रांची। वन विभाग में कई तरह की वित्तीय अनियमितताओं एवं सरकारी राशि के गबन का आरोप लगाते हुए झारखंड राज्य अवर वन सेवा के अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। संघ ने कोर्ट से जांच का आदेश देने की मांग की है।
प्रार्थी कामेश्वर प्रसाद ने अपनी याचिका में कहा है कि वन विभाग की ओर से 72 वां वन महोत्सव के मौके पर अनगड़ा प्रखंड स्थित गेतलसूद डैम के किनारे गांधीग्राम में लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण किया गया, जो कुछ दिन बाद ही जलमग्न हो गया।
उल्लेखनीय है कि उक्त महोत्सव में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, स्थानीय विधायक राजेश कच्छप सहित वन विभाग के कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल हुए थे। इसी प्रकार 70 वां वन महोत्सव कार्यक्रम में स्वर्णरेखा नदी तट पर कंटीले तार घेरान के साथ 8 किलोमीटर क्षेत्र में 48000 पौधे लगाने थे। लेकिन मात्र 22000 पौधा ही लगाया गया। वन क्षेत्र पदाधिकारी राकेश कुमार सिंह एवं वरीय पदाधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी राशि का बंदरबांट किया गया है। 71वां वन महोत्सव कार्यक्रम नदी तट प्लांटेशन में भी घोटाला किया गया है। याचिकाकर्ता कामेश्वर प्रसाद ने विभाग के वरीय पदाधिकारियों से इसकी शिकायत कई बार की। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर अवगत कराया था और कार्रवाई की मांग की। लेकिन कर्रवाई नहीं होता देख झारखंड हाईकोर्ट की शरण ली। याचिकाकर्ता ने विगत 10 वर्षों के दौरान वन विभाग द्वारा कराए गए कार्यों का ऑडिट कराने की भी मांग की है। याचिकाकर्ता ने वन विभाग के रांची प्रमंडल अंतर्गत कराए गए कार्यों में हुई अनियमितताओं से संबंधित कई साक्ष्य कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए हैं।
इसमें मुख्य रूप से पौधरोपण, सड़क किनारे पौधारोपण, स्वर्णरेखा नदी तट पौधारोपण, कंटूर ट्रेंच, गैबियन प्लांटेशन, आग पर नियंत्रण, हाथी से सुरक्षा, फायर लाइन, फर्जी बिल वाउचर सरकारी मद की अवैध निकासी इत्यादि है। इसके अलावा विभागीय कार्यों में करोड़ों रुपए की हेराफेरी कर सरकारी खजाने व जनता के पैसे का गबन करने का आरोप लगाया है और जांच की मांग की है। हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाले कामेश्वर प्रसाद वन विभाग के रिटायर्ड कर्मचारी व झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ के अध्यक्ष हैं।