देश में हर दिन कोरोना (Coronavirus) का कहर बढ़ता ही जा रहा है, वहीं भारतीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कोरोना के उपचार के लिए अमल में लाए जाने वाली प्रोटोकॉल की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। बताया जा रहा है कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के एक बड़े परीक्षण के नतीजे में पाया गया कि कोरोना संक्रमितों के लिए आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली चार दवाओं से मरीजों में मृत्यु को कम करने में बहुत कम या कोई लाभ नहीं हो रहा है।
एंटीवायरल ड्रग रेमडेसिविर, मलेरिया ड्रग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू), एंटी-एचआईवी संयोजन लोपिनवीर और रीटोनवीर और इम्युनोमोड्यूलेटर इंटरफेरॉन दवाइयां हैं। इनमें से पहली दो दवाईयां कोरोना के रोगियों के इलाज में दी जाती हैं।
30 देशों के 405 अस्पतालों में दवाओं की प्रभावशीलता पर संदेह
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रोटोकॉल की समीक्षा अगले संयुक्त टास्क फोर्स की बैठक में की जाएगी। जिसमें अध्यक्षता नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ. वीके पॉल और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव मौजूद होंगे।
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव का कहना है कि वे नए सबूतों के आलोक में क्लीनिकल मैनेदमेंत प्रोटोकॉल पर दोबार गौर करेंगे। दरअसल डब्ल्यूएचओ के सॉलिडैरिटी ट्रायल के नाम वाले इस शोध में कहा गया है कि अब 30 देशों के 405 अस्पतालों में इन दवाओं की प्रभावशीलता पर संदेह है। यह डाटा कोरोना वायरस का इलाज करवा रहे 11,266 वयस्कों के आधार पर तैयार किया गया है।
देश में अबतक 74,30,635 लोग संक्रमित
बता दें कि भारत में कोरोना से 74,30,635 लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं इस वायरस की चपेट में आने से अब तक 1,13,032 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हालांकि राहत की बात ये है कि 65,21,634 इस वायरस को मात देकर ठीक हो चुके हैं। देश में कोरोना को मात देकर ठीक होने वालों की संख्या सक्रिय मामलों की संख्या से अधिक है। सक्रिय मामलों की कुल संख्या 7,94,775 है।