वाशिंगटन (अमेरिका)। राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि संकटग्रस्त सिलिकॉन वैली चिप निर्माता कंपनी इंटेल ने अमेरिकी सरकार को अपने कारोबार में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने पर सहमति जताई है। इसकी कीमत 8.9 अरब डॉलर है। यह 2008 के वित्तीय संकट के बाद ऑटो उद्योग को बचाने के बाद से किसी अमेरिकी कंपनी में सरकार के सबसे बड़े हस्तक्षेपों में से एक है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार, राष्ट्रपति ने यह घोषणा संवाददाता सम्मेलन में की। ट्रंप ने कहा कि यह समझौता पिछले हफ्ते इंटेल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लिप-बू टैन के साथ हुई बातचीत के बाद हुआ है। ट्रंप ने कहा कि टैन उनके सुझाव पर सहमत हो गए। यह उनके लिए बहुत बड़ा सौदा है। इस सौदे पर इंटेल ने कहा कि अमेरिका उसके शेयरों में 8.9 अरब डॉलर का निवेश करेगा। इसके अलावा सरकार ने चिप्स एंड साइंस एक्ट के तहत कंपनी को 2.2 अरब डॉलर का भुगतान किया है। चिप्स एंड साइंस एक्ट एक संघीय कार्यक्रम है, जिस पर 2022 में हस्ताक्षर हुए थे। इसके बाद अमेरिकी सेमीकंडक्टर निर्माण को पुनर्जीवित करने के लिए अरबों डॉलर का अनुदान प्राप्त हुआ।
टैन ने एक बयान में कहा कि सरकार इंटेल में बोर्ड की कोई सीट नहीं लेगी। सरकार के पास अन्य प्रशासनिक अधिकार नहीं होंगे। टैन ने कहा, ” इंटेल राष्ट्रपति और प्रशासन का भरोसा जताने के लिए आभारी है। अब हम अमेरिकी प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षेत्र में नेतृत्व को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।” वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में अमेरिकी नेतृत्व को मजबूत करेगा।
उधर, अमेरिकी सौदे की खबर से इंटेल के शेयरों में 6 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई। 1968 में स्थापित, यह कंपनी उद्योग में अग्रणी रही है। इसने वर्षों से तेज और अधिक शक्तिशाली चिप्स का उत्पादन किया है। इस कारण सिलिकॉन वैली अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र की नींव बन गई है। लेकिन स्मार्टफोन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्रांति सहित नवाचार की कई लहरों से चूकने के बाद इंटेल मुश्किल में है।