Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Saturday, May 10
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»मनोरंजन»बॉलीवुड»Movie Review: फिल्म देखने से पहले पढ़ें ‘अलिफ’ का रिव्यू
    बॉलीवुड

    Movie Review: फिल्म देखने से पहले पढ़ें ‘अलिफ’ का रिव्यू

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीFebruary 3, 2017No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    अलिफ

    सितारे : नीलिमा अजीम, दानिश हुसैन, भावना पाणी, पवन तिवारी, सौद मंसूरी, गौरी शंकर, ईशान कौरव,
    निर्देशक-लेखक : जैगम इमाम
    निर्माता : पवन तिवारी, जैगम इमाम
    संगीत : अमन पंत
    रेटिंग: 2 स्टार

    एक सूत्रधार के रूप में जया बच्चन की आवाज इस फिल्म के प्रति उत्सुकता पैदा करती है। टाइटल के साथ पाश्र्व में गूंजती ये बात-‘जीने के लिए लड़ना नहीं, पढ़ना जरूरी है…’ निर्देशक जैगम इमाम की ये फिल्म एक बारह साल के बच्चे अली (सौद मंसूरी) की कहानी कहती है। अली अब तक मदरसे में पढ़ रहा था। हालात उसे अंग्रेजी स्कूल पहुंचा देते हैं। इसके अलावा और भी बहुत सी बातें हैं, जो जैगम ने इस फिल्म के जरिए उठाई हैं।

    अली के अलावा ये कहानी उसके पिता और उसकी फुफीजान की दुश्वारियों से भी रू-ब-रू कराती है, जिसमें मदरसे के हाफिज की एक प्रेम कहानी का भी चित्रण है।

    ये कहानी शुरू होती है वाराणसी के एक मुस्लिम मौहल्ले से। इलाके में हकीम रजा (दानिश हुसैन) की एक दुकान है। उनका बेटा अली और उसका दोस्त शकील (ईशान कौरव) साथ-साथ पास के एक मदरसे में जाते हैं। एक दिन रजा को पाकिस्तान से एक खत आता है। पता चलता है कि उनकी बहन जहरा (नीलिमा अजीम) भारत आ रही है। बंटवारे के वक्त वह किसी वजह से पाकिस्तान चली गई थी, जिसे वापस लाने में रजा नाकाम रहे हैं। उन्हें बहन के आने की खुशी और गम दोनों हैं। जहरा के आने से घर में रौनक आ जाती है। धीरे-धीरे रजा भी जहरा को अपनी परेशानियां समझा पाते हैं। एक दिन जहरा रजा से कहती है कि वह अली को मदरसे से निकलवा कर अंग्रेजी स्कूल में दाखिला दिलवाए। जहरा का मानना है कि अली को डॉक्टर बनाना चाहिए, जिसके लिए अंग्रेजी स्कूल जाना जरूरी है।
    रजा के लिए ये मुश्किल काम है, लेकिन किसी तरह से वह अली का दाखिला एक अंग्रेजी स्कूल में करा देते हैं। पहले ही दिन से अली के लिए स्कूल परेशानियों का सबब बनने लगता है। शकील तो चाहता ही नहीं था कि अली मदरसा छोड़ स्कूल जाए। ऐसे में मदरसे के नए हाफिस बने जमाल (आदित्य ओम) ने भी रजा को मना किया कि वह अली को स्कूल के बजाए वापस मदरसे में भेजे। उधर, स्कूल में अली के टीचर उससे परेशान हैं, क्योंकि उसे अंग्रेजी का एक लफ्ज भी नहीं आता। उसे तो बस उर्दु आती है। एक टीचर तो मानो उसके पीछे हाथ धोकर पड़ जाता है। आए दिन अली के स्कूल से उसकी शिकायतें घर आने लगती हैं।

