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    Home»Breaking News»वन भूमि खाली कराने से पहले हस्तक्षेप करे सरकार: सुदेश
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    वन भूमि खाली कराने से पहले हस्तक्षेप करे सरकार: सुदेश

    azad sipahiBy azad sipahiFebruary 24, 2019Updated:February 24, 2019No Comments2 Mins Read
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    रांची। आजसू सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले ने झारखंड समेत देश के 16 राज्यों के 11 लाख से ज्यादा वनों पर आश्रित आदिवासी परिवारों और अन्य परंपरागत समुदायों के समक्ष वन भूमि से बेदखली का संकट खड़ा कर दिया है। इस आदेश के तहत वैसे सभी वनाधिकार दावे, जिन्हें निरस्त कर दिया गया है, उन्हें वन भूमि से खाली कराया जाना है। इससे झारखंड के जंगलों में गुजर-बसर कर रहे लगभग तीस हजार आदिवासी और परंपरागत समुदाय से जुड़े परिवारों को भी वन भूमि से बेदखल किया जायेगा। जाहिर है जंगलों में जीते लोगों की मुश्किलें बढ़ेंगी। इसलिए राज्य सरकार तत्काल हस्तक्षेप करे। सरकार उच्चतम न्यायालय में इस पर दखल करे और पुनरावलोकन याचिका दायर कर वन भूमि पर रह रहे आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूती से अपना पक्ष रखे।

    सुदेश महतो ने कहा कि वनाधिकार कानून 2006 को सरकार अगर सख्ती और पारदर्शी तरीके से लागू करती, तो यह परिस्थिति पैदा नहीं होती। झारखंड में आदिवासी समुदाय और जन संगठन कोर्ट के फैसले के बाद मुखर हैं। सरकार ने गंभीरता से इस मसले पर कदम नहीं उठाया, तो टकराव बढ़ सकता है। कहा कि जो जानकारियां मिल रही हैं, उसके मुताबिक झारखंड राज्य में वनाधिकार के जो भी दावे निरस्त किये गये हैं, उसकी सूचना ग्रामसभाओं और दावेदारों को नहीं दी गयी है। वनाधिकार कानून किसी भी स्तर पर आपत्ति होने की स्थिति में समीक्षा का उत्तरदायी ग्राम सभा को मानता है। दावेदारों को अपील करने के मौके भी नहीं दिये गये । सरकार से मेरा आग्रह है कि कानूनसम्मत प्रक्रिया के तहत सभी निरस्त दावों को ग्राम सभाओं को भेजा जाये और ग्राम सभाओं की अनुशंसा पर ही अग्रेतर कार्रवाई हो।

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