मुंबई। बॉलीवुड से एक बेहद दुखद और मन को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता और ‘ही-मैन’ के नाम से मशहूर धर्मेंद्र का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। उनकी इस दुनिया से विदाई ने न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे देश और भारतीय सिनेमा को गहरे शोक में डुबो दिया है।
पवन हंस श्मशान घाट पर हुआ अंतिम संस्कार
बीते कुछ समय से धर्मेंद्र की सेहत लगातार गिर रही थी और वह बढ़ती उम्र से जुड़ी कई समस्याओं से जूझ रहे थे। कुछ दिन पहले उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत बिगड़ने पर परिवार लगातार उनके साथ था। बाद में उन्हें घर ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा था। धर्मेंद्र का अंतिम संस्कार पवन हंस श्मशान घाट पर किया जा रहा है। उनका पूरा नाम धर्मेंद्र केवल कृष्ण देओल था और उनका जन्म 8 दिसंबर, 1935 को पंजाब के नसरानी गांव में हुआ था। एक छोटे-से गांव से निकलकर भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में शामिल होने तक का उनका सफर किसी किंवदंती से कम नहीं रहा।
पूरे फिल्म उद्योग में शोक की लहर
धर्मेंद्र के निधन की खबर फैलते ही फिल्म इंडस्ट्री में मातम छा गया। उनके चाहने वाले, साथी कलाकार और दोस्त इस खबर पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। सोशल मीडिया पर हजारों पोस्ट उनके नाम से भरे पड़े हैं, फैंस, सेलेब्रिटीज और फिल्मकार उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। सभी के संदेशों में एक ही बात है, धर्मेंद्र का जाना एक युग का अंत है। उनकी मुस्कुराती तस्वीरें, उनकी भारी-भरकम आवाज, उनका करिश्मा और सादगी, सब अब केवल यादों में रह जाएंगे। कई लोग मानने को तैयार ही नहीं कि बॉलीवुड का ‘ही-मैन’ अब इस दुनिया में नहीं है।
काजोल ने धर्मेंद्र के निधन पर शोक व्यक्त किया
धर्मेंद्र के देहांत की खबर से दुखी काजोल ने इंस्टाग्राम पर अपनी भावनाएँ साझा करते हुए लिखा, “एक नेक और महान आत्मा हमें छोड़कर चली गई। दुनिया आज पहले से कहीं ज़्यादा खाली महसूस हो रही है… ऐसा लगता है कि हम अपने सबसे अच्छे लोगों को खोते जा रहे हैं। धरम जी हमेशा दयालु, स्नेही और प्यारे रहे। उनकी कमी हमेशा खलेगी। RIP धरमजी… ढेर सारा प्यार।”
करण जौहर की भावुक श्रद्धांजलि
फिल्म निर्माता और निर्देशक करण जौहर ने सोशल मीडिया पर एक लंबे, भावुक पोस्ट के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दी। इंस्टाग्राम पर लिखे संदेश में करण जौहर ने कहा कि धर्मेंद्र का जाना वास्तव में एक युग का अंत है। करण ने लिखा, “यह एक युग का अंत है… एक बहुत बड़े मेगास्टार का जाना… मुख्यधारा के सिनेमा में हीरो का असली अवतार… अविश्वसनीय रूप से सुंदर और रहस्यमय स्क्रीन प्रेज़ेंस। वह हमेशा भारतीय सिनेमा के एक वास्तविक लीजेंड रहे हैं और रहेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि धर्मेंद्र न केवल पर्दे पर बल्कि असल ज़िंदगी में भी उतने ही महान थे, “सबसे बढ़कर वह सबसे अच्छे इंसान थे। हमारी इंडस्ट्री में हर कोई उन्हें बेहद प्यार करता था। उनके पास सबके लिए सिर्फ प्यार, अपनापन और सकारात्मक ऊर्जा थी। उनका आशीर्वाद, उनका आलिंगन और उनकी गर्मजोशी बेहद याद आएगी। आज हमारी इंडस्ट्री में एक बड़ा खालीपन है… एक ऐसी जगह जिसे कोई भी कभी नहीं भर सकता। हमेशा एक ही रहेंगे, एकमात्र धर्मजी। हम आपसे बहुत प्यार करते हैं सर। हम आपको बेहद याद करेंगे। आज स्वर्ग धन्य हो गया है। अभी ना जाओ छोड़कर… कि दिल अभी भरा नहीं… ओम शांति।”
तबीयत बिगड़ने पर पूरे परिवार की रही मौजूदगी
