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    Home»Top Story»महागठबंधन से शिबू, भाजपा का दीपक पर दांव
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    महागठबंधन से शिबू, भाजपा का दीपक पर दांव

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskMarch 12, 2020No Comments6 Mins Read
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    झारखंड भाजपा में रघुवर युग पर फिलहाल लग गया विराम
    बीते 25 फरवरी को जब दीपक प्रकाश को झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाये जाने की घोषणा हुई तो स्वयं दीपक प्रकाश को भी इसका अहसास नहीं रहा होगा कि ठीक पंद्रह दिन बाद 11 मार्च को एक और बड़ी खुशखबरी उनके दरवाजे पर दस्तक देने के इंतजार में बैठी है। यह खुशखबरी आयी तो उसने यकायक दीपक के रूतबे का प्रकाश कई गुणा बढ़ा दिया। 11 मार्च को दिन के साढ़े बारह बजे राज्यसभा की एक सीट के लिए महागठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने नामांकन दाखिल किया, वहीं शाम तकरीबन पांच बजे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड से राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर दीपक प्रकाश के नाम की घोषणा कर दी। इसके साथ ही भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और पूर्व सांसद डॉ रवींद्र राय के राज्यसभा जाने की संभावनाओं का फिलहाल पटाक्षेप हो गया।
    अगुवाई करने में सफल रहा झामुमो
    क्षेत्रीय पार्टी होने के बाद भी झामुमो राष्टÑीय दलों यथा भाजपा और कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारी की घोषणा में आगे रहा तो इसकी वजह झामुमो को विधानसभा में मिला जनादेश है। जनता ने बीते विधानसभा चुनाव में झामुमो को 30 सीटों पर जीत की सौगात दी। अब इनमें से एक दुमका की सीट खाली हो गयी है, क्योंकि हेमंत सोरेन एक साथ दो सीटों पर विजयी हुए थे। इस प्रकार अब झामुमो के पास 29 विधायक हैं। राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए जो अंकगणित है, उसके अनुसार पहले प्रत्याशी की जीत के लिए 28 विधायकों के वोट की जरूरत होगी। जाहिर है, जेएमएम के पास एक वोट सरप्लस है।
    उधर, भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी की घोषणा में थोड़ी देर जरूर की, लेकिन प्रत्याशी के लिए दीपक प्रकाश के नाम की घोषणा राजनीतिक और रणनीतिक तौर पर एक दुरुस्त कदम माना जा रहा है। भाजपा के पास केवल 25 विधायक हैं। झाविमो के भाजपा में विलय के साथ बाबूलाल मरांडी भी भाजपा के साथ हैं। बाबूलाल मरांडी को भले विधानसभा के भीतर अभी भाजपा के विधायक के तौर पर मान्यता नहीं मिली है, लेकिन राज्यसभा चुनाव में उन्हें मिलाकर भाजपा के पास कुल 26 वोट हो गये हैं। भाजपा को भरोसा है कि आजसू के दो विधायकों का समर्थन उसे मिलेगा और इस तरह राज्यसभा चुनाव में दीपक प्रकाश की नैया पार हो जायेगी। जरूरत पड़ने पर निर्दलीय सरयू राय और अमित यादव को भी भाजपा अपने प्रत्याशी के पक्ष में मतदान के लिए राजी करा सकती है।
    दीपक के बहाने एक तीर से कई शिकार किये भाजपा ने
