रांची। जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर कहा है कि ऐसी सूचना मिली है कि रिम्स डायरेक्टर को सरकार पदमुक्त करना चाहती है। यह इसलिए सरकार कर रही है क्योंकि उनका चयन एम्स भटिंडा में हो गया है। पर उन्हें सरकार को कोरोना संकट काल तक के लिए रिम्स में रोके रखना चाहिए। जरूरत हो तो इसके लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्स भटिंडा से भी बात करनी चाहिए वे कोरोना संकट के बाद ही उनका योगदान वहां करायें और इसकी अनुमति उन्हें प्रदान करें। संकट की इस घड़ी में ऐसे चिकित्सकों की अत्यधिक आवश्यकता राज्य को है। कोरोना चिकित्सा के लिए राज्य में एकमात्र विशेषज्ञ संस्थान रिम्स के प्रमुख प्रशासनिक पद पर बैठे चिकित्सक को तो ऐसे महत्व की जिम्मेवारी से विरमित होकर बाहर जाने की अनुमति कतई नहीं दी जानी चाहिए। मुझे पता चला है कि रिम्स निदेशक ने अपने स्तर से स्वास्थ्य मंत्रालय को इस आशय का निवेदन किया है कि वे कोरोना संकट के समय तक रिम्स नहीं छोड़ना चाहते। इसलिए एम्स भटिंडा में उनके योगदान की तिथि बढ़ाई जाये और कोरोना संकट तक रिम्स में ही रहने की अनुमति उन्हें दी जाये। अगर यह सही है तो स्वास्थ्य मंत्री या स्वास्थ्य सचिव को इस संबंध में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से सीधे बात करनी चाहिए। ऐसी परिस्थिति में रिम्स निदेशक को विरमित करने से जनमानस में गलत संदेश जायेगा। लगेगा कि कोरोना से लड़ने के लिए राज्य सरकार गंभीर नहीं है। यदि आपके स्तर से इस संबंध में विचार हो गया है तो उसे रोककर पुनर्विचार करना चाहिए। वैसे भी रिम्स निदेशक की सेवा अवधि अभी शेष है।
बड़ी जनसंख्या का आना-जाना केवल बसों से संभव नहीं
सरयू राय ने ट्विट कर कहा है कि लॉक डाउन की स्थिति में केंद्र सरकार ने आवाजाही का निर्देश दिया है तो उसका संयोजन भी उन्हें करना चाहिए। बेहतर होगा कि केंद्र इसके लिए निश्चित गंतव्य और सीमित ठहराव वाले समन्वित और कालबद्ध ट्रेनों का परिचालन करे। देश के विभिन्न स्थानों से बड़ी जनसंख्या का आना-जाना केवल बसों से संभव नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा है कि लॉक डाउन के समय में श्रमिकों और विद्यार्थियों और अन्य के अपने गृह क्षेत्र में जाने के गृह मंत्रालय के आदेश को स्पष्ट किये जाने की जरूरत है। जिससे आवाजाही में अफरा-तफरी न हो।