये जाने वाले आतंक का खात्मा शुरू हो चुका है। अब गेंद पाकिस्तान के लोगों के पाले में है कि वे अपने राजनीतिक-सैन्य-आतंकवादी गठजोड़ के नेतृत्व के असली नापाक इरादों को समझें। अगर इस घृणित गठजोड़ ने सीमाओं का उल्लंघन किया, तो पाकिस्तान का विनाश निश्चित है।
भारत में आतंकवादियों के मददगार भी बड़ी चुनौती
एक कहावत है घर का भेदी लंका ढाहे। भारत में इस्लामी आतंकियों को खाद-पानी ऐसे ही घर के भेदियों से मिल रही है। सुरक्षाबलों ने इन्हें ओजीडब्ल्यू (ओवर ग्राउंड वर्कर) का नाम दिया है। इनका विस्तार इतना है कि सुरक्षाबलों के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। इनके नेटवर्क का अंदाजा लगाना इसलिए मुश्किल हो रहा है कि ये जाहिरा तौर पर निष्क्रिय रहते हैं। इसलिए इनको स्लीपिंग सेल भी कहा जाता है, लेकिन अपने आतंकी आकाओं के लिए ये आंख, कान हैं। सीमाओं के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों में इनकी उपस्थिति आतंकियों की बहुत बड़ी ताकत और सुरक्षाबलों के लिए उतना ही बड़ा सिरदर्द है। भारत में आतंकवाद को जिंदा रखने में ओवर ग्राउंड वर्करों की हमेशा ही भूमिका सामने आती रही है। भारत-पाकिस्तान सीमा और एलओसी से घुसपैठ के बाद पहाड़ी इलाकों तक पहुंचने के लिए मदद और हथियार पहुंचाने और खाना आदि मुहैया करवाने के अलावा मुखबिरी कर सुरक्षाबलों के मूवमेंट की जानकारी के लिए आतंकी ओवर ग्राउंड वर्करों का इस्तेमाल करते रहे हैं। पिछले एक दशक में जम्मू कश्मीर में सामने आये कई मामलों में सरकारी नौकरी में शामिल लोगों के भी ओवर ग्राउंड वर्कर होने के मामले सामने आते रहे हैं। यहीं नहीं, ये ओवरग्राउंड वर्कर आतंकियों को पनाह देने और सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने में भी मदद करते रहे हैं।
ड्रोन के जरिये हथियारों की सप्लाई का खुलासा
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तीन साल पहले तक हथियार, गोला-बारूद और नगदी आतंकियों तक पहुंचाने के लिए पाकिस्तान ड्रोन का इस्तेमाल करता नजर आया। बाकायदा इन ड्रोन के लिए लोकेशन तय होते और यहां से ओवर ग्राउंड वर्कर सामान आतंकियों तक पहुंचाते रहे हैं। सुरक्षाबलों की जांच में यह भी साफ हो चुका है कि इससे पहले आतंकी घुसपैठ के बाद हाइवे पर सुरक्षित सफर करने के लिए कई ट्रक चालकों को भी ओवर ग्राउंड वर्करों के रूप में इस्तेमाल कर चुके हैं। ट्रक में कैविटी बनाकर कश्मीर तक ले जाने के इस मामले का भंडाफोड़ झज्जर कोटली मुठभेड़ में हो चुका है।
घुसपैठ से अलर्ट रहने की जरूरत
सुरक्षाबलों की सतर्कता के बावजूद आतंकियों की घुसपैठ का खतरा लगातार बना हुआ है। पिछले 14 दिनों में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर पहाड़ तक तीन अलग-अलग गुटों में आतंकी देखे गये हैं। आतंकियों ने दोबारा अपना ठिकाना सक्रिय कर दिया है। सुरक्षाबलों के लिए यह चिंता का विषय है कि आतंकी नये रूटों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पाकिस्तान अब चीन की मदद से नेपाल के रास्ते आतंकियों को भारत में प्रवेश कराने की साजिश में है। इस क्रम में भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित मुस्लिम बहुल इलाकों का इस्तेमाल किये जाने की सूचना है। भारत को अब इस घुसपैठ से सतर्क रहने की जरूरत है।