Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Thursday, May 15
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»झारखंड»वर्ष 2014 से ही भाजपा कर रही थी संथाल फतह पर काम
    झारखंड

    वर्ष 2014 से ही भाजपा कर रही थी संथाल फतह पर काम

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskMay 27, 2019No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    रांची। कहते हैं कि विकास की कोई सानी नहीं होती। झूठ की राजनीति का अंत होता ही है और यह अंत भी विकास के रास्ते ही संभव है। इस बात को इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने संथाल में साबित कर दिखाया। तभी तो, कभी भूख, गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण और ऐसे कई तरह की विकास विरोधी सवालों के लिए जाने जानेवाला संथाल आज चुनौती दे रहा है देश और राज्य के बड़े-बड़े विकसित शहरों को। कभी संथालपरगना में लोग जाने के लिए दस बार सोचते थे। नक्सलियों का खौफ, आवागमन की समस्या और कई अन्य तरह की समस्याएं इस इलाके की नियति थी। प्रकृति की बेशुमार सौगातों से भरा यह क्षेत्र गरीबी, अशिक्षा और कुपोषण के लिए जाना जाता था। राजनीतिक रूप से यह क्षेत्र अपंग था। संथाल आदिवासियों का यह इलाका विकास के लिए तरस रहा था। रोजगार के नाम पर कुछ नहीं था। पलायन इस इलाके के लोगों की नियति बनी हुई थी। अलग राज्य बनने के बाद भी यहां राजनीति तो खूब हुई पर विकास नहीं हुआ। भाजपा ने विकास की राजनीति को संथाल का मोहरा बनाया। इस क्षेत्र को केंद्र और राज्य की बड़ी-नदी योजनाओं से आच्छादित कर दिया। यही वजह है कि पिछले पांच वर्षों में इस क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। देखा जाय तो सबसे ज्यादा विकास के काम इसी इलाके में हुए हैं। गोविंदपुर से साहेबगंज, दुमका से गोड्डा, गोड्डा से महगामा होते हुए साहेबगंज, देवघर से गोड्डा-साहेबगंज और दुमका, सभी सड़कें एक से बढ़कर एक। ऐसी सड़क जिसपर गाड़ियां सरपट दौड़ती मिली। कहीं हिचकोले नहीं खायी। सडकों पर कोई अतिक्रमण नहीं। इस क्षेत्र में कई ऐसे विकास के काम हुए हैं जो झारखंड के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। देवघर के देवीपुर में बन रहा एम्स इस इलाके के साथ-साथ बिहार और बंगाल के लोगों के लिए वरदान की तरह है। जहां एम्स बन रहा है, दो साल पहले यह इलाका वीरान था। इस उजाड़ इलाके की रौनक पूरी तरह से बदल गयी है। झारखंड को स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह सबसे बड़ी सौगात है। काम तेजी से चल रहा है। दुमका में मेडिकल कॉलेज का निर्माण कोई छोटी बात नहीं है। देवघर में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का काम चल रहा है। यह झारखंड की देवनागरी को केंद्र सरकार की बड़ी सौगात है। इस तरह का विकास संथाल में दिख रहा है। सड़कें सिर्फ केंद्र सरकार यानि एनएच के ही नहीं राज्य सरकार की तरफ से बनी एसएच भी चमक रही है। इन सडकों पर गाड़ियां सरपट दौड़ती नजर आती हैं। बिहार को जोड़नेवाली गंगा पुल का या फिर साहेबगंज में बन रहे अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह इस बात की ताकीद कर रहा है कि विकास संथाल पहुंच गया है। साहेबगंज में गंगा पिल को लेकर अलग राज्य बनने के बाद से ही सिर्फ राजनीति होती थी। पहली बार प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के समय इसको लेकर प्रयास हुआ था, लेकिन उनका प्रयास मुकाम हासिल नहीं कर सका। इसके बाद जितनी भी सरकार बनी सभी ने साहेबगंज में गंगा पुल को लेकर वादे तो किये लेकिन एक कदम भी आगे नहीं चल सके। इस बीच वर्ष 2006 में कांग्रेस समर्थित मधु कोड़ा की सरकार बनी। केंद्र में भी कांग्रेस नेतृत्व की सरकार थी, बात नहीं बनी। दुबारा वर्ष 2013 में हेमंत सोरेन की सरकार बनी। कांग्रेस भी सरकार में शामिल थी। केंद्र में भी कांग्रेस की ही सरकार थी। झामुमो जो संथाल की राजनीति से सत्ता पर काबिज हुई थी, संथाल की सबसे बड़ी परियोजना को धरातल पर नहीं उतार सकी। वर्ष 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी। इसी वर्ष राज्य में भी रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। एक वर्ष के भीतर साहेबगंज गंगा पुल पर केंद्र की सहमती मिल गयी। इतना ही नहीं झारखंड को पहली बार जलमार्ग से जोड़ने की भी योजना बनी। साहेबगंज में बंदरगाह को मंजूरी दी गयी। दोनों पर काम चल रहा है। यहां पर पहाड़िया बटालियन की बात नहीं की जाय तो उचित नहीं होगा। मुख्यमंत्री बनने के बाद रघुवर दास ने बजट तैयार करने को लेकर ग्रामीणों के साथ बैठकर योजना बनाओ अभियान शुरू किया। इसको लेकर सबसे पहले संथाल