Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, June 8
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Jharkhand Top News»दुमका-बेरमो में प्रचार ने दिखाया सियासत का नया रंग
    Jharkhand Top News

    दुमका-बेरमो में प्रचार ने दिखाया सियासत का नया रंग

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskNovember 2, 2020No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    झारखंड विधानसभा की दो सीटों के लिए होनेवाले उप चुनाव का प्रचार खत्म हो गया है। दुमका और बेरमो में तीन नवंबर को मतदान होगा। इस उप चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के रुख से एक बात साफ हो गयी है कि झारखंड में राजनीति का चेहरा कुछ और आक्रामक हो गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों में करीब तीन सप्ताह तक चले चुनाव प्रचार अभियान के दौरान सियासत का नया रंग देखने को मिला। प्रचार अभियान के दौरान दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ बहुत तल्ख तेवर अपनाये। इसमें सिर्फ राजनीतिक हमले नहीं हुए, बल्कि व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप भी चले। प्रचार के अंतिम दौर में भाषा की मर्यादा भी टूट गयी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के उस बयान सत्ता पक्ष की तरफ से गहरी प्रतिक्रिया हुई, जिसमें कहा गया था कि हेमंत सरकार दो महीने में गिर जायेगी। इस बयान को सत्ता पक्ष और खासकर झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बहुत ही गंभीरता से लिया। उन्होंने चुनौती तक दे दी कि इस तरह की कोई भी साजिश बर्दाश्त नहीं की जायेगी। जहां तक सत्ता पक्ष का सवाल है, तो उसने सरकार की उपलब्धियां गिनायीं और झारखंड के हितों की अनदेखी को उसने मुद्दा जरूर बनाया। इस चुनाव प्रचार अभियान के दौरान एक और बात साफ हुई कि यह कड़वाहट चुनाव के बाद भी जारी रहेगी और झारखंड की राजनीति का नया अध्याय शुरू होगा। दुमका और बेरमो में चले चुनाव प्रचार अभियान का विश्लेषण करती आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की विशेष रिपोर्ट।

