नई दिल्ली/अहमदाबाद : गुजरात के मशहूर गिर अभयारण्य में खतरनाक कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) और प्रोटोजोवा संक्रमण के कारण अबतक 23 शेरों की मौत हो चुकी है। 26 शेरों वाले इस अभायरण्य में अब केवल तीन ही शेर बचे हुए हैं। लगातार शेरों की मौत से गिर प्रशासन सकते में है। बचे हुए शेरों को बचाने के लिए प्रशासन हर संभव कोशिश में लगा हुआ है।
क्या है कैनाइन डिस्टेंपर वायरस
>>कैनाइन डिस्टेंपर बेहद खतरनाक संक्रामक वायरस है। इसे सीडीवी भी कहा जाता है। इस बीमारी से ग्रसित जानवरों का बचना बेहद मुश्किल होता है।
>>यह बीमारी मुख्यत: कुत्तों में पाई जाती है। हालांकि कैनाइन फैमिली में शामिल रकून, भेड़िया और लोमड़ी में भी यह बीमारी पाई जाती है।
>>कुत्तों के जरिए यह वायरस दूसरों जानवरों में भी फैल जाता है।
>>इसके अलावा यह वायरस हवा तथा सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर इस वायरस से ग्रसित किसी जानवर के संपर्क में आने से भी फैलता है।
>>शुरू में यह वायरस कुत्तों के टॉन्सल, लिंफ (नसों में बहने वाला खास तरल) पर हमला करता है। बीमारी के लक्षण इस वायरस से ग्रसित होने के करीब एक सप्ताह में सामने आता है। इसके बाद यह बीमारी कुत्ते के श्वास नली, किडनी और लिवर पर हमला कर देता है। कुछ दिन में इसके वायरस मस्तिष्क तंत्रिका में पहुंच जाते हैं और कुत्तों की मौत हो जाती है।
>>हाई फीवर, लाल आंखें तथा नाक और कान से पानी बहना इस बीमारी का मुख्य लक्षण है। इसके अलावा कफ, उल्टी और डायरिया भी हो सकता है। इस बीमारी के कारण कुत्ते सुस्त पड़ जाते हैं।
>>यह बीमारी खराब वैक्सीन से भी फैल सकती है। हालांकि ऐसे मामले रेयर ही होते हैं। बैक्ट्रिया इंफेक्शन से भी इस बीमारी के फैलने का खतरा रहता है।
>>कैनाइन डिस्टेंपर वायरस का पता बॉयोकेमिकल टेस्ट और यूरिन की जांच से चलता है।
गिर में अबतक क्या हुआ
>>शेरों के लिए मशहूर गुजरात के गिर अभयारण्य में अबतक 23 शेरों की जान जा चुकी है।
>>12 सितंबर से कैनाइन डिस्टेंपर वायरस और प्रोटोजोआ इंफेक्शन गिर में अधिकतर शेरों को अपनी जद में ले चुका है।
>>गिर के कुल 26 शेरों में से 23 अबतक मर चुके हैं। बाकी तीन शेर इस वायरस से बचे रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
>>चार शेरों की मौत कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से हुआ है जबकि 17 अन्य शेरों की मौत प्रोटोजोआ इंफेक्शन से हुआ है।
>>2011 में गुजरात के वन विभाग को शेरों में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस के बारे में दो बार आगाह किया गया था।
>>1994 में तंजानिया में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस के कारण 1000 शेरों की मौत हो गई थी।