रांची। झारखंड कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई तीखी होती दिख रही है। जामताड़ा के विधायक सह प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ इरफान अंसारी के बागी तेवर पर राज्य के वित्त मंत्री सह प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। रविवार को उन्होंने कहा कि उन्हें डॉ इरफान अंसारी ने मंत्री या प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया है और न उनके पास हटाने का अधिकार है। फिर वह किस हैसियत से मुझे हटाने की बात कह रहे हैं। डॉ उरांव ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह के बाद रविवार को मीडिया से कहा कि उन्हें पार्टी आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया और बाद में उसके निर्देश पर ही मंत्री बनाया गया। इसमें किसी दूसरे का कोई योगदान नहीं है। यह आलाकमान को तय करना है कि मैं किस पद पर रहूंगा।
डॉ इरफान अंसारी के लगातार एक व्यक्ति एक पद के बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह तो पार्टी तय करेगी कि कौन क्या रहेगा। डॉ उरांव ने कहा कि पार्टी में सभी लोगों की सोच एक जैसी नहीं हो सकती है। कोई पार्टी अनुशासन को ज्यादा मानता है तो कोई कम, लेकिन अगर पार्टी में रहना है, तो अनुशासन को तो मानना ही पड़ेगा। प्रदेश कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान के बारे में डॉ उरांव ने कहा कि आलाकमान को सब कुछ पता है। वहां उचित समय पर फैसला किया जायेगा और उस फैसले को सभी को मानना होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान योग्यता और क्षमता देख कर ही जिम्मेदारी सौंपता है। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पार्टी छोड़ दूसरे दलों में गये नेताओं को दोबारा पार्टी में आने के सवालों पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह सही नहीं है। जिन लोगों ने चुनाव के ठीक पहले पार्टी छोड़ी है, उन्हें कम से कम अभी छह साल तक घर वापसी के लिए इंतजार करना होगा। पार्टी में शामिल होने की उनकी राह मुश्किल है। उनका साफ इशारा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके दो पूर्व नेताओं सुखदेव भगत और प्रदीप बलमुचू की तरफ था।
पॉलिटिकल सिस्टम से मैं हार गया : डॉ इरफान अंसारी
विधायक डॉ इरफान अंसारी ने रविवार को ट्विटर पर अपनी व्यथा जाहिर कर कहा है कि विदेश से उच्च शिक्षा प्राप्त कर डॉक्टर बना, सरकारी नौकरी की। नौकरी छोड़कर राजनीति में आया। ख्वाहिश थी झारखंड का विकास करने की। पुरानी व्यवस्था बदलने की। जनता के सिस्टम में पास हो गया, पर पॉलिटिकल सिस्टम से मैं हार गया। यहां काबिलियत कुछ मायने नहीं रखती। मायने रखता है तो बस…। लेकिन मैं हार माननेवालों में से नहीं हूं। सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। उन्होंने बाद में मीडिया से कहा कि पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत कोई लिखित नहीं है, बल्कि यह पार्टी की परंपरा है।