साढ़े सात लाख प्रवासी झारखंडी मजदूरों को भी मिली राहत
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। कोरोना महामारी की जंग को जीतने को लेकर सरकार संकल्पित नजर आ रही है। राज्य में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोये, इसे लेकर हेमंत सरकार प्रतिबद्ध है। बुधवार को खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से अप्रैल का शत प्रतिशत एवं मई का 78 प्रतिशत अनाज उपलब्ध करा दिया गया है। वहीं नन पीडीएस के तहत 1.12 लाख तक अनाज उपलब्ध कराया गया है। दाल-भात की विभिन्न योजनाओं में अब तक 17,92,356 लोगों को खाना खिलाया जा चुका है। विभाग द्वारा 29,207 लोगों तक विशेष राहत सामग्री के पैकेट पहुंचाये गये हैं। एनजीओ एवं वोलेंटियर की 771 टीम द्वारा 8.96 लाख लोगों को खाना खिलाया जा चुका है। वहीं प्रवासी मजदूरों के लिए 587 राहत कैंप में 83,810 मजदूरों को खाना खिलाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 1239 लोगों के सैंपल का टेस्ट किया गया, जिसमें चार लोग पॉजिटिव पाये गये। कोरोना से बचाव के लिए राज्य में 3,769 क्वारेंटाइन सेंटर कार्य कर रहे हैं, जिसमें 15,186 लोगों को क्वारेंटाइन किया जा रहा है। वहीं ं1,31,942 लोग होम क्वारेंटाइन में हैं। श्रम विभाग को हेल्पलाइन नंबर पर 7,38,881 लोगों के फंसे होने की सूचना राज्य सरकार को प्राप्त हुई। इनके लिए खाने एवं रहने का बंदोबस्त कर दिया गया है।
चर्च आॅफ नार्थ इंडिया ने दिया पांच लाख
रांची। चर्च आॅफ नार्थ इंडिया द्वारा मुख्यमंत्री राहत कोष में पांच लाख की राशि जमा करायी गयी। वहीं चर्च द्वारा दस अप्रैल को बहुबाजार स्थित संत पॉल्स उच्च विद्यालय मैदान में अपराह्न 12 बजे से तीन बजे तक गरीबों के बीच खाद्य सामग्री, भोजन के पैकेट, सेनिटाइजर, साबुन, मास्क इत्यादि का नि:शुल्क वितरण भी किया जायेगा।
राजस्थान से लौटे 20 मजदूर क्वारेंटाइन
रांची। राज्यस्तरीय कोरोना नियंत्रण कक्ष द्वारा 24 घंटे लोगों को कोविड-19 से बचाव के लिए सहयोग एवं सलाह दिये जा रहे हैं। वहीं राजस्थान से वापस आये 20 मजदूरों को क्वारेंटाइन भी किया गया है। करोना नियंत्रण कक्ष में जानकारी मिली कि गढ़वा के चिनिया प्रखंड के चंदन गुप्ता सहित लगभग 20 मजदूर राजस्थान के जोधपुर से घर लौटे हैं। इसके बाद इन्हें पंचायत सचिवालय में क्वारेंटाइन किया गया। क्वारेंटाइन सेंटर में खाद्य सामग्री की उपलब्धता नहीं होने के कारण लोगों के समक्ष खान-पान की समस्या उत्पन्न हो गयी थी। चंदन द्वारा 181 के माध्यम से शिकायत दर्ज करायी गयी। इसके बाद गढ़वा जिला पदाधिकारी ने इसका संज्ञान लिया और क्वारेंटाइन सेंटर में खाद्य सामग्री उपलब्ध करायी गयी।
…और एचआइवी पीड़ित को मिली दवाई
रांची के सुखदेव नगर निवासी, जो एचआइवी एड्स से पीड़ित हैं की दवाइयां खत्म हो गयी थीं और लॉक डाउन की वजह से दवाई लेने में असमर्थ थे। 181 में कॉल करने पर कोरोना नियंत्रण केंद्र द्वारा सिविल सर्जन रांची से संपर्क किया गया, जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित बीमारी की दवाई रिम्स रांची से उपलब्ध करायी गयी।
एक फोन पर मिली खाद्य सामग्री
पलामू जिले के विश्रामपुर प्रखंड के सोनी कुमार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण उन्हें खाने की समस्या उत्पन्न हो गयी थी। इसकी उन्होंने 181 पर शिकायत की, जिसके बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी के निर्देश अनुसार ग्राम पंचायत के माध्यम से उन्हें 10 किलो चावल उपलब्ध कराया गया।
रांची में तैयार हो रही पीपीइ किट
रांची। विश्वव्यापी महामारी के संदिग्धों की पहचान के लिए झारखंड सरकार के स्वास्थ्य कर्मी लोगों के बीच जाकर सैंपल इकट्ठा कर रहे हैं। इस क्रम में उनके पास अपनी सुरक्षा के लिए पीपीइ किट का सहारा होता है। पीपीइ किट की अधिक से अधिक उपलब्धता बनाने के लिए सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। किट बनाने के लिए आवश्यक सामग्री को अरविंद मिल्स, ओरियंट क्राफ्ट एंड आशा इंटरप्राइजेज को उपलब्ध कराया जा रहा है। यह किट दो तरह का बनाया जा रहा है, पहला- 90 जीएसएम तर्पालिन प्लास्टिक और 50 जीएसएम एलडीपीइ से। 90 जीएसएम तर्पालिन प्लास्टिक से बने किट को धोने के बाद दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं 50 जीएसएम एलडीपीइ से बने किट का एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है। यह वातावरण में आसानी से डिस्पोज भी हो जाता है। अभी इन किटों का रोजाना 100 यूनिट प्रोडक्शन किया जा रहा है। इसकी लागत 300 रुपये प्रत्येक यूनिट है। इधर, सरकार द्वारा मास्क बनाने के लिए सखी मंडल की सहायता ली जा रही है। सखी मंडल द्वारा तैयार मास्क जिसकी मार्केट कीमत 50 रुपये के आसपास है, वह पांच रुपये से कम लागत पर बनायी जा रही है। और इसे बार-बार सेनिटाइज करके इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह के मास्क को सात रुपये में लोगो को उप्लब्ध कराय जायेगा।