रांची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हजारीबाग के एक मुखिया का जिक्र कर उन्हें पूरे देश में चर्चित बना दिया है। रविवार को अपने दूसरे कार्यकाल के पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने हजारीबाग के कटकमसांडी प्रखंड की लुपुंग पंचायत के मुखिया दिलीप कुमार रविदास द्वारा जल संरक्षण के लिए किये गये उल्लेखनीय कार्यों की सराहना की। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविदास का संदेश भी सुनाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि बिरसा मुंडा की धरती जल संरक्षण को लेकर सक्रिय हो गयी है। सभी सरपंचों ने गांव में पानी बचाने का बीड़ा उठा लिया है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में जल संरक्षण पर खास जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश में एक बड़ा हिस्सा हर साल जल संकट से गुजरता है। इससे बचने के लिए जल संरक्षण की जरूरत है। पीएम मोदी ने कहा, हमें विश्वास है कि हम जनशक्ति और सहयोग से इस संकट का समाधान कर लेंगे। नया जलशक्ति मंत्रालय बनाया गया है। इससे किसी भी संकट के लिए तत्काल फैसले लिये जा सकेंगे। इस महीने की 22 तारीख को हजारों पंचायतों में तमाम लोगों ने जल संरक्षण का संकल्प लिया। पीएम मोदी ने कहा कि स्वच्छता आंदोलन की तरह ही लोग अब गांवों में जलमंदिर बनाने की होड़ में जुट गये हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु और उत्तराखंड में जल संरक्षण के उपायों की भी चर्चा की।
जल संरक्षण के लिए किये तीन अनुरोध
पीएम मोदी ने जल संरक्षण को लेकर नागरिकों से तीन अनुरोध भी किये। पहला, स्वच्छता की तरह ही जल संरक्षण को भी जनांदोलन का रूप दें। दूसरा, ऐसे प्रयोगों का अध्ययन करें, जहां जल संरक्षण का प्रयास करें। तीसरा, जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वालों की जानकारियों को साझा करें।
प्रेमचंद की कहानियों का जिक्र
पीएम मोदी ने कहा कि आपने मुझे कई बार यह कहते सुना होगा कि बुके नहीं बुक। तब से कई जगह लोग पुस्तकें देने लगे हैं। हाल ही में किसी ने मुझे प्रेमचंद की कहानियों की पुस्तक भेंट की। कुछ कहानियां फिर पढ़ने का मौका मिला। उनकी कहानियां मेरे मन को भी छू गयीं। उनकी कहानियों में समूचे भारत की भावनाएं समाहित हैं।
आपातकाल की चर्चा
आपातकाल का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र हमारी विरासत है, इसे सुरक्षित रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में जब आपातकाल लगाया गया, तो उसका विरोध राजनीतिक दायरे तक ही सीमित नहीं था। जन-जन के दिल में एक आक्रोश था। आपातकाल में हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया है। हम लोकतंत्र की विरासत के साथ पले-बढ़े लोग हैं, इसलिए लोग आपातकाल में कमी महसूस कर रहे थे। कोई चीज जब हमारे पास होती है, तो हम उसे कमतर आंक लेते हैं, लेकिन हमें यह मानना चाहिए कि लोकतंत्र कितना अहम है।
खुद से मिलने केदारनाथ गया था
लोकसभा चुनाव के दौरान केदारनाथ जाने की चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कई लोगों ने चुनाव की आपाधापी के बीच मेरी इस यात्रा के राजनीतिक अर्थ निकाले। लेकिन मैं तब खुद से मिलने चला गया था। मन की बात के कारण जो खालीपन था, उसे केदारनाथ की खाली गुफा ने भरने का मौका दिया।
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