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    Home»राज्य»बिहार»प्रवासी अब नहीं जाएंगे अगरत्तला, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना से बनेंगे आत्मनिर्भर
    बिहार

    प्रवासी अब नहीं जाएंगे अगरत्तला, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना से बनेंगे आत्मनिर्भर

    sonu kumarBy sonu kumarJune 21, 2020No Comments3 Mins Read
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    बेगूसराय। लॉकडाउन में के कारण विभिन्न शहरों में फंसे प्रवासियों के आने का सिलसिला लगातार जारी है लेकिन प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान शुरू होने की जानकारी पाते ही अब श्रमिकों के घर वापसी के उद्देश बदलने लगे हैं। पहले देश के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले बिहारी कामगार वहां परेशानी होने तथा काम बंद होने के कारण घर लौट रहे थे लेकिन अब लोग इस उद्देश्य से लौट रहे हैं कि आत्मनिर्भर भारत निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए गरीब कल्याण रोजगार अभियान से हम लोगों को कल्याण होगा। गांव में ही रोजगार मिलेंगे, गांव में ही काम कर हम आत्मनिर्भर होंगे तो हमारा देश आत्मनिर्भर होगा।
    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी परियोजना में बेगूसराय समेत बिहार के 32 जिलों को शामिल किया गया है, तो निश्चित रूप से कामगारों में श्रमिकों में एक नई आशा का संचार हुआ है। लोग देश के विभिन्न शहरों में होने वाली जलालत को भूलकर अब इस अभियान में शामिल होने का मन बना चुके हैं। बेगूसराय स्टेशन पर देश के पूर्वोत्तर राज्यों से लौटे लोग यहां पहुंचते ही अपने दुख-दर्द को भूल एक नया जीवन जीने की बात कर रहे हैं। उन्हें खुशी है कि प्रवास वाले शहरों में भले ही उन्हें काफी जलालत झेलनी पड़ी, भूखे रहना पड़ा, रोटी के लिए लाठी खानी पड़ी, लेकिन केंद्र की सरकार उनके लिए भगवान बन कर सामने आई। केंद्र सरकार ने जहां इन लोगों को सकुशल घर पहुंचा दिया, वहीं राज्य की सरकार भी काम दिलवा रही है। बिहार सरकार का प्रयास काफी सराहनीय है लेकिन सरकार ने इसमें देर कर दी, शुरू से ही अगर रोजगार सृजन के उपाय किए जाते तो लोगों को बाहर नहीं जाना पड़ता है। अब सब कुछ भूल कर एक नई शुरुआत होगी।
    बेगूसराय स्टेशन विथान के राम लाल यादव, विनोद यादव, जपो यादव आदि ने बताया कि वह लोग अगरत्तला में एफसीआई गोदाम में लोडिंग-अनलोडिंग का मोटिया गिरी करते थे। लॉकडाउन हो जाने से लोडिंग-अनलोडिंग का काम ठप हो जाने के बाद काफी समस्या हो गई। सरकारी स्तर से खाना की कोई व्यवस्था नहीं, किसी तरह दिन गुजारने लगे। लॉकडाउन होने के 10-12 दिन बाद सरकारी स्तर पर दिन में एक बार जीने लायक खाना दिया जाता था। वह खाना भी 15 दिन बाद बंद कर दिया गया तो परेशानी और बढ़ गई। राशन की दुकान चुपके से खुलते थे, पुलिस की नजर बचाकर सामान खरीदने जाना पड़ता था, शाम में बाहर दिख जाने के बाद स्थानीय पुलिस उग्रवादियों जैसा व्यवहार करती थी। आने का भी कोई साधन नहीं था, जब मोदी जी ने ट्रेन चलाई तो अब गांव आए हैं और गांव में ही रहेंगे।
     पता चला है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना शुरू किया गया है। जिसमें सभी कामगारों को काम मिलेगा, रोजगार करने वालों को लिए स्वरोजगार की व्यवस्था की जाएगी। अब गांव जा रहे हैं मुखिया जी से संपर्क करेंगे, कोशिश करेंगे कि सब दिन काम मिले तो घर पर ही रह कर काम करेंगे। परिवार के साथ रहेंगे, कम भी कमाएंगे तो सुख पूर्वक जिएंगे। जनप्रतिनिधियों, स्थानीय हाकिमों द्वारा स्वरोजगार शुरू करने की दिशा में सहयोग किया गया तो अपने गांव, पास के शहर में रहकर रोजगार करके आत्मनिर्भर बनेंगे। बच्चों को भी कहीं बाहर मेहनत मजदूरी करने के बदले खुद का काम कर आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करेंगे, उन्हें आत्मनिर्भर बनाएंगे। हम लोगों का इलाका तीन ओर से नदियों से घिरा है, इसके बावजूद सड़कें अच्छी बन गई है तो गांव में रोजगार कर शहर से कनेक्ट रहेंगे, जुड़े रहेंगे तो निश्चित रूप से हमारी आर्थिक प्रगति होगी।
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    sonu kumar

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