    दीपक प्रकाश को झारखंड से राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने एक तीर से कई शिकार किये हैं। सबसे पहले तो भाजपा ने यह संदेश दिया है कि पार्टी समर्पित कार्यकर्ताओं को देर-सबेर उचित सम्मान देती है। इसके पहले पिछले साल हुए राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा ने लो-प्रोफाइल जनजातीय नेता समीर उरांव को राज्यसभा भेजा था। यदि पार्टी रघुवर दास को राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाती तो आजसू के दो विधायकों का समर्थन हासिल करना टेढ़ी खीर साबित हो सकता था। रघुवर दास को लेकर आजसू नेताओं और कार्यकर्ताओं का एक बड़ा खेमा नाराज था। रघुवर के नाम पर सरयू राय और अमित यादव भी भाजपा के साथ नहीं आते। ऐसे में रघुवर दास का पत्ता साफ कर भाजपा ने जहां आजसू की नाराजगी दूर कर दी वहीं सरयू राय को भी संकेत दे दिया कि उनकी राह में कांटा बोनेवाले को पार्टी ने सजा दे दी है। मंगलवार को जब नयी दिल्ली में भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की अध्यक्षता में हुई तो उसमें झारखंड से राज्यसभा चुनाव के लिए दीपक प्रकाश को हर दृष्टिकोण से उपयुक्त माना गया। दरअसल, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को विधानसभा चुनाव में हार को लेकर जो रिपोर्ट भेजी गयी उसमें इसका साफ संकेत था कि पार्टी की हार का बड़ा कारण रघुवर दास की कार्यप्रणाली रहा। केंद्रीय चुनाव समिति को यह भी फीडबैक गया कि यदि रघुवर को प्रत्याशी बनाया गया तो आजसू बिदक सकती है। ऐसा हुआ तो महागठबंधन दोनों सीटों पर चुनाव जीत सकता है। इसके बाद पार्टी ने सेफ गेम खेलते हुए दीपक प्रकाश का नाम आगे किया क्योंकि मृदु स्वभाव के दीपक प्रकाश का सबसे अच्छा तालमेल रहा है। निर्दलीय विधायक सरयू राय हों या आजसू, किसी को उनसे दिक्कत नहीं होनी चाहिए। विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार का बड़ा कारण पार्टी नेता और कार्यकर्ता रघुवर दास को मानते हैं। ऐसे में पार्टी यदि रघुवर को उम्मीदवार बनाती तो इससे पार्टी के अंदर असंतोष उभरने की गुंजाइश थी। डॉ रवींद्र राय को पार्टी ने पूर्व में उनकी सेवा का यथोचित सम्मान दिया है। दीपक प्रकाश के राज्यसभा में जाने से जहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद का वजन बढ़ेगा, वहीं इस मास्टर स्ट्रोक के बहाने भाजपा ने शायद एक हद तक कांग्रेस के लिए इस सीट की संभावनाएं क्षीण कर दी हैं।
    कांग्रेस के लिए आसान नहीं डगर पनघट की
    राज्यसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की ओर से शिबू सोरेन की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद कांग्रेस की ओर से राज्यसभा चुनाव के उम्मीदवार के तौर पर माथापच्ची चल रही है। पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर आरपीएन सिंह और फुरकान अंसारी के नाम पर चर्चा चली, पर कांग्रेस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पायी। झारखंड सरकार में वित्त मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव का कहना है कि पार्टी राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार देगी और दोनों सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी जीतेंगे। पर, भाजपा के उम्मीदवार की घोषणा के बाद कांग्रेस उम्मीदवार के राज्यसभा में जाने की राह असंभव नहीं तो कठिन जरूर हो गयी है। एक संभावना तो यह भी है कि कांग्रेस संभवत: राज्यसभा में उम्मीदवार ही नहीं उतारे क्योंकि विधायकों की संख्या का गणित उसके पक्ष में नहीं है और दूसरा कारण यह है कि उम्मीदवार के नाम पर पार्टी में एका नहीं है। कांग्रेस राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार देगी या नहीं या देगी भी तो किस उम्मीदवार पर भरोसा करेगी, यह तो भविष्य के गर्भ में है पर यह तो नजर आ रहा है कि झामुमो के शिबू सोरेन पर मास्टर स्ट्रोक के बाद पार्टी ने दीपक प्रकाश के बहाने जीत का सेफ गेम खेला है।

    BJP bets on Deepak Shibu from the Grand Alliance
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