कोलकाता। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कोलकाता क्षेत्रीय इकाई ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कुर्क की गई 9.56 करोड़ रूपए मूल्य की संपत्तियों को वैध दावेदार को लौटा दिया है। यह संपत्तियां काउशिक ग्लोबल लॉजिस्टिक्स लिमिटेड (केजीएलएल) की हैं, जिसे राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), कोलकाता द्वारा नियुक्त आधिकारिक परिसमापक को सौंपा गया है।
ईडी ने बुधवार देर रात जारी अपने बयान में बताया है कि यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत विशेष अदालत के आदेश के अनुरूप की। लौटाई गई संपत्तियों में 10 अचल संपत्तियां और नौ चल संपत्तियां शामिल हैं।
एजेंसी के अनुसार, यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), कोलकाता द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है। ईडी की जांच में सामने आया कि केजीएलएल के निदेशक धनंजय सिंह, संजय सिंह और मृतुंजय सिंह ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 85.39 करोड़ रूपए की क्रेडिट सुविधाएं और टर्म लोन प्राप्त किए, जो 30 जून 2013 को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में बदल गए। उस समय बकाया राशि 60.38 करोड़ रूपए थी।
उल्लेखनीय है कि यह ऋण वोल्वो और मर्सिडीज बसें खरीदने तथा यात्री परिवहन सेवा के संचालन के लिए जारी किया गया था। लेकिन ईडी के अनुसार, इन ऋणों का दुरुपयोग किया गया। आरोपितों ने वोल्वो बस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से डाले गए एक फर्जी बैंक खाते तथा देना बैंक (अब बैंक ऑफ बड़ौदा) के अन्य खातों के माध्यम से जटिल बैंकिंग लेनदेन की श्रृंखला बनाई। इस धनराशि का उपयोग फिक्स्ड एसेट्स बनाने, अन्य ऋणों के ब्याज और किस्त चुकाने तथा अपनी अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया।
ईडी ने जांच के दौरान कुल 10.86 करोड़ रूपए की आपराधिक आय को दो अस्थायी कुर्की आदेशों के माध्यम से अटैच किया था।
एजेंसी का कहना है कि यह कार्रवाई न केवल मनी लॉन्ड्रिंग से अर्जित संपत्तियों को चिन्हित और कुर्क करने के प्रयासों को दर्शाती है, बल्कि यह सुनिश्चित करने की उनकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है कि यह धन सही दावेदारों या पीड़ितों को वापस लौटाया जाए।