के लिट्टीपाड़ा में योजना बनाओ अभियान की शुरुआत हुई। इसी क्रम में मुख्यमंत्री को आदिम जनजाति की दशा को नजदीक से देखने और समझने का मौका मिला। उसी वर्ष मुख्यमंत्री ने बजट भाषण में पहाड़िया बटालियन के गठन की घोषणा की। जो आज मुकाम ले चूका है। कभी जंगलों, पहाड़ों में जीवन बसर करनेवाले इन आदिम जनजाति के युवाओं के नहीं सोचा था कि उन्हें भी पुलिस में नौकरी करने का मौका मिलेगा। इस इलाके के आदिवासियों के लिए पेयजल सबसे बड़ी समस्या थी। राज्य सरकार ने सुदूर इलाके में बोरिंग कर पानी की टंकी की व्यवस्था की है। इन सबसे बड़ी बात तो यह है कि विकास में सबसे बड़ा बाधक नक्सली जड़ से उखड़ गये हैं। नक्सलियों के नाम का पता नहीं है। राज्य सरकार ने साढ़े चार वर्षों में संथाल को सौगातों की भरमार की है। पहाड़ों पर जीवन बसर करनेवाले पहाड़िया आदिम जनजाति को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई काम किये गये हैं। कह सकते हैं कि इस जनजाति के उत्थान के लिए रघुवर सरकार ने खजाना खोल दिया है। पहाड़िया आदिम जनजाति को सरकार की तरफ से मिलनेवाली मुफ्त आनाज लाभुकों को मिले इसके लिए डाकिया योजना की शुरूआत कर घर-घर आनाज पहुंचाया जा रहा है। सरकारी स्कूलों का जाल बिछाया जा रहा है। संथाल भाषा की ओलचिकी लिपि को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। अब तो इस लिपि में रेलवे स्टेशन पर उद्घोषणा की जा रही है। पिछले पांच वर्षों में केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार और साढ़े चार वर्ष की रघुवर दास की सरकार ने जो विकास के काम संथाल में किये उसे संथाल की जनता ने ब्याज सहित वापस लोकसभा चुनाव में किया है। संथाल की जनता ने इस मिथक को तोड़ा है कि अब जाति,धर्म की राजनीति नहीं चलेगी, सिर्फ विकास की राजनीति ही चलेगी। तभी तो ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा बढ़ चढ़कर लोकसभा के महापर्व में भागीदारी दी। कभी सोचा नहीं होगा कि संथाल जैसे इलाके में महिलाओं का वोट प्रतिशत 65-70 प्रतिशत होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि झारखंड का सबसे पिछड़ा प्रमंडल संथाल आज हर मामले में राज्य के विकसित प्रमंडल को चुनौती दे रहा है। इस चुनाव ने विकास बाधक को भी सबक सिखाने का काम किया है। गोड्डा में बन रहे आडानी पावर प्लांट और एनटीपीसी की योजना का झाविमो सहित सभी विपक्षी दलों ने विरोध किया। खासकर झाविमो के प्रधान महासचिव प्रदीप यादव ने तो इसके लिए उग्र आंदोलन किया। जेल भी गये, लेकिन भाजपा ने जनता को समझाया कि इन प्लांट के लगने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। इलाके में समृधि आएगी। जनता ने बखूबी भाजपा की बातों को समझा, नतीजा यह हुआ कि लोकसभा चुनाव में प्रदीप यादव को अपने ही विधानसभा क्षेत्र में मुंह की खानी पड़ी। जनता विकास चाहती है। युवा रोजगार चाहते हैं। प्रधानमंत्री की कौशल विकास योजना भी चुनाव परिणाम देने में सार्थक रही। महिलाओं को गैस कनेक्शन, शौचालय और सबको आवास योजना ने भी भाजपा को जनता से जोड़ने का काम किया और इसका नतीजा यह हुआ कि संथाल से विपक्ष के पांव उखड़ गये।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleपूर्व PM नेहरू की पुण्यतिथि आज, मनमोहन-अंसारी ने दी श्रद्धांजलि
    Next Article लालू के बेटे तेजस्वी के खिलाफ राजद में बगावत, इस्तीफे की मांग
    azad sipahi desk

      Related Posts

      निर्वाचन आयोग के ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल होगा झारखंड का 402 सदस्यीय दल

      May 15, 2025

      महान स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं जनचेतना के अग्रदूत भी थे चानकु महतो- राज्यपाल

      May 15, 2025

      ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर नागरिक मंच ने निकाली तिरंगा यात्रा

      May 15, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • पाकिस्तान के एटम बमों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी अपनी निगरानी में ले : राजनाथ
      • पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार ने यूपीएससी के अध्यक्ष का पदभार संभाला
      • नक्सली मुठभेड़ में घायल जवानों से मिलने एम्स पहुंचे अमित शाह, ट्रॉमा सेंटर में घायलों से मुलाकात कर जाना हालचाल
      • तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का ‘प्रेसिडेंशियल रेफरेंस’ पर कड़ा विरोध
      • निर्वाचन आयोग के ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल होगा झारखंड का 402 सदस्यीय दल
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version