वे सहज हैं, सरल हैं और पाकुड़ की जनता की उम्मीदों पर खरे हैं। वह आलमगीर आलम हैं। क्षेत्र की जनता के बीच बेहद लोकप्रिय हैं और यही कारण है कि पाकुड़ की जनता ने उन्हें चौथी बार चुनाव जिताकर विधानसभा में भेजा है। विधानसभा चुनाव में उन्हें करीब 53 फीसदी मत मिले और उन्होंने करीब 65,000 मतों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी वेणी प्रसाद गुप्ता को हराया। वे विधानसभाध्यक्ष भी रह चुके हैं और अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण कांग्रेस विधायक दल के नेता भी हैं। आजाद सिपाही के स्टूडियो में सोमवार को उनसे राहुल सिंह ने लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है उस बातचीत का संपादित अंश।
सवाल : चौथी बार पाकुड़ की जनता ने आपको विधायक चुना है। आप मंत्री भी हैं। जनता के भरोसे को कायम रखने के लिए आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?
जवाब : हम जहां से जीतकर आये हैं, वह देहाती क्षेत्र है। जब मैं पहली बार जीतकर आया था तो गांव में सड़क नहीं थी। एक गांव से दूसरे गांव को जोड़ने के लिए हमने क्षेत्र में सड़क बनवायी। नदी पर पुल बनाया। जिससे लोगों को आवागमन में सहूलियत हो। हमारे यहां अधिकतर लोग किसान है। खेतों में काम करते हैं। कुछ क्षेत्र में अभी भी हम पानी की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं कर पाये हैं। चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र के किसान अपने क्षेत्र में फसल दो या तीन वे कैसे ले सकें इस दिशा में काम करना है। पाकुड़ में करीब पचास फीसदी क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है, वहां कैसे पानी पहुंचे इस दिशा में काम करेंगे। हमारे क्षेत्र के 80 फीसदी लोग किसान हैं। खुशहाली क्षेत्र के लोगों कगे घर-घर तक पहुंचे यह हमारी कोशिश होगी। जब क्षेत्र में हम जाते हैं तो लोग कहते हैं कि जो लोग ओहदे पर हैं और गरीब नहीं हैं उन्हें राशन कार्ड मिला हुआ है और उन्हें राशन मिलता है पर गरीबों को राशन नहीं मिलता। तब हमें शर्मिंदगी महसूस होती है। मेरी कोशिश होगी कि जिन गरीब परिवारों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्ड नहीं मिला है उनके पास अनाज पहुंचे और इस दिशा में काम होगा। लोगों को यह महसूस होना चाहिए कि सरकार हमारे लिए काम कर रही है। हम देखते हैं कि आज युवा बेरोजगार है, सड़क पर घूम रहा है। उसे नौकरी में शामिल कर हम उसे रोजगार देने का काम करेंगे। जब हम क्षेत्र में जाते हैं तो लोग कहते हैं कि हमने बेटे को बीए-एमए करा दिया है। बीए कराकर बीएड कराया है। उसे किसी तरह नौकरी मिल जाती तो उसका भविष्य उज्जवल हो जाता। ऐसे नौजवानों को नौकरी में शामिल हमारी सरकार उन्हें रोजगार देने का काम करेगी। क्षेत्र के बगल में फरक्का है। हम चाहते हैं कि हमारे यहां भी बड़ा प्रोजेक्ट लगे जिससे कुशल और अकुशल सबको काम मिल सके। सद्भावना का जो विचार भारत की जो पहचान है, अनेकता में एकता की पहचान है। गंगा-जमुनी तहजीब है। उसको हम हर हाल में बरकरार रखेंगे।
सवाल : 29 दिसंबर को सरकार ने शपथ ली, पर मंत्रिमंडल का विस्तार अब तक नहीं हुआ। जबकि एक महीने हो गये हैं। कहां पेंच फंसा हुआ है?
जवाब : 23 तारीख को चुनाव के नतीजे आये और 29 तारीख को हमने शपथ ली। पर अब तक मंत्रीमंडल का विस्तार नहीं हुआ है। गठबंधन की हमारी सरकार है। लोग भी चाह रहे हैं कि काम जल्दी से जल्दी शुरु हो। कुछ परिस्थितियां ऐसी बन जाती है कि जब वे फुर्सत में रहते हैं तो हम नहीं रहते और हम फुर्सत में रहते हैं तो वे नहीं रहते। हमने सोचा था कि 19-20 तक मंत्रीमंडल विस्तार कर लेंगे। जनता को जो हमने वादा किया था उसे हम पूरा करेंगे। कांग्रेस आला कमान भी चाहती है कि जल्द से जल्द मंत्रीमंडल विस्तार हो। 17 को पार्टी के विधायकों ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री को भी अवार्ड लेने दिल्ली जाना पड़ा। इसमें भी कुछ समय लग रहा है पर जल्द ही मंत्रीमंडल का विस्तार होगा।
सवाल : सीएए को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कांग्रेस भी सीएए के पक्ष में नहीं है। ऐसी क्या बातें हैं जिससे इसका विरोध हो रहा है?