धर्मेंद्र को 31 अक्टूबर 2025 को रेगुलर चेकअप के लिए ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि शुरुआत में उनकी हालत स्थिर थी, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति गंभीर होती चली गई। उन्हें सांस लेने में लगातार कठिनाई हो रही थी। 10 नवंबर को उनकी हालत नाजुक होने के बाद पूरा परिवार अस्पताल पहुंच गया था, हेमा मालिनी, सनी देओल, ईशा देओल, अभय देओल, करण देओल और राजवीर देओल सभी उनके पास मौजूद थे। परिवार, डॉक्टर और फैंस सब कामना कर रहे थे कि वह ठीक होकर फिर से घर लौट आएं, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
65 वर्षों का बेमिसाल करियर
धर्मेंद्र का फिल्मी सफर किसी सपने जैसा रहा, एक ऐसा सफर, जिसकी शुरुआत 1960 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से हुई थी। एक नौजवान, जो सिर्फ कैमरे से नहीं बल्कि दिलों से बात करने के लिए पैदा हुआ था। अगले ही साल वह ‘बॉय फ्रेंड’ में सपोर्टिंग रोल में नजर आए, और वहीं से उनके अंदर का असली सितारा चमकने लगा। उनकी आंखों की मासूमियत, उनकी मुस्कान की सादगी और उनकी भारी आवाज़ का जादू धीरे-धीरे भारतीय सिनेमा पर पूरी तरह छा गया। कुछ ही सालों में धर्मेंद्र ऐसे मुकाम पर पहुंच गए, जहां पहुंचना सिर्फ एक्टरों के बस की बात नहीं, वह सिर्फ मेहनत, जुनून और ईमानदार लगन का नतीजा होता है। लगभग 65 वर्षों तक धर्मेंद्र ने लगातार बड़े पर्दे पर अपनी मौजूदगी का जादू चलाया। यह वह दौर था जब हर साल उनकी किसी न किसी फिल्म का इंतज़ार होता था, और थिएटरों में भीड़ सिर्फ एक नाम की वजह से उमड़ती थी, धर्मेंद्र।
उन्होंने रोमांस भी किया तो दिल जीत लिया, कॉमेडी की तो हर डायलॉग पर हंसी गूंज उठी, और जब एक्शन किया तो लोग सीटियां बजाना नहीं रोक पाए। उनकी बहुमुखी प्रतिभा की मिसाल आज भी दी जाती है। धर्मेंद्र की सुपरहिट फिल्मों की सूची इतनी लंबी है कि उसे गिनते-गिनते वक्त लग जाए, लेकिन कुछ फिल्में ऐसी हैं जो भारतीय सिनेमा की रीढ़ बन चुकी हैं। ‘शोले’ (1975) में वीरू बनकर उन्होंने दोस्ती और मस्ती दोनों को एक नए रूप में पेश किया। ‘चुपके-चुपके’ में प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी के किरदार में उनकी कॉमिक टाइमिंग आज भी लोग मिसाल के तौर पर याद करते हैं। ‘सीता और गीता’ (1972), ‘धरमवीर’ (1977), ‘फूल और पत्थर’ (1966), ‘जुगनू’ (1973) और ‘यादों की बारात’ (1973) इन फिल्मों का ज़िक्र किए बिना हिंदी सिनेमा का इतिहास अधूरा है।
धर्मेंद्र सिर्फ एक सुपरस्टार नहीं थे, वह दर्शकों की भावनाओं के बेहद करीब थे। उनकी रोमांटिक इमेज ने लड़कियों का दिल जीत लिया, उनकी एक्शन हीरो की छवि ने उन्हें ‘ही-मैन’ बनाया, और उनकी कॉमिक टाइमिंग ने उन्हें हर घर का चेहरा बना दिया। लोग सिर्फ उनकी फिल्में नहीं देखते थे, बल्कि उन्हें अपना मानते थे। स्क्रीन पर धर्मेंद्र का आना मतलब पूरा हॉल तालियों और सीटियों से गूंज उठना और यही स्टारडम की असली परिभाषा है। उन्होंने हर जॉनर में अपना लोहा मनवाया, हर रोल को पूरी ईमानदारी के साथ जिया, और अपने काम से साबित किया कि असली सितारा वही होता है जो दिलों में बस जाता है। धर्मेंद्र का सफर सिर्फ 65 साल का करियर नहीं था वह भारतीय सिनेमा का एक स्वर्णिम अध्याय था, जो हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज रहेगा।
फिल्म ‘इक्कीस’ में सुनी जाएगी धर्मेंद्र की आखिरी आवाज
धर्मेंद्र के चाहने वालों के लिए एक और भावनात्मक पल हाल ही में आया, जब फिल्म ‘इक्कीस’ से उनका नया मोशन पोस्टर जारी किया गया। इस पोस्टर में धर्मेंद्र की आवाज भी सुनाई देती है, जिसने फैंस को भावुक कर दिया है। अगस्त्य नंदा स्टारर यह फिल्म 25 दिसंबर को रिलीज़ होगी और यही धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म मानी जा रही है। उनकी आवाज और उनकी मौजूदगी इस फिल्म के ज़रिए फैंस को एक बार फिर उनसे जोड़ देगी।

