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    Home»विशेष»बदल रहा है शशि थरूर और पी चिदंबरम का मिजाज!
    विशेष

    बदल रहा है शशि थरूर और पी चिदंबरम का मिजाज!

    shivam kumarBy shivam kumarMay 22, 2025No Comments10 Mins Read
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    विशेष
    दोनों नेताओं को साध कर दक्षिण के दुर्ग को साध सकती है भाजपा
    इस मौके का लाभ उठाने से पीछे नहीं हटेंगे भाजपा के रणनीतिकार

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान शांत पड़ी राजनीतिक गतिविधियां एक बार फिर जोर पकड़ने लगी हैं। इसका पहला संकेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम द्वारा लिखे गये एक लेख के बाद मिला। चिदंबरम और शशि थरूर के स्टैंड से कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं, जबकि भाजपा के लिए बड़ा सियासी मौका नजदीक आता दिखाई दे रहा है। चिदंबरम ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ में एक लेख लिखा और अब इंडिया ब्लॉक को ‘खराब और बिखरा’ हुआ बताया है, जबकि भाजपा को संगठित सशक्त राजनीतिक दल बताकर कांग्रेस के लिए उलझन पेश कर दी है। दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार चिदंबरम और थरूर अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। दोनों ही नेताओं ने पहलगाम आतंकी घटना से निपटने को लेकर पार्टी लाइन से बाहर जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। वहीं वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद और मृत्युंजय सिंह यादव की पुस्तक ‘कंटेस्टिंग डेमोक्रेटिक डेफिसिट’ के विमोचन कार्यक्रम में चिदंबरम ने कहा कि यह निश्चित नहीं है कि इंडिया ब्लॉक अब भी पूरी तरह एकजुट है या नहीं। यह बिखरता हुआ दिखाई देता है। गठबंधन का भविष्य उज्ज्वल नहीं दिखता। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि गठबंधन अब भी बरकरार है। चिदंबरम ने सरकार की सात मई की सैन्य कार्रवाई को वैध और लक्ष्य केंद्रित बताते हुए सराहना की। उन्होंने सरकार की पारदर्शिता की प्रशंसा करते हुए कहा कि मीडिया ब्रीफिंग में महिला सैन्य अधिकारियों को सामने लाना एक स्मार्ट मूव था। उधर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा था कि पीएम मोदी ने पाकिस्तान के साथ तनाव को बहुत कुशलता के साथ संभाला है। पीएम मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर अपने पहले सार्वजनिक संबोधन के जरिये पड़ोसी देश को एक सीधा और स्पष्ट संदेश दिया है। कांग्रेस के इन दो कद्दावर नेताओं के बयानों से साफ है कि उनका मन-मिजाज बदल रहा है। ये दोनों कांग्रेस से दूर जाते दिखाई दे रहे हैं और यदि ऐसा होता है, तो यह भाजपा के लिए बड़ा अवसर हो सकता है। क्या है चिदंबरम और थरूर के बदलते मिजाज का मतलब और क्या होगा इसका राजनीतिक असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा भले ही अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने में असमंजस के दौर से गुजर रही हो, लेकिन भारत के प्रति उसके समर्पण का ही यह तकाजा है कि अब वह अजेय पार्टी बनने जा रही है, खासकर आम चुनाव 2029 में। और यदि ऐसा हुआ, तो फिर भाजपा को हराना भारतीय विपक्षी पार्टियों और उनके तथाकथित इंडिया गठबंधन के लिए बेहद मुश्किल हो जायेगा। यह बात कोई और नहीं, दिग्गज कांग्रेस रणनीतिकार रहे पी चिदंबरम ने कहा है। इसलिए सियासी हल्के में यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या एक और कांग्रेस दिग्गज भी एक अन्य कांग्रेस दिग्गज शशि थरूर की राह पर चल रहे हैं, जो पहले से ही कांग्रेस लाइन से बे-लाइन चल रहे थे, क्योंकि उनके बयानों से तो यही जाहिर होता है कि वे कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता नहीं, बल्कि भाजपा के वरिष्ठ राजनेता हैं। ऐसा इसलिए कि अब चिदंबरम ने भी कुछ शशि थरूर जैसे ही बयान देने शुरू कर दिये हैं।
    ऐसे में सवाल है कि कांग्रेस नेताओं के लिए यह महज संयोग है या फिर वैचारिक भूलभुलैय्या वाला कोई अभिनव प्रयोग। समझा जाता है कि सत्ता जाने के बाद बड़े नेताओं द्वारा इधर-उधर गुंजाइश तलाशना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन जब गांधी परिवार के विश्वासपात्र नेता ही ऐसा करने लगें, तो राहुल-प्रियंका गांधी का चिंतित होना स्वाभाविक है, जबकि वे दोनों बेफिक्र लग रहे हैं और इन बड़बोले नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस में हो रहे पीढ़ी परिवर्तन से ये नेता अनफिट घोषित किये जा चुके हैं। इसलिए वे अपने-अपने बयानों से भाजपा को पटाने में जुटे हैं।

    राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि थरूर की सहानुभूति से केरल भाजपा और चिदंबरम की दरियादिली से तमिलनाडु भाजपा को आशातीत बढ़त मिल सकती है, क्योंकि कांग्रेस के जो वफादार पुराने प्रहरी हैं, उनमें से चिदंबरम-थरूर का नाम राजनीतिक हलकों में बड़ी ही साफगोई पूर्वक लिया जाता है। इसके एक नहीं, बल्कि सैकड़ों वजहें हैं। आखिर तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जमाने से ही चिदंबरम कांग्रेस का झंडा मजबूती से पकड़े हुए हैं। हालांकि कई बार उनके बयानों में भी कांग्रेस को कड़वी सच्चाई का सामना करना पड़ जाता है। वह भी बिलकुल वैसे ही कुछ करते हुए दिखाई दे जाते हैं, जैसे शशि थरूर करते रहते हैं। हालांकि कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं की फितरत भी यही रहती है, लेकिन वे उतने बड़े और प्रभावी नहीं हैं, जितने कि ये दोनों।

    थरूर की राह पर चिदंबरम
    अब ताजा मामला ही देखा जाये कि चिदंबरम ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मसले पर भारत सरकार की पहले ही तारीफ की थी और अब इंडिया गठबंधन को भी आइना दिखाते हुए खरी-खोटी सुना दी है। इसके अपने सियासी मायने हैं, जिन्हें भुनाने में भाजपा कतई पीछे नहीं रहेगी। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा सांसद चिदंबरम सलमान खुर्शीद और मृत्युंजय सिंह यादव की किताब ‘कंटेस्टिंग डेमोक्रेटिक डेफिसिट’ के विमोचन अवसर पर बोल रहे थे। इस किताब में सलमान खुर्शीद और मृत्युंजय यादव ने पिछले साल के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के पुनरुद्धार के प्रयासों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया है कि कैसे कांग्रेस ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और विपक्षी दलों के साथ मिलकर इंडिया ब्लॉक का गठन किया, जिससे भारत में लोकतंत्र को बचाने की कोशिश की गयी। किताब में कहा गया है कि इंडिया ब्लॉक से जुड़े कुछ मुद्दे हैं, जिनका समाधान किया जाना चाहिए।

    क्या कहा चिदंबरम ने
    कार्यक्रम में चिदंबरम ने भी इंडिया गठबंधन को आइना दिखा दिया और साफ-साफ कह दिया कि ऐसा नहीं लगता कि इंडिया गठबंधन अब भी पूरी तरह से एकजुट है। यह लगभग बिखरता हुआ दिखाई देता है और इसका भविष्य उज्ज्वल नहीं दिखता। उन्होंने यहां तक कह दिया कि इंडिया ब्लॉक का भविष्य उतना उज्ज्वल नहीं है, जैसा कि मृत्युंजय यादव ने कहा। उन्हें लगता है कि गठबंधन अभी भी बरकरार है, लेकिन मुझे यकीन नहीं है। इसका उत्तर केवल सलमान खुर्शीद ही दे सकते हैं, क्योंकि वे इंडिया ब्लॉक के लिए वार्ता करने वाली टीम का हिस्सा थे। ऐसे में अगर गठबंधन पूरी तरह बरकरार रहता है, तो मुझे बहुत खुशी होगी। लेकिन आये दिन उजागर होने वाली कमजोरियों से पता चलता है कि गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी उम्मीद जतायी कि गठबंधन अभी भी बच सकता है। अभी भी समय है। वहीं, चतुर सियासी खिलाड़ी रहे चिदंबरम ने आखिरी में यह उम्मीद भी जता दी कि इंडिया गठबंधन को अब भी जोड़ा जा सकता है। अगर समय रहते इस पार काम हुआ, तो कुछ हो सकता है। समझा जा रहा है कि यह राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर तो सवाल है ही, कांग्रेस के सहयोगी दलों के नेताओं की निष्ठा पर उससे भी बड़ा सवाल पैदा कर जाता है। इसलिए यह शब्द सुनकर शायद ही कांग्रेस आलाकमान और इस गठबंधन में मौजूद पार्टियों को अच्छा लगेगा।

    ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की तारीफ
    इससे पहले भी चिदंबरम ने एक अंग्रेजी दैनिक में अपने एक लेख में पीएम मोदी के नेतृत्व को सराहा और कहा कि सरकार ने सीमित सैन्य कार्रवाई का रास्ता चुनकर एक बड़ा युद्ध टाल दिया। भारत ने जो कार्रवाई की, वो बेहद सीमित और सुनियोजित थी, जिसका उद्देश्य आतंकी संगठनों की बुनियादी ढांचे को नष्ट करना था। वहीं उन्होंने इस कार्रवाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समझदारी भरा कदम बताया है।

    कांग्रेस आलाकमान सकते में
    यही वजह है कि उनके इस परिवर्तित दृष्टिकोण ने कांग्रेस आलाकमान को सकते में डाल दिया है। कहने का तात्पर्य यह कि चिदंबरम ने महज एक सप्ताह के अंदर दूसरी बार कांग्रेस की कोर टीम को अपने बयानों से बेचैन कर दिया है। लिहाजा राजनीतिक जानकार उनके बयान को बड़ी ही करीबी से देख रहे हैं, क्योंकि इससे पहले कांग्रेस के बड़े नेताओं में शशि थरूर ऐसा करते हुए पाये गये हैं, जो लंबे समय से पीएम मोदी के अंदाज के मुरीद रहे हैं। इसलिए अब देखना यह होगा कि चिदंबरम के बयानों के मायने क्या निकलकर आते हैं! हालांकि फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि चिदंबरम कई बार अपने बयानों से चौंकाते रहे हैं। इस बार भी उन्होंने ऐसा ही किया है। ऐसा करके वो शायद अपने बेटे के लिए कोई बड़ी जिम्मेदारी चाहते हों। तमिलनाडु भाजपा को अभी ऐसे ही नेताओं के नेटवर्क की जरूरत भी है, ताकि दक्षिण भारत में भाजपा की पैर जमे।

    भाजपा कोे दुर्जेय मशीनरी बताया
    वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम का भाजपा को लेकर यह कहना कि विपक्षी गठबंधन एक दुर्जेय मशीनरी के खिलाफ लड़ रहा है। उन्होंने भाजपा को लेकर भी विपक्षी गठबंधन को चेतावनी दी और साफगोई पूर्वक कहा कि विपक्षी गठबंधन एक दुर्जेय मशीनरी के खिलाफ लड़ रहा है, जिसे सभी मोर्चों पर लड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मेरे अनुभव और इतिहास के मेरे अध्ययन में, भाजपा जितनी मजबूत संगठित कोई राजनीतिक पार्टी नहीं रही है। यह सिर्फ एक पार्टी नहीं, बल्कि एक मशीनरी की तरह है, और इस मशीन के पीछे एक और मशीन है, जो चुनाव आयोग से लेकर देश के सबसे निचले पुलिस स्टेशन तक को नियंत्रित करती है और कभी-कभी उन पर कब्जा करने में सक्षम है। यह एक दुर्जेय मशीनरी है।’
    केंद्रीय मंत्री चिदंबरम ने कहा कि चुनाव परिणामों ने दिखाया है कि कोई भी भारत में चुनावों को कमजोर नहीं कर सकता, जो अभी भी एक चुनावी लोकतंत्र है। आप भारत में चुनावों में हस्तक्षेप कर सकते हैं। आप उनमें छेड़छाड़ कर सकते हैं, लेकिन आप चुनावों से बच नहीं सकते। आप ऐसे चुनाव नहीं कर सकते, जहां सत्ताधारी पार्टी 98 फीसदी वोट ले जाये। भारत में ऐसा संभव नहीं है। इसलिए कांग्रेस नेता चिदंबरम ने चेताया कि अगर 2029 का आम चुनाव भाजपा के पक्ष में निर्णायक रूप से चला गया, तो फिर शायद लोकतंत्र को बचाना बहुत मुश्किल हो जोगा। इसलिए 2029 के चुनाव महत्वपूर्ण हैं और हमें पूर्ण लोकतंत्र में वापस लाना चाहिए।

    भाजपा के लिए बड़ा मौका
    भाजपा के लिए यह बड़ा मौका है कि अब विपक्षी नेता ही उसकी रणनीति को सराह रहे हैं। ऐसे में पार्टी की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। अब तो उसके नये राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन से ही पता चलेगा कि आत्ममुग्ध भाजपा का भविष्य का दांव-प्रतिदाव कैसा और कितना सार्थक होगा। शायद इसलिए कद्दावर कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम और शशि थरूर की परिवर्तित सियासी निष्ठा से भाजपा के अजेय होने की चर्चा जोर पकड़ चुकी है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता से उसकी जनसाख भी बढ़ी है। मिशन 2029 में वह अभी से जुट गयी है, जबकि बिहार विधानसभा चुनाव 2025, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 और उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 से यह स्पष्ट हो जायेगा कि कथित इंडिया गठबंधन भाजपा नीत एनडीए को टक्कर दे पायेगा या नहीं।

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