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    Home»Breaking News»भारत छोड़ो आंदोलन’ की तर्ज पर ”भारत जोड़ो आंदोलन” का नेतृत्व करना है: मोदी
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    भारत छोड़ो आंदोलन’ की तर्ज पर ”भारत जोड़ो आंदोलन” का नेतृत्व करना है: मोदी

    azad sipahiBy azad sipahiJuly 25, 2021No Comments5 Mins Read
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    नयी दिल्ली। ”राष्ट्र सर्वप्रथम, हमेशा सर्वप्रथम” के मंत्र के साथ ही हमें आगे बढ़ना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इन्ही शब्दों के साथ देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जब देश आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहा हैै, हर भारतीय को महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए ”भारत छोड़ो आंदोलन” की तर्ज पर ”भारत जोड़ो आंदोलन” का नेतृत्व करना है।

    उन्होंने कहा कि ”अमृत महोत्सव” कार्यक्रम ना तो किसी सरकार का या फिर किसी राजनीतिक दल का है बल्कि देश की जनता का है।
    बता दें कि प्रधानमंत्री रेडियो कार्यक्रम मन की बात की 79वीं कड़ी में अपने विचार देश की जनता के साथ साझा कर रहे थे। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि जिस प्रकार देश की आजादी के लिए सभी लोग एकजुट हो गये थे उसी प्रकार सभी को देश के विकास के लिए भी एकजुट होना है। 15 अगस्त को देश आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है और जिस आजादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने की आज की पीढ़ी साक्षी बन रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अवसर पर देश अमृत महोत्सव मना रहा है जिसकी मूल भावना अपने स्वाधीनता सेनानियों के मार्ग पर चलना और उनके सपनों का देश बनाना है। उन्होंने कहा, ”बापू के नेतृत्व में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चला था, वैसे ही आज हर देशवासी को ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ का नेतृत्व करना है। ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपना काम ऐसे करें जो विविधताओं से हमारे भारत को जोड़ने में मददगार हो।”

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश की एकजुुटता को और मजबूत करने के लिए 15 अगस्त को एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने देश की जनता से अपील की कि इस दिन ज्यादा-से-ज्यादा भारतवासी मिलकर राष्ट्रगान गाएं और उसे ”राष्ट्रगानडॉटइन” नामक वेबसाइट पर पोस्ट करें। उन्होंने देशवासियों से इस अभियान से जुड़ने की अपील भी की और कहा कि इसी तरह के बहुत सारे अभियान तथा बहुत सारे प्रयास आने वाले दिनों में और देखने को मिलेंगे।
    कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने तोक्यो ओलंपिक का उल्लेख करते हुए कहा कि जब हाथों में तिरंगा लेकर भारतीय दल को वहां उन्होंने चलते देखा तो पूरा देश गौरवान्वित हो गया। उन्होंने देशवासियों से ओलंपिक खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने की अपील की।

    प्रधानमंत्री ने ”वोकल फॉर लोकल” और ”आत्मनिर्भर भारत” अभियान को मजबूत करने की बात कही। उन्होंने कहा कि देश का हर व्यक्ति रोज के काम काज करते हुए भी राष्टÑ निर्माण का काम कर सकता है। उन्होंने देश के स्थानीय उद्यमियों, कलाकारों, शिल्पकारों, बुनकरों को सहयोग करने की भी अपील की।

    उन्होंने कहा कि सात अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जायेगा। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के साथ बहुत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि जुड़ी हुई है। इसी दिन 1905 में स्वदेशी आंदोलन की शुरूआत हुई थी।

    प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर खादी का भी उल्लेख किया और कहा कि खादी खरीदना एक तरह से जन-सेवा और देश-सेवा भी है।

    उन्होंने कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ के मद्देनजर देशवासियों से कारगिल की रोमांचक कहानी पढ़ने की अपील करते हुए कहा कि यह युद्ध हमारे सशस्त्र बलों की वीरता और अनुशासन का ऐसा प्रतीक है जिसे पूरी दुनिया ने देखा है।

    उन्होंने कहा, ”इस बार यह गौरवशाली दिवस भी ‘अमृत महोत्सव’ के बीच में मनाया जाएगा। इसलिए यह और भी खास हो जाता है। मैं चाहूंगा कि आप कारगिल की रोमांचित कर देने वाली गाथा जरुर पढ़ें, कारगिल के वीरों को हम सब नमन करें।”

    प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम में संदेश व सुझाव भेजने वालों में 75 प्रतिशत तादाद ऐसे युवाओं की है जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है और यह एक ऐसा माध्यम है जहां सकारात्मकता एवं संवेदनशीलता है तथा जिसका चरित्र ”सामूहिक” है।

    उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ के श्रोताओं को लेकर एक अध्ययन किया गया जिसमें यह बात सामने आई कि संदेश व सुझाव भेजने वालों में करीब 75 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है।

    उन्होंने कहा, ”यानी, भारत की युवा शक्ति के सुझाव ‘मन की बात’ को दिशा दे रहे हैं। मैं इसे बहुत अच्छे संकेत के रूप में देखता हूं।”

    मोदी ने कहा, ”मन की बात एक ऐसा माध्यम है, जहां सकारात्मकता है…संवेदनशीलता है। इसमें हम सकारात्मक बातें करते हैं। इसका चरित्र सामूहिक है। सकारात्मक विचारों और सुझावों के लिए भारत के युवाओं की यह सक्रियता मुझे आनंदित करती है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि ‘मन की बात’ के माध्यम से मुझे युवाओं के मन को भी जानने का अवसर मिलता है।”

    उल्लेखनीय है कि ‘मन की बात’ को लेकर विपक्षी दल प्राय: आरोप लगाते हैं कि इसमें प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ होती है और जनता के ‘मन की बात’ को प्रमुखता नहीं दी जाती।

    प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे अभिनव प्रयोगों के बारे में श्रोताओं को बताया और साथ ही जल संरक्षण की भी अपील की।

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