    दुमका और बेरमो में चुनाव प्रचार का शोर खत्म हो गया है और इसके साथ ही मतदान की उलटी गिनती शुरू हो गयी है। दोनों सीटों पर कुल 28 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ गठबंधन के झामुमो-कांग्रेस और भाजपा के बीच है। दुमका में जहां झामुमो का मुकाबला भाजपा से है, वहीं बेरमो में कांग्रेस के सामने भाजपा है। चूंकि दिसंबर में हुए चुनाव में दुमका से झामुमो और बेरमो से कांग्रेस की जीत हुई थी, इसलिए भाजपा की ओर से उस हार का बदला लेने के लिए पूरी ताकत झोंकी गयी है। उधर झामुमो और कांग्रेस की ओर से भी अपनी-अपनी सीट बचाने के लिए किसी भी तरह की कोशिश बाकी नहीं रखी गयी है। इस तरह इन दोनों सीटों पर होनेवाला उप चुनाव बेहद रोमांचक हो गया है, जहां कांटे का मुकाबला तय है। चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।
    दुमका और बेरमो में करीब तीन सप्ताह तक चले चुनाव प्रचार अभियान के दौरान एक बात शीशे की तरह साफ हो गयी कि यहां राजनीति का चेहरा और अधिक आक्रामक हो गया है। आम तौर पर चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा या तो अपना एजेंडा सामने रखने की कोशिश किये जाने की परंपरा रही है या फिर कोई मुद्दा उठाने की, जिस पर जनता से वोट मांगा जाता था। लेकिन इस चुनाव प्रचार अभियान ने सियासत का नया रंग दिखाया है। प्रचार के शुरुआती दौर में विपक्ष की ओर से सत्ता पक्ष की नाकामियों का मुद्दा जरूर उठाया गया, तो जवाब में सत्ता पक्ष की तरफ से अपनी उपलब्धियों की लंबी फेहरिश्त गिनायी गयी। कोरोना काल में किये गये कामों को गिनाया गया। यही नहीं सत्ता पक्ष की तरफ से बार-बार केंद्र सरकार पर झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगा। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आयी, भाजपा की तरफ से यहां तक कह दिया गया कि हेमंत सरकार दो महीने में गिर जायेगी, तो झामुमो ने बयान देनेवाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के खिलाफ केस कर दिया, झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि सरकार गिराने की किसी भी तरह की साजिश को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, वहीं दीपक प्रकाश ने यह कह कर झामुमो के समक्ष चुनौती पेश कर दी कि हिम्मत है, तो उन्हें गिरफ्तार करें। इस तरह देखा जाये, तो इन दो सीटों पर होनेवाले चुनाव में प्रचार अभियान का ट्रैक ही पूरी तरह बदल गया। विपक्ष की ओर से सोरेन परिवार पर निजी हमले तक किये गये। दोनों पक्षों के आक्रामक तेवर के कारण प्रचार अभियान में भाषा की मर्यादाएं कई बार टूटीं, लेकिन अंतिम दौर आते-आते समूचा चुनाव प्रचार अभियान एक-दूसरे को चुनौती देने पर आकर सिमट गया। हां, सत्ता पक्ष के प्रत्याशियों ने जरूर यह कोशिश की कि वे अपने एजेंडे को लेकर जनता के सामने जायें। दोनों प्रत्याशियों ने अपने-अपने क्षेत्र के विकास को अपने एजेंडे में बनाये रखा। बसंत सोरेन ने जहां ‘सुंदर-सुरक्षित दुमका’ का अपना नारा बनाये रखा, वहीं कुमार जयमंगल उर्फ अनुप सिंह ने बेरमो के विकास का खाका जोर-शोर से पेश किया, जिसे सराहा भी गया। विपक्ष की तरफ सिर्फ और सिर्फ सरकार की कमियों को उजागर करने की कोशिश की गयी।
    बेरमो और दुमका में चुनाव प्रचार का जो स्वरूप देखने को मिला, यह तरीका किसी भी राज्य के विकास के रास्ते का रोड़ा बन सकता है, इस बात को सभी को समझ लेना चाहिए। वैसे कहा जाता है कि उप चुनाव मुद्दों के आधार पर नहीं लड़े जाते, लेकिन झारखंड जैसे राज्य के लिए इस तरह के उप चुनाव को एक अवसर के रूप में लिया जाना चाहिए था। यदि राजनीतिक दल अपने-अपने एजेंडे पर चुनाव लड़ते और झारखंड के भविष्य की रूपरेखा तय करते, तो शायद ये उप चुनाव देश के राजनीतिक इतिहास में नजीर पेश करते। लेकिन दुमका और बेरमो ने झारखंड के राजनीतिक दलों को नजीर पेश करने का जो अवसर दिया था, उसे उन्होंने शायद गंवा दिया। इसके अलावा जिस आक्रामकता के साथ प्रचार अभियान चलाया गया, उससे झारखंड की राजनीति को नयी राह पर ले जाने की मंशा भी स्पष्ट हो गयी। अब प्रचार का शोर खत्म हो गया है और बारी मतदाताओं की है। इस प्रचार अभियान से एक और बात साफ हो गयी है कि दुमका और बेरमो में पैदा हुई कड़वाहट चुनाव के बाद भी जारी रहेगी। आम तौर पर माना जाता है कि प्रचार अभियान की कड़वाहट चुनाव के बाद खत्म हो जाती है, लेकिन इस बार इस बात की संभावना कम ही दिखती है। बहरहाल, दुमका और बेरमो की जनता के फैसले का एलान तो 10 नवंबर को होगा, लेकिन फिलहाल यही कहा जा सकता है कि इस चुनाव प्रचार अभियान ने राज्य की सियासत को एकबारगी आक्रामकता के शिखर पर पहुंचा दिया है।

    Publicity in Dumka-Bermo showed the new color of politics
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleमारुति सुजुकी की बिक्री अक्टूबर महीने में 18.9 फीसदी बढ़ी
    Next Article जेएमएम में पार्टी सर्वोपरि चेहरा नहीं : बसंत सोरेन
    azad sipahi desk

      Related Posts

      झारखंड में आदिवासी लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बाबूलाल ने उठाए सवाल

      June 7, 2025

      पूर्व मुख्यमंत्री ने दुमका में राज्य सरकार पर साधा निशाना, झारखंड को नागालैंड-मिजोरम बनने में देर नहीं : रघुवर दास

      June 7, 2025

      गुरुजी से गुरूर, हेमंत से हिम्मत, बसंत से बहार- झामुमो के पोस्टर में दिखी नयी ऊर्जा

      June 7, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • झारखंड में आदिवासी लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बाबूलाल ने उठाए सवाल
      • पूर्व मुख्यमंत्री ने दुमका में राज्य सरकार पर साधा निशाना, झारखंड को नागालैंड-मिजोरम बनने में देर नहीं : रघुवर दास
      • गुरुजी से गुरूर, हेमंत से हिम्मत, बसंत से बहार- झामुमो के पोस्टर में दिखी नयी ऊर्जा
      • अब गरीब कैदियों को केंद्रीय कोष से जमानत या रिहाई पाने में मिलेगी मदद
      • विकसित खेती और समृद्ध किसान ही हमारा संकल्प : शिवराज सिंह
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version