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    Home»राज्य»बिहार»गरीब कल्याण अभियान से आत्मनिर्भर बनने के लिए बेच दिया दुकान, छोड़ दिया काम
    बिहार

    गरीब कल्याण अभियान से आत्मनिर्भर बनने के लिए बेच दिया दुकान, छोड़ दिया काम

    sonu kumarBy sonu kumarJuly 2, 2020No Comments3 Mins Read
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    बेगूसराय, लॉकडाउन से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर काम-धंधा बंद होने से परेशान श्रमिक समेत तमाम प्रवासियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार से काफी आशाएं है। इस अभियान में काम मिलने की आशा लिए हजारों-हजार लोग तेजी से घर की ओर लौट रहे हैं। मार्च में लॉकडाउन होने के बाद काम बंद होते ही प्रवासी अपने घर की ओर चल पड़े थे। पहले काम-धंधा बंद होने से परेशान श्रमिकों ने घर वापसी का रुख किया था लेकिन अब उनके घर वापसी के उद्देश्य बदल रहे हैं, अब वह गांव में ही काम मिलने की उम्मीद से घर वापस लौट रहे हैं। इसके लिए उन्होंने शहरों में अपना बसा बताया सब कुछ छोड़ दिया, किसी ने प्राइवेट नौकरी छोड़ दी, तो किसी ने दुकान बेच दिया। सिर्फ परदेस में अकेले रहने वाले लोग ही नहीं आ रहे हैं बल्कि सपरिवार भी परदेस में रहने वाले लोग बड़ी संख्या में घर वापस लौट रहे हैं।
    अब यह सब यही काम-धंधा करेंगे, रोजगार-स्वरोजगार करेंगे लेकिन लौट कर नहीं जाएंगे। गरीब कल्याण रोजगार अभियान शुरू करने के लिए लोग केंद्र सरकार को बधाई दे रहे हैं, आभार जता रहे हैं। रेल मंत्रालय ने जब घर वापसी के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई है तो गुवाहाटी-लोकमान्य तिलक स्पेशल ट्रेन सिर्फ बेगूसराय ही नहीं आसपास के आधे दर्जन से अधिक जिला के घर वापस लौट रहे लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। गुरुवार को भी जब यह ट्रेन अपने निर्धारित समय से करीब दस मिनट लेट सुबह के नौ बजे बेगूसराय रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर दो रुकी तो असम समेत पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों से आने वाले सैकड़ों लोग यहां उतरे। यहां तक जन्मभूमि को नमन करने के बाद यह लोग बस से बेगूसराय के विभिन्न हिस्सों समेत रोसड़ा, हसनपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर और दरभंगा आदि जगहों के लिए रवाना हुए।
    न्यू बोंगाईगांव में चार साल से रह रहे प्रमोद कुमार चौधरी भी गुरुवार को अपने गांव लौटे हैं। बेगूसराय स्टेशन पर उन्होंने बताया कि गांव में जब कोई रोजगार नहीं मिला था तो न्यू बोंगाईगांव चले गए। वहां आसपास के ढ़ेर सारे लोग रहते थे, वहां जाने पर दो साल तक अकेले रहकर एक फैक्ट्री में काम किया। उसके बाद पत्नी को भी ले गए और श्रृंगार का दुकान खुलवा दिया, रोड नंबर-चार में दुकान भी था और वही रहते थे। लॉकडाउन के बाद के कारण जब दुकान और काम-धंधा बंद हो गया तो काफी परेशानी हुई लेकिन आने का कोई साधन नहीं रहने के कारण वहीं रह रहे थे। अनलॉक-1 के बाद दुकान खुल गया, काम धंधा भी धीमी गति से ही सही लेकिन चल रहा था लेकिन परेशानी हो रही थी।
    इस बीच पता चला कि देश को आत्मनिर्भर बनाने में लगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हम गरीबों के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान शुरू किया है। गांव से जानकारी मिली कि इसके अलावा बिहार सरकार ने भी मनरेगा, जल जीवन हरियाली समेत अन्य योजनाओं शुरू किया गया है तो एक नई आशा का संचार हुआ। इसलिए वहां श्रृंगार का दुकान बेचकर और अपने काम वाले जगह से हिसाब क्लियर कर गांव आ गए हैं। अब यहां पत्नी को घर पर ही श्रृंगार और कपड़ा का दुकान खोल देंगे, जबकि खुद सरकारी योजना से जुड़कर आत्मनिर्भर बनेंगे। जब गांव में ही सरकार काम दे रही है तो बाहर क्यों जाएंगे।
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