जवाब : वर्ष 2014 में जब भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी तो इससे पहले भाजपा ने देश की जनता और नौजवानों को सपना दिखाया था। भाजपा नेतृत्व ने वादा किया था कि वे बेरोजगारी मिटायेंगे। महंगाई घटायेंगे और सुरक्षा देंगे। लोगों ने भाजपा के वादों पर विश्वास किया और देश में भाजपा की सरकार बनी। वर्ष 2019 में फिर भाजपा की केंद्र में सरकार बनी। पर लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हुई। जब ये लोगों से किया गया वादा पूरा नहीं कर पाये तो इन्होंने जनता को मुद्दों से भटकाना शुरू किया। आज हालत यह है कि इनके पास नोटबंदी, सीएए और एनआरसी के अलावा कोई मुद्दा नहीं है। आज प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि सीएए पर राय दें। यह इतना सेंसेटिव मसला था। इस मसले पर हड़बड़ी मचाने की क्या जरूरत थी। सरकार को चाहिए था कि वह इस मुद्दे पर जनता से बात करती। सरकार ने इसपर जनमत संग्रह क्यों नहीं किया। भाजपा रात के बारह बजे नोटबंदी और जीएसटी का ऐलान कर देती है। यह सरकार जनता को दिगभ्रमित करने के लिए एक एजेंडा खत्म होने के बाद दूसरा एजेंडा लाकर खड़ा कर देती है। यह देश को बांटने की कोशिश कर रही है। पर हम ऐसा नहीं होने देंगे। सीएए को तत्काल रद्द किया जाए यह हमारी पार्टी चाहती है। और ऐसा इसलिए है क्योंकि यह जनभावनाओं के अनुरूप नहीं है। अगर यह जनभावनाओं के अनुरूप होता तो इसका विभिन्न राज्यों में इतना विरोध नहीं होता।
सवाल : कॉमन मिनिमम प्रोग्राम कब तक बन जायेगा और इसमें सबसे पहली प्राथमिकता क्या होगी?
जवाब: महागठबंधन के तीन घटक दल जिस मेनिफेस्टो को लेकर जनता के बीच गये थे वह लगभग एक ही हैं। कांग्रेस, राजद और झामुमो के मेनिफेस्टो में लगभग 98 फीसदी बातें एक ही है। सिर्फ बोलने का लहजा अलग है। मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय करने के लिए हमारी बैठक होगी। इसपर हम प्रायोरिटी के आधार पर काम करेंगे। राज्य में बेरोजगारी की बात करें या बेरोजगारों को रोजगार देने की बात करें। सरकार की कोशिश होगी कि साल भर में जिला और राज्य स्तर पर खाली पड़े पदों को भरने की दिशा में काम हो। ताकि नौजवानों को लगे कि सरकार हमारे लिए काम कर रही है। सरकार से युवाओं की जो उम्मीदें और आकांक्षाएं हैं वे पूरी हों। इसी तरह राज्य के किसानों की आमदनी बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने तथा उनके कर्ज को माफ करने की दिशा में सरकार काम करेगी। राज्य की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए और जो कुछ भी बेहतर हो सकता है, उसके लिए हम काम करेंगे। हमारी सरकार जनभावनाओं के अनुरूप चलेगी और सरकार की नीतियां और कार्यक्रम भी वैसे ही होंगे।
सवाल: स्थानीय नीति पर सवाल उठ रहे हैं। क्या स्थानीय नीति में संशोधन होना चाहिए आपकी क्या राय है?
जवाब: स्थानीय नीति पर झारखंड बनने के बाद से बाबूलाल मरांडी के समय से अभी तक सही निराकरण नहीं हो पाया। इस देश के जो नियम और कानून हैं वे एक-दूसरे से मिले हुए हैं। स्थानीय नीति के संबंध मेें जो बात सामने आयी है उसपर जो झारखंड की जानता चाहेगी उसके अनुसार काम करेंगे। गुरूजी हमारे सम्माननीय नेता हैं। लेकिन हमारी गठबंधन की सरकार है। हम इसपर मिल-बैठकर निर्णय लेंगे। गुरूजी हमारे सम्मानित नेता हैं, उन्होंने किस परिप्रेक्ष्य में यह बातें की है इसकी मुझे जानकारी नहीं है। पर इसपर हम मिल-बैठकर जनता की भावनाओं के अनुरूप निर्णय लेंगे।
सवाल : झारखंड के परिप्रेक्ष्य में केंद्र सरकार से किस तरह के सहयोग की अपेक्षा रखते हैं?
जवाब : हर जगह के लिए केंद्र और प्रदेश बहुत सारी योजनाएं चलती हैं। उसमें यह होता है कि कितना केंद्र और कितना राज्य सरकार का भाग होगा। केंद्र सरकार से अपेक्षाएं हैं। उम्मीद है कि केंद्र सरकार भी सहयोग करेगी। किसी का भी सरकार हो वह देश का विकास चाहती है। सबका विकास हमलोग चाहते हैं। झारखंड में एक सड़क बनेगी और एक चापाकल लगेगा तो सब लोग उसका पानी पीयेंगे। सबके हित के लिए ही सरकार बनती है।
सवाल : गठबंधन की सरकार की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
जवाब : झारखंड की जनता ने विगत पांच साल की सरकार को देखा है। इस बार गठबंधन की सरकार भी जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप बनी है। यही इस सरकार की सबसे बड़ी विशेषता है। पांच साल के बाद झारखंड की तस्वीर बदली-बदली होगी। लोगों के चेहरे पर मुस्कान होगी। हर खेत को पानी और हर हाथ को काम यही हमारी कोशिश है। हमारी सरकार इस दिशा में काम कर रही है।