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    Home»Top Story»सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों का दे दना…दन…
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    सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों का दे दना…दन…

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskOctober 22, 2019No Comments6 Mins Read
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    मार्केटिंग का यह आजमाया हुआ फंडा है कि जो दिखता है, वह बिकता है। यह जगजाहिर है कि दिखने की जितनी ज्यादा संभावना सोशल मीडिया में है, उतनी किसी दूसरे मास मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं। सोशल मीडिया की इसी ताकत को नमस्कार करते हुए झारखंड के राजनीतिक दल चुनाव नजदीक आने पर जनता की नजरों में दिखने और लोकप्रिय होने की होड़ में लगे हुए हैं। इस कवायद में कोई दल किसी दूसरे दल से कम नहीं है। चाहे वह सत्तारूढ़ भाजपा हो या प्रमुख विपक्षी दल झामुमो या फिर कांग्रेस और झाविमो, हर दल सोशल मीडिया की अपनी टीम के साथ साइबर प्रचार वार के साथ राजनीति की फिजां में छाने को तैयार है। भाजपा, झारखंड विकास मोर्चा, आजसू झामुमो और कांग्रेस के लिए अलग-अलग टीम काम कर रही है। इसमें कुछ बाहर के भी लोग काम कर रहे हैं। इस टीम का मुख्य काम यही है कि किस तरह दल के सुप्रीमो की लोकप्रियता बढ़े। कैसे वे जनता को अपनी तरफ आकर्षित करें। झारखंड के राजनीतिक दलों और नेताओं की कोशिशों को रेखांकित करती आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की रिपोर्ट।
    पोस्टर और नारों के जरिये जनता को लुभाने में जुटे हैं नेता
    वाकया 21 अक्टूबर का है। दिन को तीन बजे डिबडीह स्थित झाविमो के केंद्रीय कार्यालय में पार्टी सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने एक प्रेस कांफ्रेंस की। इस प्रेस कांफ्रेंस को उनकी सोशल मीडिया टीम ने लाइव किया। इससे बाबूलाल मरांडी की दसवीं पास कर 11 वीं में जानेवाले हर बच्चे को झारखंड में झाविमो की सरकार बनने पर फ्री लैपटॉप देने का संदेश जंगल में लगी आग की तरह चंद सेकेंड्स में फैल गया। इससे पहले उनकी सोशल मीडिया टीम ने उनके आॅफिशियल फेसबुक एकाउंट में एक मैसेज जारी किया। उसमें कहा गया कि सोमवार को दिन के दो बजे वह एक महत्वपूर्ण घोषणा करेंगे और इससे रांची की मीडिया में एक किस्म के कौतूहल का माहौल क्रिएट हुआ। मीडिया कर्मियों के साथ आम लोग भी तरह-तरह के कयास लगाने लगे कि पता नहीं बाबूलाल मरांडी कौन सा धमाका करनेवाले हैं। बाबूलाल मरांडी के इस मैसेज को फेसबुक पर शाम चार बजे तक 554 लाइक्स मिले। इस मैसेज पर 107 लोगों ने कमेंट किया और इसके 36 शेयर भी हुए। यह सोशल मीडिया की कनेक्ट करने और होने की ताकत है जो राजनीतिक दलों को इसकी ओर खींच ले आती है।
    कोई दल नहीं है पीछे
    सोशल मीडिया का उपयोग कर खुद को जनता से कनेक्ट रखने में कोई राजनीतिक दल पीछे नहीं है। अब बात मुख्यमंत्री रघुवर दास की करते हैं। उनके आॅफिशियल फेसबुक पेज पर रविवार को एक पोस्ट डाला गया है। इस पोस्ट को पिन किया गया है। इस पोस्ट का संदेश है- गरीबों को इलाज के खर्च से मुक्ति मिली, यही तो है आयुष्मान भारत की शक्ति। एक दूसरा पोस्ट जो सोमवार शाम चार बजकर दो मिनट पर किया गया है, उसका मजमून है- आदिवासी समाज का सर्वांगीण विकास हमारी प्राथमिकता है। आदिवासी समाज को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नयी पहचान मिली है और उनके सर्वांगीण विकास के लिए युद्धस्तर पर काम हो रहे हैं। जाहिर है ऐसे संदेशों से मुख्यमंत्री रघुवर दास पार्टी का एजेंडा सेट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। उनके आयुष्मान भारत वाले पोस्ट को जहां 430 से ज्यादा लाइक्स मिले हैं वहीं उनके दूसरे पोस्ट को भी मिनटों में ही सैकड़ों लाइक्स मिल गये। उनके इस पेज पर लगातार ताजा पोस्ट डाले जाते हैं। एक दूसरा पोस्ट उनके पेज पर सोमवार को डाला गया, जिसका मजमून है कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंंडा को नमन। भगवान बिरसा मुंडा ने एक समृद्ध और खुशहाल झारखंड की कल्पना की थी। हमारी सरकार उनके सपनों का झारखंड बनाने के लिए कृत संकल्पित है। इसके अलावा भाजपा की अपनी सोशल मीडिया टीम भी है जो पार्टी का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए लगी रहती है। मुख्यमंत्री रघुवर दास और भाजपा के अलावा पार्टी के मंत्रियों, विधायकों, लोकसभा और राज्य सभा सांसदों के भी अलग-अलग सोशल मीडिया प्रोफाइल हैं, जिनके जरिये वे जनता तक अपनी बात पहुंचाते हैं। फेसबुक के अलावा राजनीतिक दल और उनके नेता ट्विटर पर भी अपनी बात रखते हैं।