    देखते ही देखते अली और उसके पिता पर कई सारी आफतें आ पड़ती है। इस बीच जहरा का वीजा भी खत्म होने लगता है। अब जहरा को वापस जाना है। रजा किसी तरह से जुगाड़ कर जहरा को यहीं रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन ये बात जमाल को पता चल जाती है। वह रजा को धमकी देता है कि अगर उन्होंने अली को मदरसे फिर से नहीं भेजा तो वह पुलिस को जहरा के यहां रुकने की सारी बातें बता देगा। इन्हीं बातों के चलते जमाल, अली की आपा शम्मी से होने वाली सगाई भी तोड़ देता है और अली का स्कूल जाना रुक जाता है।

    निर्देशक ने इस फिल्म को काफी रियलिस्टिक ढंग से बनाया है। फिल्म की धीमी गति इसके किरदारों के अंर्तद्वंद और विभिन्न झंझावातों को सजोए रखने में मदद करती है। रंग-रूप और माहौल भी विश्वस्नीय लगता है। चाहे वो रिक्शा से घर आते रजा-जहरा के सीन हों या फिर अली का घर और वहां की संकरी गालियां। रीयल लोकेशंस में भी कुछ फिल्मकार अपने ढंग का बनावटीपन उकेर डालते हैं। जैगम ने इससे परहेज किया है और ये बात मेकिंग के लिहाज से काफी हद तक उनके पक्ष में भी जाती है। लेकिन फिल्म में कई विषयों के रूप में उठाई गई बातें पुख्ता ढंग से सामने नहीं आ पाती, जिसकी वजह है इसकी पटकथा।

    एक विचार के रूप में और एक कहानी के रूप में इस फिल्म का कथानक आकर्षित करता है और कई जगह चौंकाता भी है, लेकिन कई जगहों पर पटकथा में भारी खामियों के कारण यह निराश भी करता है। अपनी परेशानियों और मजबूरियों की वजह से रजा का किरदार बांधता है, लेकिन जहरा का किरदार तमाम संभावनाओं के बावजूद सही ढंग से पनप नहीं पाता। इसी तरह से जमाल का किरदार भी सही ढंग से अस्तित्व में नहीं आ पाता। उसके शायर और हाफिज बनने के कवायद और शम्मी संग उसका प्रेम-प्रसंग वास्तविकता से दूर नजर आता है। एक और बात ये कि जैगम ने फिल्म में कई जगह पर धर्म की बात की है, जो कई सीन्स में उकसाने का काम करती है। इससे बचा जा सकता था, क्योंकि यहां बात शिक्षा और उसकी जरूरत की हो रही है।

    कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में प्रशंसा पा चुकी ये फिल्म केवल अपने विचार की वजह से ध्यान खींचती है। इसके शिल्प पर और ध्यान दिया जाता तो शायद ये पुख्ता ढंग से अपनी बात रख पाती।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleमप्र में महिला सुरक्षा जागरूकता के लिए वेबसाइट शुरू
    Next Article पंजाब की 117 और गोवा की 40 सीटों के लिए मतदान कल
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    बॉलीवुड हस्तियाें ने की भारतीय सेना की तारीफ

    May 9, 2025

    बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ‘रेड 2’ का शानदार प्रदर्शन जारी

    May 7, 2025

    ‘दोस्ताना-2’ में बड़ा बदलाव, कार्तिक आर्यन और जाह्नवी कपूर की जगह श्रीलीला-विक्रांत मैसी

    May 7, 2025
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलना दुर्भाग्यपूर्ण: बाबूलाल मरांडी
    • बूटी मोड़ में मिलिट्री इंटेलिजेंस और झारखंड एटीएस का छापा, नकली सेना की वर्दी बरामद
    • कर्नल सोफिया ने बताया- तुर्की के ड्रोन से पाकिस्तान ने किया हमला, भारतीय सेना ने मंसूबों को किया नाकाम
    • गृह मंत्रालय ने राज्यों को आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया
    • मप्र में सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक, मुख्यमंत्री ने बुलाई उच्च स्तरीय बैठक
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version