    इसलिए सोशल मीडिया पर बढ़ रही राजनीतिक दलों की निर्भरता
    राजनीतिक दलों की निर्भरता प्रचार के लिए सोशल मीडिया पर बढ़ रही है तो उसके कई कारण है। सरला बिरला यूनिवर्सिटी के डीन प्रोफेसर संजीव बजाज ने बताया कि जबसे जियो ने डाटा फ्री किया है, तबसे सोशल मीडिया की पहुंच लोगों तक जबरदस्त तरीके से बढ़ी है। यह कॉस्ट इफेक्टिव भी है और इससे जेब पर कोई खास बर्डन नहीं पड़ता। न्यूज पेपर में यदि कोई एड देता है, तो उसकी लाइफ 24 घंटे की होती है पर सोशल मीडिया न्यूज पेपर के मुकाबले कहीं ज्यादा त्वरित और असरकारक होता है। इसकी खासियत यह भी है कि इसके जरिये टारगेट आॅडिएंस तक बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है। यही कारण है कि नेताओं में सोशल मीडिया का क्रेज बढ़ा है।

    रघुवर के ट्विटर पर 3.3 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स
    मुख्यमंत्री रघुवर दास की बात करें तो वे सीएम का पद संभालने के बाद से ही फेसबुक और ट्विटर पर सक्रिय रहे हैं। चुनाव नजदीक आने पर वह सोशल मीडिया पर और एक्टिव दिख रहे हैं। उनके आॅफिशियल ट्विटर एकाउंट के जहां 3.3 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स हैं वहीं फेसबुक पर 4.33 लाख लोग उन्हें पसंद करते हैं। उनके ट्विटर एकाउंट पर प्रतिदिन 15 से अधिक ट्विट किये जाते हैं, जिसमें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी के साथ अभियान की भी जानकारी दी जाती है। इसके अलावा अपने पोस्ट में वह कार्यक्रमों की भी चर्चा करते हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश भाजपा के ट्विटर एकाउंट से भी सरकार की योजनाओं की जानकारी ट्वीट कर दी जा रही है।
    हेमंत-बाबूलाल, सुदेश भी पीछे नहीं
    झारखंड में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी भी ट्विटर का खुलकर उपयोग कर रही है। हेमंत सोरेन के ट्विटर पर 24 हजार फॉलोवर्स हैं पर उनको फेसबुक पर 1.15 लाख लोग पसंद करते हैं। वह सोशल मीडिया पर खासे सक्रिय हैं। वहीं बात झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी की करें तो उनके फेसबुक पर 93 हजार 853 प्रशंसक हैं पर ट्विटर पर उनके फॉलोवर्स की संख्या अपेक्षाकृत कम है। सोशल मीडिया पर लोकप्रिय नेताओं की सूची में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो का भी नाम आता है। उनके फेसबुक एकाउंट को एक लाख 29 हजार लोग फॉलो कर रहे हैं।

    कांग्रेस भी इस रेस में आगे
    कांग्रेस की बात करें, तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव, सुखदेव भगत और अन्य पार्टी नेता भी सोशल मीडिया में सक्रिय हैं। इसी तरह आम आदमी पार्टी झारखंड भी सोशल मीडिया में जबरदस्त रूप से सक्रिय हैं। ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में 241 मिलियन से ज्यादा फेसबुक यूजर्स हैं। वहीं वर्ष 2012 के आंकड़ों पर जायें तो रांची में इस समय तक एक लाख 90 हजार 980 यूजर्स थे। एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान में रांची में फेसबुक यूजर्स की संख्या दो लाख के पार है और इसी संख्या बल का फायदा उठाने के लिए राजनीतिक दल हों या नेता सभी सोशल मीडिया स्पेशली फेसबुक और ट्विटर पर सक्रिय रहते हैं। पार्टी प्रमुखों की बात तो अलग ही है, अब तो ब्लॉक स्तर के नेता भी सोशल मीडिया को अपने प्रचार का माध्यम बनाये हुए हैं।

    The giving of political parties on social media ...
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